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रामनाथ कोविंद के कार्यकाल की पहली दया याचिका, वैशाली में 7 को जिंदा जलानेवाले जगत की दया याचिका खारिज
पटना : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल की पहली दया याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका सात लोगों िजंदा जलाने के दोषी वैशाली जिले के रामपुर श्यामचंद गांव के जगत राय ने दी थी. इस मामले में उसे फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है. राय ने फांसी की सजा को आजीवन […]
पटना : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल की पहली दया याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका सात लोगों िजंदा जलाने के दोषी वैशाली जिले के रामपुर श्यामचंद गांव के जगत राय ने दी थी.
इस मामले में उसे फांसी की सजा सुनायी जा चुकी है. राय ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की दरख्वास्त की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट पांच साल पहले ही खारिज कर चुका है. इसके बाद जगत राय ने राष्ट्रपति भवन का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली. राय की अर्जी पर राष्ट्रपति सचिवालय ने करीब 10 महीने तक विचार किया था.
एक जनवरी 2006 को वैशाली के रामपुर श्यामचंद गांव में जब विजेंद्र महतो अपने घर में पत्नी बेबी देवी, बेटे सूरज, अनिल व राजेश और बेटी पूनम व नीलम के साथ सो रहा था, तो जगत राय ने उसके घर में आग लगा दी, जिसमें छह की मौके पर मौत हो गयी. जबकि विजेंद्र महतो बुरी तरह से झुलस गया था. बाद में उसकी भी मौत हो गयी. मौत से पहले उसने कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया दिया था.
भैंस चोरी का केस वापस नहीं लेने पर घर में लगा दी थी आग
मौत से पहले कोर्ट में दिये अपने बयान में विजेंद्र महतो ने आरोप लगाया था कि जगत राय, वजीर राय व अजय राय ने उसकी भैंस चुरा ली थी. इसका मामला दर्ज कराया गया था.
उसने जगत राय के खिलाफ केस वापस लेने से भी इन्कार कर दिया था. इसी का बदला लेने के लिए उसने घर में आग लगा कर मार डाला. घटना के बाद सीएम नीतीश कुमार भी घटनास्थल पर पहुंचे थे.सुप्रीम कोर्ट फांसी की सजा खत्म करने से इन्कार कर चुका था
जगत राय को निचली अदालत से फांसी की सजा मिली. इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन शीर्ष अदालत ने सितंबर 2013 में फांसी की सजा बरकरार रखी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए फांसी की सजा को समाप्त करने से इन्कार कर दिया था.
बताया जा रहा है कि यह दया याचिका िसतंबर 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास भेजी गयी थी. लेिकन उन्होंने इस पर उस समय इसलिए फैसला नहीं लिया कि नये राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया आरंभ हो गयी थी. मालूम हो िक प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में कुल 30 दया यािचकाओं को खारिज िकया था, िजनमें अफजल गुरु व अजमल कसाब की याचिका भी शामिल थीं.
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