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11 हजार करोड़ का है धान के बदले चावल आपूर्ति घोटाला, 3 साल में 1300 एफआईआर जांच में जुटे हैं छह सौ अधिकारी

पटना : करीब 11 हजार करोड़ रुपये के ‘धान के बदले चावल’ आपूर्ति घोटाले की जांच की रफ्तार बढ़ाने की कवायद शुरू हो गयी है. तीन साल में 1300 से अधिक एफआईआर दर्ज हुई है. 400 से अधिक केस तो एक करोड़ की राशि से अधिक के हैं. इसकी जांच सीआईडी के अधीन एसआईटी कर […]

पटना : करीब 11 हजार करोड़ रुपये के ‘धान के बदले चावल’ आपूर्ति घोटाले की जांच की रफ्तार बढ़ाने की कवायद शुरू हो गयी है. तीन साल में 1300 से अधिक एफआईआर दर्ज हुई है. 400 से अधिक केस तो एक करोड़ की राशि से अधिक के हैं. इसकी जांच सीआईडी के अधीन एसआईटी कर रही है.
600 से अधिक पुलिस अधिकारी (आईओ) इसकी जांच में जुटे हैं. हर 15 दिन पर हाईकोर्ट को इसकी रिपोर्ट देनी होती है. बाकायदा हाईकोर्ट की निगरानी में इसकी जांच चल रही है. खास बात यह है कि इस केस की गुत्थी को सुलझाना आसान नहीं है. सीआईडी के आला अफसर भी यह जानते हैं. इसलिए सभी आईओ को प्रशिक्षित किया जा रहा है. एक अगस्त से इसकी शुरुआत हो गयी है. 100 आईओ को दो दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल किया गया है.
इसके बाद शेष आईओ को प्रशिक्षण दिया जायेगा. जांच से जुड़े आईओ को दिया जा रहा है प्रशिक्षण : धान के बदले चावल की आपूर्ति में घोटाले (प्रमादी मिलर केस) की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों (आईओ) को प्रशिक्षण देने की शुरुआत हो गयी है. इसमें प्रदेश भर से इंस्पेक्टर-दारोगा शामिल हुए हैं. एसपी, डीएसपी स्तर के अधिकारी इन पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 10 सत्र है. जटिल केस होने के कारण ऐसा कदम उठाया गया है. सूत्रों ने बताया कि हजारों किसानों से संबंधित यह केस है. एक-एक बिंदु को बारीकी से देखना है. एक-एक पर्ची पर लाखों रुपये का खेल हुआ है. एक-एक चावल मिल मालिक पांच-पांच करोड़ का धान लिया. जांच में तर्क दिया जा रहा है कि धान सड़ गया. एक हजार से अधिक मिल मालिकों के खिलाफ चार्जशीट दायर है.
पांच जिलों में विशेष कोर्ट
सूत्रों ने बताया कि धान के बदले चावल की आपूर्ति में घोटाले (प्रमादी मिलर केस) की सुनवाई के लिए पांच जिलों में विशेष कोर्ट बनाया गया है. इसमें गया, सारण, दरभंगा, पूर्णिया और पटना शामिल हैं. 10 दिसंबर 2013 को हाईकोर्ट में केस फाइल किया गया था.
सूत्रों की मानें तो सरकार ने किसानों से खरीदे गये धान राइस मिलों को दिया था. धान के बदले मिल संचालकों को तय मात्रा में चावल की आपूर्ति करनी थी. कई मिल मालिकों ने धान तो ले लिया, लेकिन तय मात्रा में चावल की आपूर्ति नहीं की. कई संचालकों ने चावल दिया ही नहीं. अब तक की जांच में यह बात भी सामने आयी है कि कई मिल तो थे ही नहीं. सिर्फ कागजों पर ही मिल चल रहे थे. इसके बावजूद भारी मात्रा में उनको धान देने की बात कागजों में दर्ज है.
– घोटाले पर एक नजर यह घोटाला
वित्तीय वर्ष 2011-12, 2012-13 और 2013-14 में हुए थे. इससे संबंधित 1100 से अधिक मामले प्रदेश भर में दर्ज किये गये.
इन कांडों की जांच 600 से अधिक आईओ कर रहे हैं. एक करोड़ से ज्यादा के मामलों की जांच एसआईटी के नियंत्रण में हो रही है. वहीं, बाकी मामलों की जांच की मॉनीटरिंग की जा रही है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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