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लालू की पार्टी का उत्तराधिकारी तय है, जानिए कौन बनेगा राजद का अध्यक्ष !

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की पार्टी में दोबारा संगठन का चुनाव होने वाला है. 20 नवंबर को होने वाले पार्टी के खुले अधिवेशन की बात पार्टी की ओर से बता दी गयी है, लेकिन बताया जा रहा है कि राजद का अध्यक्ष तय कर […]

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की पार्टी में दोबारा संगठन का चुनाव होने वाला है. 20 नवंबर को होने वाले पार्टी के खुले अधिवेशन की बात पार्टी की ओर से बता दी गयी है, लेकिन बताया जा रहा है कि राजद का अध्यक्ष तय कर लिया गया है, महज घोषणा होनी बाकी है. जानकारी के मुताबिक राजद में लालू का विकल्प कौन बनेगा इसकी बात तय हो चुकी है. मजबूरी के कारण ही राबड़ी देवी ने पार्टी नेताओं की आपात बैठक बुलायी, वरना पार्टी की बैठकों से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू का निर्विरोध चुना जाना तय है. 2019 का लोकसभा चुनाव करीब है, इसलिए बेनामी संपत्ति का दंश झेल रहे इस सियासी परिवार में राजद के उत्तराधिकारी बनाना राजद की मजबूरी है.

लगभग बीस वर्षों बाद राजद फिर उसी दोराहे पर खड़ा है.बीस वर्षों पहले भी चारा घोटाला में लालू प्रसाद के जेल जाने की नौबत आने के बाद मुख्यमंत्री का ताज राबड़ी देवी को सौंपा गया था.आज फिर चारा घोटाला में सजा होने की संभावना को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद किसी को सौंपने की मजबूरी राजद के सामने है.क्योंकि 2019 का लोकसभा चुनाव करीब है और चुनाव के समय उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह अध्यक्ष द्वारा ही बांटा जाना है.तब सरकार चलानी थी अब पार्टी चलानी है.

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में पार्टी अध्यक्ष के लिए दो नाम राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव पर मंथन के बाद राबड़ी देवी का नाम लालू प्रसाद ने तय कर लिया हैं. क्योंकि तेजस्वी यादव पर पहले से नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है जिसका निर्वाह वे बखूबी कर भी रहे हैं.वैसे भी सदन से लेकर सड़क तक और फिर चुनाव में भाजपा-जदयू को एक्सपोज करने की जिम्मेदारी तेजस्वी पर है.इसके अलावा राजद के वरिष्ठ नेताओं को बांधे रखने के लिए भी तेजस्वी की तुलना में राबड़ी देवी को कमान सौंपना बेहतर समझा जा रहा है.हालांकि इसके बावजूद अभी से असंतोष सामने आने लगा है.वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपनी नाराजगी को यह कहकर जाहिर किया कि अध्यक्ष तो तय है.संगठन चुनाव तो चुनाव आयोग के दिशा निर्देश की मजबूरी में होता है.

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