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पीएम ने सीमांचल में मची तबाही का लिया जायजा, दुख-दर्द बांटने का दिया भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को सीमांचल के दौरे पर थे. वे सुबह 09:55 बजे विशेष विमान से चूनापुर सैन्य हवाई अड्डा पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत आपदा मंत्री दिनेश चंद्र यादव और राज्य सरकार के मंत्री, सांसद और विधायकों ने प्रधानमंत्री की अगवानी की. ठीक 10 बज कर 05 […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को सीमांचल के दौरे पर थे. वे सुबह 09:55 बजे विशेष विमान से चूनापुर सैन्य हवाई अड्डा पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत आपदा मंत्री दिनेश चंद्र यादव और राज्य सरकार के मंत्री, सांसद और विधायकों ने प्रधानमंत्री की अगवानी की.
ठीक 10 बज कर 05 मिनट पर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और आपदा प्रबंधन मंत्री के साथ पूर्णिया के अलावा कटिहार, अररिया और किशनगंज के बाढ़ प्रभावित इलाके के हवाई सर्वे के लिए निकल गये. हवाई सर्वे के दौरान आकाश में उनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी. एक हेलीकॉप्टर में प्रधानमंत्री सवार थे तो दूसरे में दिल्ली से आये वरीय अधिकारी और तीसरे में एसपीजी के विशेष कमांडों मौजूद थे.
15 मिनट अधिक पीएम ने किया हवाई सर्वे
सीमांचल में बाढ़ से आयी तबाही का असर कुछ ऐसा रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्धारित समय से 15 मिनट अधिक हवाई सर्वेक्षण किया. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उन्हें 45 मिनट तक ही हवाई सर्वे करना था.
लेकिन बाढ़ से उपजी त्रासदी के मंजर को देख कर उनका सर्वेक्षण काल 15 मिनट अधिक चलता रहा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ने माना कि बाढ़ से व्यापक नुकसान पहुंचा है. हवाई सर्वेक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने बाढ़ से हुई क्षति के बारे में मौखिक रूप से तो बताया ही, आंकड़ों की तसवीर पेश कर भी उन्हें त्रासदी से उपजी स्थिति से अवगत कराया. सर्वेक्षण के बाद 11 बज कर 05 मिनट पर प्रधानमंत्री पुन: चूनापुर सैन्य हवाई अड्डा पहुंचे.
40 मिनट तक जारी रही मैराथन बैठक
बाढ़ की त्रासदी से रूबरू होने के बाद प्रधानमंत्री सैन्य हवाई अड्डा पर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल पहुंचे. वहां उन्होंने केंद्र से आये उच्च अधिकारियों और राज्य के आलाधिकारियों की उपस्थिति में मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में शामिल हुए.
इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव मौजूद थे. बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने पूरे बिहार में बाढ़ से हुई क्षति का विस्तृत आंकड़ा प्रस्तुत किया. प्रधानमंत्री ने क्षति के ब्योरे को विस्तार से सुना और आपदा की इस घड़ी में दुख-दर्द बांटने का भरोसा देते हुए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया. इसके बाद तत्काल ही प्रधानमंत्री ने राज्य को इस आपदा से निपटने के लिए 500 करोड़ रूपये देने की घोषणा की.
आकाश में एसपीजी की सुरक्षा बाहर एटीएस ने संभाला मोर्चा
जमीन से लेकर आकाश तक पर सुरक्षाकर्मियों की पैनी नजर तब तक टिकी रही, जब तक प्रधानमंत्री पूर्णिया से कार्यक्रम समाप्त कर दिल्ली के लिए रवाना नहीं हो गये. जमीन पर वे चूनापुर सैन्य हवाई अड्डे के ही अंदर रहे.
इसके बावजूद सैन्य हवाई अड्डे के अंदर और बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. प्रधानमंत्री के आगमन के तीन दिन पूर्व एसपीजी के आइजी स्तर के अधिकारी एवं सुरक्षाकर्मी पूर्णिया पहुंच चुके थे. जबकि प्रधानमंत्रीके सुरक्षा के लिए विशेष कमांडों दस्ता करीब 50 की संख्या में एक दिन पूर्व पहुंच कर सैन्य हवाई अड्डा के अंदर तैनात कर दिये गये थे.
सुरक्षाकर्मियों द्वारा मेटल डिटेक्टर के द्वारा पूरे हवाई अड्डे परिसर की जांच की गयी. दिल्ली से एटीएस के करीब एक दर्जन सुरक्षाकर्मी हवाई अड्डे के बाहर आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखे हुए थी. प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व मिलने वालों की पूरी तलाशी लेकर ही अंदर प्रवेश दिया गया. यहां तक कि जिस वाहन के नंबर प्राप्त सूची में अंकित नहीं थे, उन्हें हवाई अड्डे के गेट पर ही रोक दिया गया.
सशस्त्र सीमा बल के एक दस्ते को भी हवाई अड्डा के अंदर तैनात किया गया था. भागलपुर प्रक्षेत्र के आइजी बच्चू सिंह मीणा, दरभंगा प्रक्षेत्र के आइजी उमाशंकर सुधांशु सहित पूर्णिया प्रक्षेत्र के डीआइजी सौरभ कुमार, एसपी निशांत कुमार तिवारी सुरक्षा-व्यवस्था का लगातार जायजा लेते रहे. वहीं बीएमपी महिला बटालियन की सिपाही को भी हवाई अड्डा के बाहर तैनात किया गया था.
पीएम व सीएम के नहीं हुए दर्शन चिलचिलाती धूप में खड़े रहे लोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्णिया आगमन और चूनापुर एयरपोर्ट पर आहूत विशेष बैठक को लेकर वायुसेना के एयरपोर्ट के गेट पर सुबह से ही वीआइपी लोगों के साथ सांसद और विधायक के समर्थक पहुंचने लगे थे.
सबकी निगाहें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के एक झलक पाने को बेचैन थी. सरकारी निर्देश के अनुसार जिनके परिचय पत्र थे, वे एयरपोर्ट के अंदर पहुंचे और जिनके नहीं बने थे, उन्हें गेट के बाहर करीब चार घंटे चिलचिलाती धूप में अपने नेता के बाहर आने का इंतजार करना पड़ा. बाहर सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद थी. जितने नेताजी के समर्थक बाहर मौजूद थे, उससे अधिक पुलिस और सुरक्षा में तैनात अन्य जवान मौजूद थे.
दस हजार करोड़ रुपये से अधिक की हुई मांग
उम्मीद. प्रमंडलवासियों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा पूरा : आपदा मंत्री
पूर्णिया : शनिवार को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है. सूबे के लघु सिचाई व आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने प्रभात खबर से हुई बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री से आपदा विभाग ने चार हजार दो सौ 82 करोड़ रुपये की मांग की है.
इसके अलावा बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में सुविधाएं व क्षति की पूर्ति के लिए 10 हजार 707 करोड़ रुपये की मांग प्रधानमंत्री से की गयी है. आपदा मंत्री ने बताया कि राज्य के इस प्रस्ताव
पर देश के प्रधानमंत्री ने साकारात्मक आश्वासन देते कहा कि आप राज्य में बाढ़ से हुई क्षति का सटीक आकलन कर केंद्र को भेजें. वहां से एक टीम बनाकर प्रस्ताव का अवलोकन किया जायेगा.
जिसके बाद पर्याप्त सहायता मुहैया करायी जायेगी. फिलहाल प्रधानमंत्री द्वारा पांच सौ करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गयी है. जबकि प्रस्ताव के अवलोकन के बाद राज्य सरकार को उम्मीद है कि हमारे द्वारा प्रस्तावित मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जायेगा.
मुख्य सचिव ने दिया प्रेजेंटेशन
एयरपोर्ट के कांफ्रेंस हॉल में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने राज्य सरकार की तरफ से हुई क्षति का ब्योरा दिया. प्रजेंटेशन के माध्यम से बाढ़ प्रभावित इलाकों व क्षति की जानकारी दी गयी. इस दौरान सरकार की तरफ से मुख्य सचिव ने बताया कि बाढ़ से बिहार के 19 जिलाें के 185 प्रखंडों की 2344 पंचायत की एक करोड़ की आबादी प्रभावित हुई है.
इस दौरान सरकार द्वारा 10783.32 करोड़ की क्षति का ब्योरा दिया गया. इसमें आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से चार हजार दो सौ 41 करोड़, कृषि क्षेत्र में 968.25 करोड़, पथ नर्मिाण की ओर से 780.11 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग की ओर 1403.55 करोड़, पशुपालन व मत्स्य विभाग की ओर से 553.83 करोड़ व जल संसाधन विभाग की ओर से 2800.58 करोड़ की क्षति की बात कही गयी.
पीएम से मुलाकात करने वालों की सूची में 32 नाम थे शामिल
जिला प्रशासन की अनुशंसा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रधानमंत्री से मिलने के लिए जो आगंतुकों की सूची बनायी गयी थी, उसमें 32 नाम शामिल थे. सैन्य हवाई अड्डा के मुख्य गेट पर कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच अंदर प्रवेश करने वालों की न केवल गहन जांच-पड़ताल की गयी, बल्कि उनकी पहचान भी सुनिश्चित की गयी.
इसके बाद ही आगंतुकों को अंदर जाने की इजाजत दी गयी. जो लोग इस सूची में शामिल थे, उनमें बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, खान एवं भूतत्व मंत्री विनोद कुमार सिंह, सांसद संतोष कुशवाहा, पूर्व सांसद निखिल चौधरी, पूर्व सांसद उदय सिंह, पूर्व सांसद प्रदीप सिंह, विधायक लेसी सिंह, विधायक बीमा भारती, विधायक तारकिशोर प्रसाद, विधायक विजय खेमका, विधान पार्षद दिलीप कुमार जायसवाल, अशोक अग्रवाल, पूर्व विधायक सबा जफर, नगर निगम महापौर विभा कुमारी, जिला परिषद अध्यक्ष क्रांति देवी, कटिहार जिला परिषद अध्यक्ष गुड्डी देवी, भाजपा संगठन मंत्री अभय गिरी, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रफुल्ल रंजन वर्मा, जदयू जिलाध्यक्ष शंभू मंडल, जदयू नगर जिलाध्यक्ष नीलू सिंह पटेल आदि शामिल थे.
मीडिया कर्मियों को किया निराश
आलम यह था कि एयर वेस के अंदर कब पीएम आये और कब सीएम, कौन किसके साथ आया है, यह जानने की बेचैनी बाहर खड़े सभी लोगों में थी. मीडियाकर्मियों को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली थी.
लिहाजा बाहर खड़े मीडियाकर्मी अंदर मौजूद अपने-अपने सूत्रों से संपर्क साधने में लगातार जुटे रहे. वहीं से पीएम के आने और सर्वेक्षण में जाने, फिर वापस लौटने और दिल्ली लौटने की जानकारी मिलती रही. लेकिन स्थानीय राजनेताओं को भी अंदर आयोजित बैठक में शामिल होने का मौका नहीं मिल सका. ऐसे में पीएम के जाने के बाद जब एक-एक कर नेता लोग बाहर आने लगे तो मीडिया कर्मियों ने ऐसे नेताओं से बैठक के नतीजे जानने की कोशिश की. लेकिन सभी अपनी-अपनी ही बात कहने में मग्न रहे और ऐसे में मीडियाकर्मियों को निराशा ही हाथ लगी.
जब नेताजी का आश्वासन हुआ चुनावी साबित
प्रधानमंत्री के आगमन पर उनसे मुलाकात के इच्छुक राजनेताओं की लंबी फेहरिस्त थी. इसमें कद्दावर नेता के साथ-साथ सामान्य श्रेणी के समर्पित कार्यकर्ता भी शामिल थे. कद्दावरों को अंदर जाने की अनुमति तो उच्चस्तर पर ही मिल गयी थी, लेकिन अन्य कार्यकर्ता इस उम्मीद में नेताजी के साथ गये थे कि उनकी नैया भी नेताजी के साथ ही पार हो जायेगी.
लेकिन एयरपोर्ट के मुख्य गेट पर ही जबरदस्त सुरक्षा-व्यवस्था रखी गयी थी. पीएमओ द्वारा जो मुलाकातियों की सूची जारी की गयी थी, उसका कड़ाई से पालन किया गया. इसके लिए मुख्य द्वार पर प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों को भी तैनात किया गया था. ऐसे में अपने नेता के कई कार्यकर्ताओं को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली. एक मायूस कार्यकर्ता ने कहा ‘ नेताजी बोले थे कि वहां जुगाड़ हो जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका ‘ .
Prabhat Khabar Digital Desk
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