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बिहार में शोध पत्र को लेकर राजनीति तेज, तेजस्वी ने मुख्यमंत्री पर उठाया सवाल

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा लगाये गये जुर्माने के बाद बिहार में सियासत तेज हो गयी है. इस मामले पर ट्वीट करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हमला बोला है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि मुख्यमंत्री जी बतायें,किसी छात्र का शोध पेपर अपने नाम से […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा लगाये गये जुर्माने के बाद बिहार में सियासत तेज हो गयी है. इस मामले पर ट्वीट करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हमला बोला है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि मुख्यमंत्री जी बतायें,किसी छात्र का शोध पेपर अपने नाम से छापना कौन सी नैतिकता है?नैतिकता का निर्धारण सहूलियत से करने पर अंतरात्मा क्या बोलती है? तेजस्वी ने आगे ट्वीट किया है कि पर साहब, वो तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते है लेकिन जनता सच्चाई जानती है कि अकेले मेंइकाई में ही सिमट जाते है. आंकड़े देखिए, इतिहास गवाह है. ज्ञात हो कि दिल्ली हाइकोर्ट ने जेएनयू के पूर्व शिक्षाविद से नेता बने एक व्यक्ति द्वारा कॉपीराइट के उल्लंघन पर एक कानूनी वाद से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रतिवादी के रूप में नाम हटाने का अनुरोध खारिज कर दिया और उन पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

इससे पूर्व तेजस्वी यादव ने जदयू राजद महागठबंधन के टूटने के बाद नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री के इस फैसले पर ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने 50 साल से ऊपर के शिक्षकों को जबरन रिटायर करने का फैसला लिया गया था. तेजस्वी ने कहा कि इसके लिए आप जिम्मेदार हैं, आप भी तो 65 पार हो गये, सन्यास ले लेना चाहिए. तेजस्वी ने यह कहा था कि बिहार की शिक्षा का मज़ाक़ बनाने और बनवाने में नीतीश जी ने कोई कोर-कसर नही छोड़ी।बिहार की दो पीढ़ियों का भविष्य खराब कर दिया है नीतीश जी ने. तेजस्वी ने पुलिस सिपाही भर्ती पर लिखा है कि पुलिस सिपाही के लिए बिहार में लिखित परीक्षा ली गयी लेकिन विद्यार्थियों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षकों के लिए नीतीश जी ने लिखित परीक्षा नहीं ली. और आज जब पूरे देश में इनकी शिक्षा नीति की थू-थू हो रही है.

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