आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना
बिहार में बाढ़ की भीषण त्रासदी के बीच फंसी माएं इस प्राकृतिक आपदा के बीच भी नवजात जिंदगी का सृजन कर रही हैं. बाढ़ में फंसी जिंदगी जान और जहान को खोज रही है. इस बीच नयी जिंदगी के जन्म का सिलसिला भी जारी है. बुधवार को बिहार के बाढ़ग्रस्त मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड में एक प्रसूता मां ने राहत-बचाव कार्य में देवदूत की जूझ रही एनडीआरएफ केरेस्क्यू बोट में एक बच्ची को जन्म दिया. पटना से सटे बिहटा स्थित एनडीआरएफ की 9वीं बटालियन के कमांडेंट विजय सिन्हा ने बताया कि बाढ़ग्रस्त बेनीपट्टी इलाके से प्रसूता फरजाना खातून को सुरक्षित नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के क्रम में महिला ने एनडीआरएफ की बोट में ही एक बच्ची को जन्म दिया. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ के बचावकर्मियों ने अब तक 22 प्रसूताओं को अलग-अलग जिलों में उनके बाढ़ग्रस्त घरों से सुरक्षित निकालकर नजदीकी अस्पताल पहुंचाया है. इसके अलावा एनडीआरएफ के बचावकर्मियों ने अपनी कार्यकुशलता और अदम्य साहस का परिचय देते हुए, अब तक बाढ़ में डूबते हुए सात लोगों को बचाया है. एनडीआरएफ के इस जज्बे को बाढ़ में फंसी जिंदगी सलाम कर रही हैं.
देवदूत बने एनडीआरएफ के जवान
बिहार के बाढ़ वाले जिले लबालब जल से भरे हुए हैं. छोटी-मोटी बरसाती नदियां भी लगता है, स्वतंत्र होकर विचरण कर रही हैं. बाढ़ का एक भयानक दृश्य चारों ओर देखने को मिल रहा है. इन दृश्यों के बीच देवदूत की तरह सेना और एनडीआरएफ के जवान राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं. लोगों के घर, खेत, जानवर, उनके बगीचे और उनके सपनों पर ऐसा लगता है कि बाढ़ से बने समंदर ने कब्जा कर लिया है. जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. चारों ओर से बस गुहार की आवाज आ रही है. इन आवाजों के बीच एक ऐसी आवाज भी जन्म लेती है, जिसेकिलकारी कहते हैं. बाढ़ के दौरान प्रसूता महिलाओं की स्थिति और भी नाजुक हो जाती है, लेकिन उनके नयी जिंदगी के सृजन को एनडीआरएफ की टीम का सहारा मिल रहा है.
बाढ़ के दौरान जन्म लेनेवाले बच्चों के नाम
बाढ़ में जन्म लेने वाले बच्चों की भी एक रोचक कहानी बन जाती है. एक साल पहले 2016 में जब गंगा का पानी बढ़ा और पटना से सटे नकटा दियरा सहित बाकी इलाके जलमग्न हो गये. उस समय, दियरा की रहनेवाली सविता देवी ने एक लड़के को जन्म दिया और उसका नाम गंगा के नाम से गंगेश रख दिया. सरिता देवी ने बताया था, कि उन्होंने यह नाम गंगा को समर्पित किया और नाम इसलिए रखा, ताकि याद रहे कि यह बाढ़ में विस्थापित होने के बाद राहत शिविर में पैदा हुआ है. नकटा दियरा की रहनेवाली गुड़िया देवी ने जब अपने बच्चे को रेस्क्यू बोट में जन्म दिया, तो उसका नाम रखा गंगा पुत्र भीष्म. एनडीआरएफ के अधिकारी कहते हैं कि बहुत सारे लोग बाढ़ के दौरान पैदा होने वाले बच्चों का नाम ऐसा रखना चाहते हैं, ताकि उन्हें यह याद रहे कि बाढ़ के दौरान वह नदी के बीचोबीच पैदा हुआ था. कई लोगों ने अपने बच्चों का नाम 2016 की बाढ़ के दौरान नमामि गंगे भी रखा था. 2016 में भोजपुर जिले में बाढ़ के दौरान पैदा हुए एक बच्चे का नाम एनडीआरएफ सिंह रख दिया गया था.
नदियां निर्माण का भी काम करती हैं : स्वतंत्र मिश्र
बिहार में आये इस भीषण प्राकृतिक आपदा के कारण 14 जिलों के 110 प्रखंड और 1,151 पंचायत क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और कुल 73.44 लाख आबादी प्रभावित हुई है. अंदाजा लगाया जा सकता है, कितनी जिंदगियों को बाढ़ ने तबाह कर रखा है. राज्य सरकार के द्वारा बाढ़ में घिरे लोगों को सुरक्षित निकाले जाने का कार्य युद्ध स्तर पर कर रही है. अब तक 2.74 लाख लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाके से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाये जाने की सूचना है. 504 राहत शिविर चलाये जा रहे हैं, जिसमें 1.16 लाखलोगोंने शरण लिया है. बाढ़ और नदियों के मामलों के जानकार स्वतंत्र मिश्र कहते हैं. बाढ़ प्रकृति का एक हिस्सा है. वह जीवन का एक हिस्सा है. इन तीन-चार महीनों में गिरे पानी से हमारा जीवन चलता है, लेकिन जब हम अपनी छोटी-मोटी जरूरतों के लिए नदियों के रास्ते में अड़चन डालते हैं, कभी यह जरूरी भी हो सकता है कि नदी भी आपके किये गये कामों को याद रखती है और वह भी उसका बदला चुकाने के लिए कुछ खेल खेलती है. उसके कारण बाढ़ आती है. लेकिन एक समय में बाढ़ केवल तबाही का कारण नहीं थी, वह निर्माण का भी काम करती थी.
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