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पटना : दो जिलों के पेच में फंसी चार हजार घरों की बिजली, जानिए क्‍या है मामला

नकटा दियारे का हाल. छह माह से तार फैलाने व पोल लगाने का काम पूरा, घरों में नहीं दिया गया कनेक्शन पटना : राज्य सरकार की ओर से सूबे के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है. जिले में अब तक 1268 गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा किया जा […]

नकटा दियारे का हाल. छह माह से तार फैलाने व पोल लगाने का काम पूरा, घरों में नहीं दिया गया कनेक्शन
पटना : राज्य सरकार की ओर से सूबे के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का काम किया जा रहा है. जिले में अब तक 1268 गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा किया जा चुका है, लेकिन पटना जिले में कुछ ऐसे भी वार्ड हैं, जहां आजादी से लेकर अब तक घरों में बिजली नहीं पहुंच पायी है.
हम बात कर रहे हैं पटना सदर अनुमंडल के नकटा दियारा क्षेत्र कि जहां 14 वार्डों में आज भी लगभग 30 हजार की आबादी अंधेरे में रहने को मजबूर है. ऐसा नहीं है कि वहां अब तक बिजली नहीं पहुंचायी जा सकी है. बीते छह माह में वहां पोल लगाने, तार फैलाने का काम पूरा किया गया है. यहां तक की कई जगहों पर ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम भी पूरा हो चुका है, मगर दो जिलों के विवाद में अब तक चार हजार घर रोशन नहीं हो पाये हैं.
वहीं जमीन नहीं मिलने से हर घर नल का जल योजना की भी नहीं हो सकी शुरुआत
क्षेत्र पटना जिले में, मगर कनेक्शन सारण जिले का
नकटा दियारा क्षेत्र पटना जिले के तहत आता है. वहां रहने वाले लोग पटना जिले के मतदाता हैं. टैक्स से लेकर अन्य कागजी काम सब कुछ पटना जिले के अंतर्गत ही किये जाते हैं. मगर क्षेत्र गंगा के उस पार होने के कारण वहां सारण जिले से बिजली की सुविधा पहुंचायी गयी है.
अब बिजली के कनेक्शन लेने के लिए लोगों को सारण जिले के तहत कनेक्शन लेना होगा. ऐसे में वहां के लोगों को डर सता रहा है कि कहीं बिजली लेने के चक्कर में उन लोगों का जिला ही न बदल दिया जाये. इस कारण अब तक हर घर कनेक्शन लेने का मामला लटका हुआ है.
जमीन व बिजली के कारण फंसा है हर घर नल-जल का काम
नकटा दियारा क्षेत्र में अब नये चापाकल लगाने व पुराने को मरम्मत करने पर रोक लगा दिया गया है. निवासियों को पानी पीने की सुविधा का पहले से ही काफी अभाव है. चापाकल का काम बंद होने से परेशानी और भी बढ़ गयी है. गांव के लोग बताते हैं कि सरकार का कहना है कि अब हर घर नल जल योजना के माध्यम से लोगों को पानी की सुविधा दी जायेगी. अब तक तो गांवों में बिजली ही नहीं थी.
तो नल का पानी कहां से मिलेगा. हर घर नल जल योजना के लिए बोरिंग लगाने के लिए सरकारी जमीन का भी अभाव है. एक ग्रामीण ने अपनी जमीन भी दी है तो उसकी फाइल कब से सरकारी स्तर पर लटकी हुई है. ऐसे में ग्रामीण खराब चापाकल के गंदा पानी-पीने को मजबूर हैं.
बिजली और पानी की सुविधा को जल्द दूर करने का काम किया जाना चाहिए. सरकारी स्तर पर सुस्ती ग्रामीणों के लिए लगातार परेशानी का सबब बना हुआ है.
—भागीरथ मुखिया, नकटा दियारा
चापाकल से निकल रहा है बालू
नकटा दियारा क्षेत्र में 50 से अधिक चापाकल खराब हो चुके हैं. वहीं जिन चापाकलों से पानी निकाला जा रहा है, वहां पानी के साथ बालू व अन्य गंदगी निकल रही है.
गांव के लोग बताते हैं कि सरकारी स्तर से चापाकल लगाने के लिए 110 फुट गहराई के आधार पर 27 हजार रुपये की राशि स्वीकृत होती है. इतनी गहराई के कारण अधिकांश चापाकल लगने के साथ ही खराब हो जा रहे हैं. इस क्षेत्र में कम से कम 250 फुट गहराई के आधार पर योजना राशि की स्वीकृति होनी चाहिए.

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