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बिहार : ड्राइविंग लाइसेंस देने में कड़ाई से हो नियमों का पालन, कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट, सीएम ने दिये निर्देश

पटना : राज्य में सड़क हादसों को लेकर सड़क सुरक्षा से संबंधित उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को कई निर्देश दिये हैं. उन्होंने सड़क हादसों के गंभीर मामले में दो साल की सजा के प्रावधान में संशोधन की बात कही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट […]

पटना : राज्य में सड़क हादसों को लेकर सड़क सुरक्षा से संबंधित उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को कई निर्देश दिये हैं. उन्होंने सड़क हादसों के गंभीर मामले में दो साल की सजा के प्रावधान में संशोधन की बात कही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कड़े कानून की अनुशंसाएं की हैं.
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में विधि विभाग से परामर्श लेने की बात कही है. साथ ही उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किये जाने की बात कही है. कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि नयी सड़कों के निर्माण में अंडरपास व फुट ओवरब्रिज बनाया जाये. फुट ओवरब्रिज की डिजाइन और स्लोप ऐसी होगा कि दिव्यांग और किसानों के मवेशी भी आसानी से उस पार जा सकें. आवश्यकतानुसार दुर्घटना स्थलों, ब्लैक स्पॉट पर आदेशात्मक, सचेतक और सूचनात्मक सड़क चिह्नों का प्रयोग सुनिश्चित होना चाहिए.
सड़क सुरक्षा को लेकर हो व्यापक प्रचार-प्रसार :
बच्चों के मन में सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता जागृत करना आवश्यक है. ‘‘सड़क सुरक्षा नीति व कार्ययोजना’’ के अंतर्गत सूचना, शिक्षा व संचार को महत्वपूर्ण मानते हुए नीति का निर्माण किया जाये, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके. इसके लिए विद्यालयों में शैक्षणिक कार्यक्रम, जागरूकता अभियान, नियमों के पालन के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम का आयोजन करना सुनिश्चित किया जाये.
लाइसेंस जारी करने में कड़ाई से हो कानून का पालन :
मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाये. आवश्यकतानुसार कंप्यूटर बेस्ड सिमुलेटर की सभी जिलों में व्यवस्था हो.
वैसे आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था की जाये, जिससे जुर्माने की राशि की ऑटोमेटिक गणना हो सके. वाहनों के फिटनेस की जांच की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाये. सड़क से सटे घनी आबादी वाले गांवों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, गणमान्य व्यक्तियों को सड़क सुरक्षा की जानकारी देने व दुर्घटना से बचाव के लिए सजग करने के लिए व्यवस्था किये जाने की आवश्यकता है.
सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को तत्काल आपात चिकित्सा उपलब्ध होने से मृतकों की संख्या में अप्रत्याशित कमी लायी जा सकती है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने की जरूरत है.
मालूम हो कि मुजफ्फरपुर जिले में धर्मपुर गांव के निकट बोलेरो द्वारा नौ स्कूली बच्चों को कुचल दिया गया था. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता में यह कमेटी गठित की गयी थी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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