पटना : बिहार सरकार ने सूबे में संविदा पर तैनात डॉक्टरों के रिटायरमेंट या कांट्रैक्ट एग्रीमेंट में उम्र सीमा में बढ़ोतरी कर दी है. अब 65 वर्ष के स्थान पर 67 वर्ष तक संविदा वाले सरकारी डॉक्टर अपनी सेवा देते रहेंगे. पहले से निर्धारित उम्र सीमा में दो वर्ष की बढ़ोतरी की गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस मामले पर मुहर लगी. कैबिनेट की बैठक में कुल 17 एजेंडों पर सहमति बनी.
बैठक के बाद इसकी जानकारी कैबिनेट विभाग के विशेष सचिव उपेन्द्र नाथ पांडेय ने सूचना भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की उम्र सीमा बढ़ाने से संबंधित नियम को शिथिल करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संविदा पर कार्यरत डॉक्टरों की उम्र सीमा में बढ़ोतरी की गयी है. यह प्रावधान सिर्फ संविदा पर कार्यरत डॉक्टरों पर ही लागू होगा, सामान्य डॉक्टरों पर यह नियम लागू नहीं होगा. राज्य में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों की संख्या 2479 है, जिसमें करीब 700 डॉक्टर संविदा पर कार्यरत हैं.
मॉनसून सत्र शुरू होगा 20 जुलाई से
इस बार राज्य में मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 26 जुलाई तक चलेगा. कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर मंजूरी मिली. इस बार के सत्र में कुल पांच बैठकें होगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस पर अंतिम मंजूरी राज्यपाल के स्तर से दी जायेगी. राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही मॉनसून सत्र का यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से स्वीकृत माना जायेगा.
उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनेगी सड़क
राज्य के वामपंथ या उग्रवाद प्रभावित पांच जिलों के लिए सड़क संपर्क योजना शुरू की गयी है. पथ निर्माण विभाग से संचालित इस योजना के अंतर्गत औरंगाबाद, गया, जमुई, बांका और मुजफ्फरपुर जिलों में 864.91 किमी लंबी सड़क बनायी जायेगी. इसमें 15 किमी लंबी पुल या पुलिया भी बनायी जायेगी. इसमें सिर्फ एक पुलिया की लंबाई 148.80 मीटर है, अन्य पुलिया सामान्य लंबाई की है. इस योजना के तहत भू-अर्जन कार्य, यूटिलिटी शिफ्टिंग कार्य, पर्यावरण प्रमाण-पत्र तथा पांच फीसदी की दर से प्रशासनिक निधि समेत अन्य सभी मिलाकर 1228 करोड़ 83 लाख रुपये की अनुमानित लागत आने का अनुमान है. इसकी प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है.
सरेंडर करने वाले नक्सलियों की बढ़ी सुविधाएं
नक्सलियों को सरेंडर कर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसके तहत नक्सलियों के समर्पण सह पुनर्वास नीति में कुछ बेहद अहम बदलाव किये गये हैं. राज्य सरकार ने इसके लिए तैयार केंद्र की नीति को पूरी तरह से अपनाते हुए इसे लागू करने का निर्णय लिया है. इसके तहत सरेंडर करने वाले बड़े नक्सली नेताओं को अब ढाई लाख के स्थान पर पांच लाख रुपये और छोटे या सामान्य पद वाले नक्सलियों को सरेंडर करने पर डेढ़ लाख के स्थान पर ढाई लाख रुपये एक मुश्त दिये जायेंगे.
इसके साथ ही इन्हें सामान्य जीवन यापन करने के लिए इनकी रुचि वाले विषय में खासतौर से ट्रेनिंग भी दिया जायेगा. तीन वर्ष तक दी जाने वाली इस ट्रेनिंग के दौरान प्रत्येक महीने चार हजार के स्थान पर अब छह हजार रुपये भत्ता दिया जायेगा. एक मुश्त मिलने वाली राशि इन्हें सरेंडर करने के तुरंत बाद नहीं दी जायेगी. बल्कि फिक्स डिपॉजिट स्कीम के तहत ये रुपये जमा कर दिये जायेंगे. जब इनकी तीन वर्ष की ट्रेनिंग पूरी हो जायेगी, तब यह राशि इन्हें दी जायेगी. ताकि ये कोई स्वरोजगार शुरू कर सकें.
कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
– राज्य के 141 नगर निकायों के बीच पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर वित्तीय वर्ष 2017-18 के द्वितीय किस्त की राशि 507.75 करोड़ तथा वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए प्रथम किस्त की राशि 530.99 करोड़ यानी कुल एक हजार 28 करोड़ 72 लाख रुपये व्यय की स्वीकृति प्रदान की गयी है.
– सारण जिला के छपरा में मौजूद जय प्रकाश विश्वविद्यालय की 25 एकड़ जमीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने की अनुमति मिली.
– औरंगाबाद जिला के रफीगंज अंचल के अरथुआ में इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के लिए 7.50 एकड़ जमीन दी गयी.
– पटना सिटी स्थित गुरु गोविंद सिंह अनुमंडलीय अस्पताल को सदर अस्पताल में उत्क्रमित करते हुए इसका नाम गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल किया गया है.
– केंद्रीय द्रुत कार्य बल (आरएएफ) बटालियन की स्थापना के लिए वैशाली जिला के राजापाकर अंचल में 28.99 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर 99 वर्ष की लीज पर देने का निर्णय लिया गया.
– राज्य आपदा रिस्पॉस फोर्स (एसडीआरएफ) की एक बटालियन में पहले से प्रावधान किये गये 18 टीमों को मिलाकर कुल 50 टीमों का गठन के लिए विभिन्न श्रेणी में अतिरिक्त पदों की स्वीकृति दी गयी.
– वित्तीय वर्ष 2018-19 में केंद्रीय प्रायोजित स्कीम राष्ट्रीय पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत बिहार पशु चिकित्सा परिषद की स्थापना का पद सहित योजना का अवधि विस्तार की स्वीकृति दी गयी.
– डेहरी ऑन सोन स्थित रेल पीपी को उत्क्रमित कर रेल थाना बनाने और इसके संचालन के लिए 52 पदों के सृजन की अनुमति दी गयी.
– पथ निर्माण विभाग में संविदा के तहत कार्यों का निष्पादन के दौरान उत्पन्न किसी तरह के विवाद का निपटारा करने के लिए एक ट्रिब्यूनल का गठन और ठेकेदारों को बैंक गारंटी का 75 फीसदी भुगतान करने का प्रावधान किया गया.
– केंद्र सरकार की संस्थान सी-डैक और पटना आईआईटी संयुक्त रूप से एक आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित करने के लिए एक करोड़ 15 लाख रुपये का भुगतान राज्य सरकार की तरफ से किया जायेगा.