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‘सृजन’ घोटाले में डीएम के स्टेनो सहित सात गिरफ्तार

सख्ती. जांच के तीन िदन बाद इओयू के आइजी ने की पुिष्ट भागलपुर : सरकारी राशि धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने डीएम के स्टेनो प्रेम कुमार सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. डीएम के स्टेनो के अलावा पुलिस ने इंडियन बैंक कर्मी अजय पांडेय, फर्जी तरीके से कंप्यूटर और प्रिंटर से बैंक स्टेटमेंट […]

सख्ती. जांच के तीन िदन बाद इओयू के आइजी ने की पुिष्ट
भागलपुर : सरकारी राशि धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने डीएम के स्टेनो प्रेम कुमार सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. डीएम के स्टेनो के अलावा पुलिस ने इंडियन बैंक कर्मी अजय पांडेय, फर्जी तरीके से कंप्यूटर और प्रिंटर से बैंक स्टेटमेंट निकालने और पासबुक अपडेट करने वाले बंशीधर, नाजिर राकेश यादव व राकेश झा, सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की वर्तमान प्रबंधक सरिता झा और सृजन के ऑडिटर एससी झा को गिरफ्तार किया है. प्रेम कुमार को उसके झौवाकोठी स्थित आवास से पुलिस ने गिरफ्तार किया.
जांच शुरू किये जाने के तीसरे दिन आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) के आइजी जेएस गंगवार ने शुक्रवार को गिरफ्तारी की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अभी जांच जारी है और आने वाले दिनों में जिनके भी विरुद्ध साक्ष्य मिलेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. धोखाधड़ी की राशि के बारे में उन्होंने कहा कि अब तक 295 करोड़ का ही मामला सामने आया है. जांच में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. अभी तक धोखाधड़ी के इस माले में तीन प्राथमिकी कोतवाली (तिलकामांझी) थाने में ( कांड संख्या 494/2017, 499/2017 और 500/2017) दर्ज की गयी है.
धोखाधड़ी की राशि बैंक से वसूलने की तैयारी
इओयू के आइजी जेएस गंगवार ने कहा कि धाेखाधड़ी से निकाली गयी सरकारी राशि की बैंक से रिकवर करने के बिंदु पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए डीडीसी को भी बुलाया गया. इस बिंदु पर कानूनी पहलू भी देखा जा रहा है.
उनका कहना है कि इसको लेकर बैंकों को नोटिस भेजा जायेगा. जिस तरह से इस धोखाधड़ी में बैंको की मिलीभगत साफ सामने आयी है, उसे देखते हुए रिकवरी भी वहीं से कराने की तैयारी की जा रही है. जिस तरह से धोखाधड़ी की राशि बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए अभी यह तय कर पाना मुश्किल है कि रिकवरी की राशि कितनी होगी. इस बिंदु पर बात करने के लिए कई अन्य वरीय बैंक अधिकारियों को भागलपुर बुलाया गया. उनसे इओयू और पुलिस की टीम ने पूछताछ की.
बंशीधर ने उगले राज, तो जांच की राह आसान
सैकड़ों करोड़ की सरकारी राशि की धोखाधड़ी का पता जिला प्रशासन को न चले इसको लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भीखनपुर के बंशीधर को जब पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो उसने कई राज उगले. इसके बाद अन्य लोगों की गिरफ्तारी और जांच में आसानी हुई. बंशीधर ही है, जिसे सृजन द्वारा फर्जी बैंक स्टेटमेंट और पासबुक अपडेट करने के लिए रखा गया था. इसके लिए उसे प्रत्येक महीने सैलरी दी जाती थी.
उसने पूछताछ के दौरान बताया कि किस तरह जिला प्रशासन से बैंक स्टेटमेंट की मांग होने पर वह लैपटॉप और प्रिंटर से फर्जी स्टेटमेंट निकालता था. पासबुक को फर्जी तरीके से अपडेट करने का काम भी बंशीधर ही किया करता था. उसने पूछताछ में बैंक, कलेक्टरेट और सृजन के उन पदाधिकारियों और कर्मियों के नाम बताये जो इस धोखाधड़ी में शामिल थे.
जांच के लिए सहकारिता विभाग ने टीम गठित की
पटना : सहकारिता विभाग ने भागलपुर की सृजन महिला विकास सहयोग समिति में अरबों रुपये के हुए घोटाले की जांच के लिए एक जांच टीम गठित की है.
राज्य के सहकारिता मंत्री राणा रंधीर ने बताया कि विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा व अन्य वरीय अधिकारियों के साथ पूरे मामले पर बैठक कर समीक्षा की गयी. को-आॅपरेटिव बैंक के भी 40 करोड़ रुपये का गोलमाल हुआ है. विभाग के वरीय अधिकारी के नेतृत्व में विभाग की टीम भागलपुर जाकर मामले की जांच करेगी.
भाजपा नेताओं के नाम आये सामने, एक ने 40 लाख लोन लेकर नहीं लौटाया
पटना : सृजन घोटाले की आंच व्यवसायियों की मंडली से लेकर अब नेताओं तक पहुंचने लगी है. अब तक की जांच में यह बात साबित हो गयी है कि भाजपा किसान प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष बिपिन शर्मा ने सृजन से कई किस्तों में 40 लाख रुपये से ज्यादा का लोन लिया था, जो अब तक नहीं लौटाया है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में भाजपा के दो सांसदों के परिवारवालों के पास भी पैसे पहुंचने की बात सामने आयी है. इनमें एक सांसद के परिवार वालों ने इसी पैसे से शोरूम खोल रखा है. हालांकि, इस मामले में अभी और सबूत जमा किये जा रहे हैं, ताकि इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सके. इसके अलावा कुछ अन्य दलों के नेताओं के नाम भी सामने आने की आशंका है. इनके पास भी सृजन के पैसे सीधे या इनके परिवार के किसी करीबी सदस्य के पास पहुंचे हैं.
सबने किसी-न-किसी रूप में फायदा उठाया है. अब तक जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि सरकारी पैसे निकलते थे और सभी खातों में बराबर तौर पर बंटते थे. इनमें रियल स्टेट के बड़े कारोबारी, अन्य बिजनेसमैन से लेकर नेता और उनके परिवार वाले भी शामिल हैं. सबसे ज्यादा पैसे रियल स्टेट में निवेश हुए हैं. बिल्डरों का बड़ा कुनबा इससे लाभान्वित हुआ है. जल्द ही सबके नाम सामने आने वाले हैं. ओड़िशा और पश्चिम बंगाल के भी कई व्यापारियों को पैसे फंडिंग किये जाते थे. इससे जुड़े सभी पहलुओं की जांच गंभीरता से चल रही है.
पटना समेत अन्य जिलों से जुड़े हैं इसके तार
सृजन घोटाले के तार पटना, पूर्णिया समेत अन्य जिलों से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं. जांच में यह बात सामने आयी है कि सृजन के खातों से पैसे दूसरे जिलों के अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किये जाते थे. यह पता किया जा रहा है कि पैसे निकलने के बाद किन-किन लोगों के पास कितने रुपये बांटे गये हैं. किस स्तर के लोग इससे सीधा फायदा उठाते थे.
अब तक हुए सभी ट्रांजेक्शन की हो रही जांच
2008 से अब तक हुए सभी ट्रांजेक्शन की छानबीन चल रही है. जांच में उन बिंदुओं को भी खासतौर से फोकस किया जा रहा है कि सरकारी खातों से पैसे निकालने के बाद इसे मैनेज करके कैसे रखा जाता था? पासबुक से लेकर बैंक स्टेटमेंट को कैसे बैलेंस करके रखा जाता था, इसकी जांच विस्तृत तरीके से की जा रही है.
पैसे मार्केट में अलग-अलग तरह से होते थे रोटेट
अब तक यह पूरी तरह से स्पष्ट तो नहीं पाया है कि खाते से निकलने के बाद करोड़ों रुपये का क्या होता था. लेकिन, जांच में मिले सबूतों के आधार पर यह समझा जा रहा है कि ये रुपये बाजार में अलग-अलग तरीके से रोटेट किये जाते थे.
कई तरह के ब्लैक और ग्रे मार्केट में ये रुपये चलाये जाते थे. दर्जनों के पास ये रुपये पहुंचते थे और इसके मुनाफा पाने वालों में दर्जनों सफेदपोश से लेकर अधिकारी तक शामिल थे. पैसे के रोटेशन में ब्लैक से व्हाइट का भी खेल होता था, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. सबसे अहम बात है कि इस रुपये से कौन-कौन सीधे तौर पर मुनाफा कमाते थे. जांच में कई बड़े नाम का खुलासा होने की भी आशंका है.
अबूझ पहेली बना शैडो खातों का खेल
इस मामले में यह बात प्रमुखता से सामने आयी है कि जिस विभाग के पीएल खाते से रुपये निकाले जाते थे, इसकी जानकारी जानकारी विभागीय अधिकारी या कर्मियों को नहीं होती थी. जो लोग मिले हुए थे, सिर्फ उन्हें ही पता होता था. माना जा रहा है कि संबंधित विभाग के पीएल खाते से जुड़ा एक शैडो एकाउंट खोल कर बैलेंस को मेंटेन करके दिखाया जाता था. इस खाते का कोई स्टेटमेंट निकाले या पासबुक पर बैलेंस प्रिंट करके भी ले, तो उसे बिल्कुल सही बैलेंस दिखता था.
इतना ही नहीं, अगर इस खाते से भुगतान के लिए कोई चेक काटा गया, तो निर्धारित तिथि से पहले उतने रुपये खाते में पहुंचा दिये जाते थे. इस आधार पर यह आशंका जतायी जा रही है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह होना संभव नहीं है. इस शैडो एकाउंट के पूरे खेल का पता लगाया जा रहा है.

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