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10 साल से स्थायी बहाली नहीं आउटसोर्स से चल रहा है काम

प्रतिष्ठित एएन सिन्हा संस्थान का हाल खाली है निदेशक का पद, शिक्षा सचिव को अतिरिक्त प्रभार पटना : कभी सामाजिक अध्ययन और शोध कार्यों के लिए देश भर में अव्वल संस्थान के रूप में पहचान रखने वाले पटना के अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान का हाल ठीक नहीं है. दुनिया भर से यहां आने […]

प्रतिष्ठित एएन सिन्हा संस्थान का हाल
खाली है निदेशक का पद, शिक्षा सचिव को अतिरिक्त प्रभार
पटना : कभी सामाजिक अध्ययन और शोध कार्यों के लिए देश भर में अव्वल संस्थान के रूप में पहचान रखने वाले पटना के अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान का हाल ठीक नहीं है. दुनिया भर से यहां आने वाली किताबों और जर्नलों के कस्टोडियन (देखरेख) यानी पुस्तकालय में लाइब्रेरियन नहीं हैं. लाइब्रेरी को सुचारु तरीके से चलाने के लिए जितने भी पद होते हैं, सभी खाली हैं. कहने के लिए संस्थान में आउटसोर्स के सहारे काम चल रहा है.
दिल्ली की हाउस कीपिंग कंपनी को यहां लाइब्रेरी और अन्य विभागों में तृतीय श्रेणी के पदों पर मानदेय पर बहाल करने की अनुमति दी गयी है. कंपनी को इस मद में प्रतिमाह करीब साढ़े चार लाख रुपये अदा किये जा रहे हैं. वहीं, अरसे से खाली पदों को भरे जाने की कोई पहल नहीं हो रही है..
कर्मियों को मिले उम्र सीमा का भी लाभ
कर्मियों ने राज्य सरकार से खाली पड़े स्वीकृत पदों पर प्राथमिकता के आधार पर सामंजन करने का अनुरोध किया है. कर्मियों का कहना है कि जो भी पद खाली हैं, उनको भरे जाने की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए और इसमें उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
साथ ही आउटसोर्स पर काम कर रहे कर्मियों को उम्र सीमा का भी लाभ मिलना चाहिए. बताया जाता है कि 2012 में जारी विज्ञापन में अधिकतम आयु 45 वर्ष निर्धारित की गयी थी. अब तक इस पर कोई पहल नहीं हुई.
अब जो भी नये विज्ञापन जारी होंगे, उनमें यहां काम करने वाले आवेदन नहीं दे सकेंगे क्योंकि उनकी उम्र 51 साल या उससे अधिक हो चुकी है. निदेशक के पद खाली होने के कारण सरकार ने शिक्षा विभाग के सचिव आरएल चोंग्थू को यहां के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया है. शिक्षकेतर कर्मियों को उम्मीद है कि शिक्षा सचिव के कार्यकाल में संस्थान के खाली पड़े पद भरे जायेंगे और उन्हें आउटसोर्स कंपनी से छुटकारा मिल सकेगा‍.
पुस्तकालय में मात्र तीन स्थायी कर्मी हैं कार्यरत
सूत्र बताते हैं कि पुस्तकालय में अभी मात्र तीन स्थायी कर्मी कार्यरत हैं. इनमें एक चतुर्थ श्रेणी का और दो किताब छांटने वाले निम्न वर्गीय पद धारक हैं.
बाकी के सभी पद आउटसोर्स वाले कर्मियों के जिम्मे है. यहां मुख्य पद लाइब्रेरियन का होता है. लाइब्रेरियन के 2016 में रिटायर हो जाने के बाद से यह पद खाली है. लाइब्रेरियन के अलावा असिस्टेंट लाइब्रेरियन, डिप्टी लाइब्रेरियन और प्रोफेशनल असिस्टेंट के पद स्वीकृत किये गये हैं. लेकिन इन स्थायी पदों पर नियमित बहाली की प्रक्रिया बंद होने से जहां लाइब्रेरी का काम प्रभावित हो रहा है.
मातृत्व सुविधा का भी नहीं मिल पा रहा लाभ : जानकार बताते हैं कि आउटसोर्स कंपनी के मातहत बहाल कर्मियों की सेवा शर्त भी कठिन है.
आउटसोर्स कंपनी को 2017 में पुस्तकालय, कुलसचिव शाखा, प्रशासनिक शाखा और लेखा शाखा के कर्मियों को बहाल करने की अनुमति दी गयी है. गर्भवती महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश का लाभ भी नहीं मिल रहा. मातृत्व अवकाश पर जाने वाली महिलाओं के पैसे काट लिये जाते हैं.

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