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उड़ान-2 में बिहार के दरभंगा व किशनगंज शामिल

पटना : केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय संपर्कता योजना के अंतर्गत बनायी गयी दूसरी सूची ‘उड़ान-2’ में बिहार के दो एयरपोर्ट दरभंगा और किशनगंज को रखा गया है. इससे इन दोनों एयरपोर्ट के विकास का मार्ग खुल गया है. अब इनके विकास के लिए कुछ शर्तों के साथ केंद्र सरकार 50 से 100 करोड़ […]

पटना : केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय संपर्कता योजना के अंतर्गत बनायी गयी दूसरी सूची ‘उड़ान-2’ में बिहार के दो एयरपोर्ट दरभंगा और किशनगंज को रखा गया है. इससे इन दोनों एयरपोर्ट के विकास का मार्ग खुल गया है. अब इनके विकास के लिए कुछ शर्तों के साथ केंद्र सरकार 50 से 100 करोड़ प्रति एयरपोर्ट की दर से खर्च करेगी. इस राशि से इन एयरपोर्ट पर नयी यात्री सुविधाओं का विस्तार किया जायेगा. रन-वे का रखरखाव, एटीसी व अन्य लैंडिंग सुविधाओं के विस्तार पर भी यह राशि खर्च की जायेगी.

2500 रुपये प्रति घंटे की हिसाब से तय होगा किराया

उड़ान स्कीम में स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि योजना के अंतर्गत विमानों का परिचालन शुरू करनेवाली कंपनी को प्रति रनिंग घंटे अधिकतम 2500 रुपये के दर से किराया वसूल कर सकेगी. इससे होनेवाले घाटे से बचाने के लिए एयरलाइन को नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा कुछ रियायतें भी दी जायेगी. तीन साल तक यह फेयर कैपिंग व रियायत जारी रहेगी. उसके बाद रूट के ठीक तरह विकसित हो जाने पर इसे हटाया जायेगा.

दरभंगा एयरपोर्ट की जांच के लिए टीम रवाना

दरभंगा एयरपोर्ट की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम दरभंगा पहुंच रही है. इनमें तीन सदस्य एयरपोर्ट ऑथिरिटी के हैं, जबकि एक डीजीसीए का. दरभंगा पर वायुसेना का एयरबेस है, जहां रन-वे की लंबाई 9000 फीट है. इतने लंबे रन-वे पर एयरबस 320 व बोईंग 737 जैसे विमान नियमित रूप से लैंड कर सकते हैं. कमर्शियल विमानों के सुविधाजनक लैंडिंग के लिए रन-वे का विजिबिलिटी कंडीशन भी महत्वपूर्ण है, जिसकी पटना से पहुंची टीम जांच करेगी. साथ ही, टीम नागरिक उड्ययन के लिए एयरपोर्ट को सुविधाजनक बनाने और उसमें जोड़ी जानेवाली नयी सुविधाओं पर आनेवाले खर्च का भी प्रारंभिक अनुमान लगायेगी.

किशनगंज से हो पायेगा केवल छोटे विमानों का परिचालन

किशनगंज में राज्य सरकार का साधारण हवाईपट्टी है, जिसकी लंबाई केवल 3000 फीट है. यहां से टर्बो प्रॉप इंजनवाले 10 से 20 सीटर विमानों का ही परिचालन हो पायेगा. एटीआर जैसे विमानों का परिचालन भी यहां से संभव नहीं होगा, क्योंकि उसके लिए भी कम से कम रनवे 5000 फीट लंबी होनी चाहिए. ऐसे में या तो यहां के रन-वे की लंबाई बढ़ानी होगी व संबंधित एटीसी सुविधाओं का विकास करना होगा या छोटे विमानों और एयरटैक्सी सेवा का चलन शुरू करना होगा.

पूर्णिया सूची से बाहर

उड़ान दो में शामिल करने के लिए पहले दरभंगा के साथ पूर्णिया पर विचार चल रहा था, क्योंकि वहां भी एयरफोर्स का बड़ा एयरबेस हैं, जिसके हवाई पट्टी की लंबाई एयरबस 320 व बोईंग 737 के लिए उपयुक्त है . लेकिन एयरफोर्स द्वारा रन-वे के रीकारपेटिंग वर्क शुरू करने की योजना बनाने के कारण पूर्णिया को प्रस्तावित सूची से बाहर निकालना पड़ा, क्योंकि इसके पूरा होने में अभी दो वर्ष लगेगा. उसके बाद किशनगंज को पूर्णिया की जगह शामिल किया गया.

उड़ान-1 नहीं शामिल था बिहार का एयरपोर्ट

क्षेत्रीय संपर्कता योजना के अंतर्गत देश के छोटे एयरपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए उड़ान-1 के नाम से पहली सूची 2016 में जारी की गयी, जिनमें 22 एयरपोर्ट शामिल थे. लेकिन, इसमें बिहार का एक भी एयरपोर्ट शामिल नहीं था.

उड़ान-2 में बिहार के दो एयरपोर्ट के साथ-साथ असम, पश्चिम बंगाल , सिक्किम आदि के एयरपोर्ट भी शामिल हैं.

मौखिक सूचना मिली है

मुझे एयरपोर्ट ऑथिरिटी के अधिकारियों के द्वारा उड़ान-2 में दरभंगा व किशनगंज एयरपोर्ट के शामिल होने की मौखिक सूचना मिली है. अगले एक-दो दिन में लिखित सूचना मिलने पर मैं उस बारे में विस्तार से बताउंगा. वैसे इससे दरभंगा व किशनगंज एयरपोर्ट के विकास का मार्ग खुल जायेगा.

कैप्टन दीपक कुमार सिंह,निदेशक सह विशेष सचिव

Prabhat Khabar Digital Desk
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