पटना : बिहार में करीब दो करोड़ स्कूली बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा लिये जाने के बावजूद अब तक किताबें सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपरेशन लिमिटेड को भी पक्षकार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने पटना हाईकोर्ट को एचपीसीएल के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का निर्देश जारी किया है. मालूम हो कि याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह ने मई, 2017 में स्कूली बच्चों को किताब नहीं मिलने पर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन, पटना हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन लिमिडेट को पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद आनंद कौशल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
मालूम हो कि सूबे के करीब 73 हजार स्कूलों के करीब दो करोड़ छात्रों को किताबें अब तक उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. इन छात्रों की अर्धवार्षिक परीक्षा भी ले ली गयी है. बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा स्कूली छात्रों को किताबें उपलब्ध करायी जाती हैं. विभाग द्वारा बताया गया कि हिन्दुस्तान पेपर कॉपोरेशन द्वारा कागज उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण किताबें छात्रों को उपलब्ध नहीं करायी जा सकीं.
याचिकाकर्ता आनंद कौशल सिंह ने कहा है कि बिहार सरकार की लापरवाही का भुगतान बच्चों को करना पड़ रहा है. बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा भी ले ली गयी है. किताब जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए स्कूली छात्र आखिर कब तक जूझते रहेंगे. सरकार जब तक इन स्कूली छात्रों को किताबें देने की व्यवस्था नहीं करेगी, तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.