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बिहार : नयी नीति के बहाने प्रदेश में थमा आईटी विकास का पहिया

पटना : प्रदेश में आईटी क्षेत्र का विकास अब नयी नीति के बहाने रुका हुआ है. इस कारण इस क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की गति धीमी हो गयी है. वहीं, आईटी निवेशक भी सरकारी सहूलियतों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इस वजह से आईटी निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए नवंबर के पहले […]

पटना : प्रदेश में आईटी क्षेत्र का विकास अब नयी नीति के बहाने रुका हुआ है. इस कारण इस क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की गति धीमी हो गयी है. वहीं, आईटी निवेशक भी सरकारी सहूलियतों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
इस वजह से आईटी निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए नवंबर के पहले सप्ताह से चलाया जाने वाला अभियान भी रुक गया है. हालांकि, इस नयी नीति को नवंबर महीने में ही लागू होने की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि साल 2016 की औद्योगिक नीति से यह अलग होगी. इसमें संस्थान खोलने के लिए दिये जाने वाली जगह के बारे में भी नियम का उल्लेख किया जायेगा. कई उसमें निवेशकों ने नीति में बदलाव का सुझाव दिया है.
– आईटी सेक्टर की नयी इकाई को उत्पादन की तिथि से पांच साल तक एसजीएसटी में शत-प्रतिशत छूट और नियोजन लागत अनुदान दिया जायेगा
– आईटी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन से पहले ही इकाई को स्टांप ड्यूटी, पंजीकरण और भूमि समपरिवर्तन शुल्क में छूट दी जायेगी
एसजीएसटी में शत-प्रतिशत छूट
बिहार आईटी और आईटीईएस इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव-2017 के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि आईटी सेक्टर की नई इकाई को उत्पादन की तिथि से पांच साल तक एसजीएसटी में शत-प्रतिशत छूट और नियोजन लागत अनुदान दिया जायेगा. आईटी और आईटीईएस व इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर विनिर्माण प्रक्षेत्र में नियोजित सामान्य कर्मियों को 50 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला कर्मियों को सौ प्रतिशत ईएसआई और ईपीएफ योजनान्तर्गत अनुदान पांच वर्षों के लिए दिया जाएगा. इसे भी नई नीति में शामिल किया जायेगा.
किस वजह से बनायी जा रही नयी नीति
सूचना प्रावैधिकी विभाग के सूत्रों की मानें तो वर्तमान नीति में कई पेंचीदगियां हैं. इन्हें दूर करने और आईटी निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए नयी नीति बनायी जा रही है.
उदाहरण के तौर पर बियाडा या इसके बाहर की इकाइयों के लिए भूमि, शेड के लीज, बिक्री, हस्तांतरण पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क में शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति का प्रावधान इकाई के उत्पादन में आने के बाद किया गया है. वहीं, आईटी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन से पहले ही इकाई को स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण और भूमि समपरिवर्तन शुल्क में यह छूट दी जायेगी.
अभी की नीति में किसी बैंक द्वारा या आरबीआई और सेबी से पंजीकृत वित्तीय संस्थान से टर्म लोन लेने वाली इकाइयों को ब्याज का दस प्रतिशत ब्याज अनुदान देने का प्रावधान किया गया है. अनुदान की अधिकतम सीमा स्वीकृत परियोजना लागत का तीस प्रतिशत है. लेकिन आईटी क्षेत्र की इकाई के लिए इसे बढ़ाकर स्वीकृत परियोजना लागत का पचास प्रतिशत किया जायेगा.इसके साथ ही अनुदान की अधिकतम सीमा दस करोड़ से बढ़ाकर बीस करोड़ की जायेगी.
नयी नीति से होगा फायदा
बिहार में आईटी इंडस्ट्री के लिए नयी नीति बन रही है. यह नवंबर महीने में कैबिनेट से पास हो जायेगी. यह नीति साल 2016 की औद्योगिक नीति से अलग है. इसे लागू होने से इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर उद्योग लग सकेंगे.
-सुशील कुमार मोदी, उपमुख्यमंत्री सह आईटी मंत्री

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