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‘क्योंकि दाग अच्छे हैं’, ADR की रिपोर्ट और बिहार मंत्रिमंडल को लेकर सियासी हलकों में उठते सवाल

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना पटना : भारतीय टेलीविजन पर एक सर्फ एक्सेल का विज्ञापन आता है. उसमें एक मासूम और क्यूट बच्चा कहता है ‘दाग अच्छे हैं’. कभी ‘दाग’ सामाजिक, राजनीतिके साथ आम जीवन में कलंकित होता था. परिवार के साथ राजनीति और समाज से जुड़े लोग भी उससे बचते थे. अब ऐसा नहीं […]

आशुतोष कुमार पांडेय @ पटना

पटना : भारतीय टेलीविजन पर एक सर्फ एक्सेल का विज्ञापन आता है. उसमें एक मासूम और क्यूट बच्चा कहता है ‘दाग अच्छे हैं’. कभी ‘दाग’ सामाजिक, राजनीतिके साथ आम जीवन में कलंकित होता था. परिवार के साथ राजनीति और समाज से जुड़े लोग भी उससे बचते थे. अब ऐसा नहीं है, बाजार ने उसे अच्छा बना दिया है. ‘दाग’ के प्रति अबलोगों का नजरिया बदल गया है. भले यह ताकत बाजार की हो, लेकिन ‘दाग’ के साथ आपको चलना तो होगा. बिहार की सियासत में इन दिनों कुछ इसी तरह की चर्चा है. महागठबंधन से अलग होने के बाद नये गठित मंत्रिमंडल को लेकर सवाल उठने लगे हैं, विरोधी पार्टिया और कई लोग एडीआर की रिपोर्ट का हवाला देकर नैतिकता को ‘दाग’ की कसौटी पर कसने में लगे हैं. इन सबके बीच बिहार सरकार पूरी रफ्तार के साथ अपने काम में जुट गयी है. अब सवाल उठता है कि यह ‘दाग’ है क्या और बिहार के नये मंत्रिमंडल के संदर्भ में इसकी चर्चा क्यों हो रही है, इस सवाल के आईने में ‘दाग’ वाले चेहरों को देखना होगा.

एडीआर की रिपोर्ट

दरअसल, यह पूरी बहस शुरू हुई है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स, एडीआर, की रिपोर्ट के बाद. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में नवगठित मंत्रिमंडल में 29 में 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. तर्क यह भी दिया गया है कि महागठबंधन वाली सरकार में 28 मंत्रियों में से मात्र 19 मंत्री दागी थे. ‘दाग’ महागठबंधन वाली कैबिनेट में भी था, लेकिन आंकड़ों के खेल ने सियासत करने वाले नेताओं को सवाल उठाने का एक मौका दे दिया है. विरोधी कहते हैं 19 से 22 ज्यादा होता है. 22 की संख्या में एक नंबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया गया है. विरोधी बयान दे रहे हैं कि अगर यह सुशासन की सरकार है, तो जनता के साथ धोखा हुआ है, सरकार बनते वक्त कहा गया कि पुराने गठबंधन में ज्यादा दागी लोग हैं, मगर यह क्या नयी सरकार में तो ज्यादा दागी मंत्री हैं, यह कैसा फैसला है ?

सार्वजनिक हुई रिपोर्ट

एडीआर की रिपोर्ट ठीक उस वक्त सार्वजनिक हुई, जब नयी सरकार का गठन हो गया. जिन मंत्रियों पर ‘दाग’ हैं, उनका मानना है, उनके खिलाफ सियासी साजिश है. राजनीति में यह सब चलते रहता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं सियासत में नैतिकता के ऊंचे मानदंड़ों पर खरा उतरने की बातकरनाअब सिर्फ कल्पना है. जैसे भी हो सत्ता सुरक्षित रहे और भले इसके लिए सिद्धांतों के साथ ‘दाग’से ही समझौता क्यों ना करनी पड़े. बिहार सरकार के मंत्रियों के बारे में एडीआर ने जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक प्रमोद कुमार के खिलाफ कुल सात मामले दर्ज हैं, जिनमें से चार में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और तीन में आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है. जय श्री राम बोलकर चर्चा में आए खुर्शीद अहमद के खिलाफ कुल आठ मामले दर्ज हैं, जिनमें दो में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है. खुर्शीद के खिलाफ बेईमानी, धोखाधड़ी, ठगी, चोरी जैसे आरोप हैं. उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह के खिलाफ कुल चार मामले दर्ज हैं, जिसमें हत्या का प्रयास और रंगदारी वसूलने का आरोप है, साथ ही महिला के साथ अत्याचार का भी मामला है. इन पर दो मामलों में चार्ज फ्रेम हो चुका है. सरकार में परिवहन मंत्री बने संतोष निराला के खिलाफ भी दो आपराधिक मामले दर्ज हैं. विधान पार्षद और भाजपा नेता विनोद नारायण झा के ऊपर भी दाग है. नीतीश कैबिनेट के सबसे पैसे वाले मंत्री विजय सिन्हा पर भी दो मामले दर्ज हैं, दोनों चुनाव से जुड़े हैं.

75 फीसदी दागी

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ एक मामला होने की बात बतायी गयी है. जिसका जिक्र लालू यादव महागठबंधन टूटने के बाद लगातार संवाददाता सम्मेलन में करते रहे हैं. सीएम के खिलाफ पंडारक निवासी सीताराम सिंह की हत्या का मामला दर्ज है, जो 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान का है. कुछ ऐसे भी मंत्री हैं, जिनके खिलाफ कई राजनीतिक मामले दर्ज हैं, उनमें मंत्री रमेश ऋषि देव, जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव, पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत, ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री शैलेश कुमार, पशुपति पारस, दिनेश चंद्र यादव, मदन सहनी, सुरेश शर्मा के खिलाफ एक, बृज किशोर बिंद के खिलाफ एक मामला दर्ज है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के खिलाफ आपराधिक अवमानना और आपराधिक साजिश के तहत अवमानना करने का मामला लंबित है. श्रवण कुमार और रामनारायण मंडल के खिलाफ भी एक मामला दर्ज है.

कई मंत्री करोड़पति

रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल 21 मंत्री करोड़पति हैं. इनकी औसत संपत्ति 2.46 करोड़ रुपये है. टॉप तीन करोड़पति मंत्रियों में विजय सिन्हा की संपत्ति 15 करोड़ से ज्यादा, सुरेश शर्मा की संपत्ति 11 करोड़ से ज्यादा, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की संपत्ति लगभग छह करोड़ बतायी गयी है. शिक्षा की बात करें, तो एक मंत्री साक्षर, एक मंत्री आठवीं पास, तीन मंत्री दसवीं पास, पांच मंत्री 12वी, 8 मंत्री स्नातक, पांच मंत्री पेशेवर स्नातक, चार मंत्री स्नातकोत्तर और एक मंत्री डॉक्टरेट डिग्री वाले हैं. कुल 75 फीसदी मंत्री दागी हैं. कहते हैं कि वर्तमान दौर में ‘दाग’ को सार्वजनिक जीवन में खासकर राजनीति, सियासत और सत्ता के खेल में स्वीकार्य मान लिया गया है, तो यह मामला राजनेताओं और किसी सरकार के लिए बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन सवाल का क्या कहेंगे, वह तो पूछे जाने के लिए ही बना है.

एडीआर रिपोर्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें-
नीतीश मंत्रिमंडल के मंत्रियों के बारे में एडीआर द्वारा दी गयी जानकारी

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