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शरद की सदस्यता खत्म कराने उपराष्ट्रपति से मिले जदयू नेता, जानें… मामले से नीतीश क्यों हैं अलग!

नयी दिल्ली/पटना : महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा के साथ दोबारा से मिलकर बिहार में नयी सरकार के गठन किये जाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे पार्टी केवरिष्ठ नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता खत्म कराने के लिएजदयूने प्रयास तेज कर दिया है. इसी कड़ी में राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह और […]

नयी दिल्ली/पटना : महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा के साथ दोबारा से मिलकर बिहार में नयी सरकार के गठन किये जाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे पार्टी केवरिष्ठ नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता खत्म कराने के लिएजदयूने प्रयास तेज कर दिया है. इसी कड़ी में राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह और पार्टी के महासचिव संजय झा ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात कीहै.इस दौरान जदयू नेताओं ने उपराष्ट्रपति से पार्टी के बागी नेता शरद यादव की राज्यसभा से सदस्यता रद्द करने की मांग की है.

उपराष्ट्रपति को दिये ज्ञापन में बताया गया है किशरदयादव किस तरह स्वेच्छा से जदयू को त्याग चुके हैं. ज्ञापन के माध्यम से जदयू नेताओं ने उपराष्ट्रपति को शरद यादव के बागी तेवर से वाकिफ कराया है.साथ ही हाल के घटनाक्रम का जिक्रकरतेहुएउनकी गतिविधियों को जदयू के खिलाफ बताते हुए कार्रवाई की मांग की गयी है. जदयू कीओर से उपराष्ट्रपति कोसौंपे गये ज्ञापनमेंबताया गया है कि भाजपा के साथ जाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था. विधानमंडल, संसदीय दल, राष्ट्रीय कार्यसमिति और राष्ट्रीय परिषद को इसकी सहमति थी.

मालूम हो कि बिहार में महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने को लेकर शरद यादव पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं. इसी कड़ी में जदयू की तरफ से चेतावनी के बावजूद शरद यादव ने बीते दिनों पटना के गांधी मैदान में आयोजित राजद की महारैली में भी हिस्सा लिया था.

शरद के खिलाफ कार्रवाई में फंसाहैंये पेंच
जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के खिलाफ जदयू सीधे कार्रवाई करने सेपरहेजकरती दिख रही है. राजनीतिक जानकारों की मानेतो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न तो शरदयादव को पार्टी से निकालपारहे हैं और न ही उन्हें देर तक साथ रखने के मूड मेंदिख रहे हैं. दरअसल, महागठबंधन से नाता तोड़ने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे शरद यादव खुलकर बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. ऐसे में पार्टी के राज्यसभा सांसद शरद यादव पर जदयू कार्रवाई करना तो चाहती है, लेकिन नियमों ने पेंच फंसा कुछ ऐसा फंसा है जिसके कारण पार्टी चाहकर भी उनके खिलाफ सीधे कार्रवाई नहीं पा रही हैं.

मालूम हो कि पिछले दिनों राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और महासचिव संजय झा ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात कीथी.इस दौरान शरद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गयी थी.राजनीतिकजानकारोंकीमाने तो जदयू चाहती हैं कि वेंकैया राज्यसभा के सभापति होने के नाते शरद यादव की सदस्यता खत्म कर दें क्योंकि शरद पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं. सवाल उठता है कि शरद यादव के खिलाफ आखिरजदयूखुद कार्रवाईक्यों नहीं कर रही हैऔर इसके लिए राज्यसभा के सभापति के पास अपील क्यों की जा रही है.

इस हाल में राज्यसभा सदस्यता नहीं होगी खत्म
जानकारों की माने तो शरद यादवपर अगर नीतीश कुमार खुदएक्शन लेकर पार्टी से निष्कासित करते हैं, तो ऐसी स्थिति में उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म नहीं होगी. दूसरी ओर यदि शरद यादव खुद पार्टी छोड़कर जाते हैं तो उनकी राज्यसभा सदस्यता चली जाएगी. यही वजह है कि जदयू चाहती है कि शरद या तो पार्टी से इस्तीफा दे दें या राज्यसभा के सभापति उन पर कार्रवाई करते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दें.

सदस्यता जाने का प्रावधान
दरअसल, संविधान की 10वीं अनुसूची में सदन के बाहर के आचरण पर भी सदस्यता जाने का प्रावधान है और इससे पूर्वभाजपा ने अपने राज्यसभा सदस्य जयनारायण निषाद और जनता दल यूनाइटेड ने उपेंद्र कुशवाहा की सदस्यता रद्द करवाई थी. इसी के मद्देनजर जदयू नेता आरसीपी सिंह और संजय झा ने शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को ज्ञापन दिया है.

ये भी हैं कारण
शरद यादव के खिलाफ नीतीशकुमार अगर सीधे एक्शन लेते हैं और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाते हैं तो शरद खुद कोशहीद के तौर पर पेश कर सकते हैं. ऐसे में उनके पक्ष में सहानुभूति हो सकती है.येभी एक कारण माना जा रहा है जिसको लेकर जदयू उनके खिलाफ सीधी कार्रवाई से बच रही हैं. साथ ही शरद के खिलाफ सीधी कार्रवाई से पार्टी में बगावत हो सकती है. इसलिए जदयू फूंक-फूंक कर कदम रख रखने की रणनीति पर कार्य कर रही हैंजिससेपार्टी के भीतरकिसीतरहके कोई विवाद से बचा जा सकें.

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