पटना : राज्य में वित्तीय प्रबंधन को हर तरह से दुरुस्त करने और सृजन जैसे घोटाले की पुर्नावृत्ति को रोकने के लिए नये वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2018 से सीएफएमएस प्रणाली शुरू होने जा रही है. सीएफएमएस (कॉम्प्रेंहेंसि फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) नाम की इस प्रणाली की मदद से सभी जिलों की ट्रेजरी और तमाम सरकारी लेन-देने की ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था शुरू हो जायेगी.
सरकारी खजाने से कब, कितने रुपये कहां गये या किसे ट्रांसफर हुए, इन तमाम बातों की मॉनीटरिंग मुख्यालय से ही वित्त विभाग कर सकेगा. पूरे सरकारी खजाने पर वित्त विभाग की सीधी नजर हमेशा बनी रहेगी. इस नयी प्रणाली के लागू होने से प्रखंड, जिला से लेकर मुख्यालय तक की सरकारी ट्रेजरी, आरबीआइ और आरबीआइ से जुड़े सभी बैंक आपस में जुड़ जायेंगे. इस प्रणाली को दो चरणों में लागू किया जायेगा. पहला एक अप्रैल और दूसरा एक अक्टूबर 2018 से लागू होगा, जिसके बाद इसके सभी 13 मॉड्यूल हर तरह से काम करने लगेंगे और पूरे राज्य में यह काम करने लगेगा.
वित्त विभाग ने पूरी कर ली है तैयारी
वित्त विभाग ने इस प्रणाली को लागू करने के लिए अपनी सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है. सभी जिलों के ट्रेजरी अधिकारियों और डीडीओ (व्यय एवं लेखा पदाधिकारी) को ट्रेनिंग देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. मार्च के मध्य तक सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को ट्रेनिंग देने का काम पूरा कर लिया जायेगा. इस प्रणाली का ट्रायल भी सचिवालय में कराया जा चुका है, जो सफल साबित हुआ. इस विशेष सॉफ्टवेयर प्रणाली को टीसीएस ने खासतौर से तैयार किया है. इसे कहीं से हैक करना या बिना किसी अनुमति के छेड़छाड़ करना संभव नहीं होगा. इसमें सुरक्षा को लेकर खासतौर से बंदोबस्त किये गये हैं.
बजट भी इसी प्रणाली के जरिये होगा तैयार
वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट भी इसी प्रणाली के जरिये तैयार किया जायेगा. सभी विभागों को इसी प्रणाली के जरिये वित्तीय वर्ष के बजट के लिए डिमांड मांगा जायेगा और इनके खर्च की स्थिति को देखते हुए इन्हें राशि आवंटित की जायेगी. इस प्रणाली की सबसे बड़ी खासियत है कि इससे वित्त विभाग को हर पल इस बात की अपडेट जानकारी मिलती रहेगी कि उसके किस बैंक एकाउंट या जिला ट्रेजरी के खाते में कितने रुपये जमा हैं. वित्त विभाग किसी बैंक और जिले में रखे सरकारी रुपये को आसानी से देख सकेगा. सभी विभागों और ट्रेजरी से जुड़ी तमाम निकासी और डिपोजिट की अपडेट रिपोर्ट भी हमेशा मुख्यालय को मिलती रहेगी. किस विभाग या योजना में कितने रुपये ट्रेजरी से कब निकले और इसके बाद कितने रुपये किस जिले की ट्रेजरी में बचे हुए हैं, यह भी बस एक क्लिक से पता चल जायेगा.