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शिक्षा मंत्री बोले : हाइस्कूलों की हालत बदतर, करेंगे दुरुस्त

बिहार में नयी सरकार पर सांसद खुश झारखंड में बिजली संकट का उठा मुद्दा शिक्षा मंत्री बोले : हाइस्कूलों की हालत बदतर, करेंगे दुरुस्त पटना : प्रदेश के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा बुधवार को ‘प्रभात खबर’ के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने और इसकी बेहतरी के […]

बिहार में नयी सरकार पर सांसद खुश झारखंड में बिजली संकट का उठा मुद्दा
शिक्षा मंत्री बोले : हाइस्कूलों की हालत बदतर, करेंगे दुरुस्त
पटना : प्रदेश के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा बुधवार को ‘प्रभात खबर’ के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने और इसकी बेहतरी के मुद्दे पर अपनी बात रखी.
उन्होंने कहा कि माध्यमिक स्कूलों की शिक्षा की हालत बदतर है. इसे दुरुस्त करने की जरूरत है. शिक्षा की जो बीमारी है, उसके समुचित इलाज की आवश्यकता है. स्थिति है कि हाइस्कूलों में नामांकित छात्र स्कूल के लिए अपने घर से साइकिल से आते हैं, स्कूलों में साइकिल लगाते हैं और ट्रेन पकड़ कर दूसरी जगह जाकर कोचिंग क्लास करते हैं. इससे स्कूलों के शिक्षक भी रिलेक्स हो जाते हैं कि छात्र ही नहीं हैं, तो पढ़ाये किसे?
यह बहुत ही दुखद है. सरकारी स्कूलों का काम सिर्फ बच्चों का नामांकन कराना और एडमिशन लेना भर नहीं है. सरकार स्कूलों की बिल्डिंग और शिक्षा पर करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन उनका रिजल्ट उस अनुसार नहीं आ पा रहा है. सरकारी स्कूलों का पहले नियमित निरीक्षण किया जाता था. इसका स्कूलों के प्रधानाध्यापक-शिक्षकों में भय होता था. लोग सतर्क रहते थे. गुणवत्ता की ओर उनका ध्यान होता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह शिथिल हो गया है. शिक्षकों में इसका भय ही नहीं रहा. अधिकारी स्कूल की नियमित रूप से जांच करें और जरूरत हो तो कार्रवाई करें.
कोचिंग संस्थानों की होगी जांच, होगी कार्रवाई
मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने बताया कि कोचिंग संस्थानों की मनमानी वे देखते और सुनते आ रहे हैं. एक-एक कोचिंग क्लास में 500-500 बच्चों को बैठा कर माइक व लाउडस्पीकर के जरिये पढ़ाया जा रहा है. छात्रों का आर्थिक शोषण हो रहा है और अधिकतर कोचिंग संस्थानों का काम व्यावसायिक रह गया है. ऐसे कोचिंग संस्थानों की जांच की जायेगी और नियम के अनुसार नहीं पढ़ाने व चलने वालों पर कार्रवाई की जायेगी. कोचिंग संस्थान में एक क्लास में 40 बच्चों को पढ़ाया जाये, तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन इससे ज्यादा बच्चे किसी क्लास में मिले तो सीधी कार्रवाई की जायेगी.
अगले साल से किताब के बिना बाधित नहीं होगी पढ़ाई
शिक्षा मंत्री ने बताया कि अब तक किताबों की छपाई शुरू नहीं हो सकी है और इसमें समय लगेगा. इसमें पारदर्शिता के लिए सरकार स्कूली बच्चों के खाते में राशि देगी, जिससे वे किताब खरीद सकेंगे. वैसे स्कूलों में पिछले साल की पुरानी किताबें उपलब्ध हैं, लेकिन वे सभी बच्चों के लिए नाकाफी हैं. राज्य सरकार इसका हल निकालने में लगी है. अगले साल इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसे ध्यान में रख कर काम किया जायेगा और अप्रैल, 2018 में सत्र शुरू होने से पहले किताबें उपलब्ध करा दी जायेंगी.
निजी स्कूलों का मकसद व्यावसायिक हुआ, तो बरती जायेगी सख्ती
शिक्षा मंत्री ने प्राइवेट स्कूलों को चेताया है कि उनका मकसद सिर्फ शिक्षा का प्रसार का है, तो सही है. इसमें सरकार भी सहयोग करेगी, लेकिन अगर मकसद सिर्फ व्यावसायिक रहा, तो सरकार सख्ती भी बरतेगी. शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों में जितने गरीब बच्चों का नामांकन होना होता है, वह नियम के अनुसार होना चाहिए. इसकी समीक्षा की जायेगी और आरटीइ को लागू करने में सख्ती बरती जायेगी.
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का होगा व्यापक प्रचार प्रसार
शिक्षा मंत्री ने बताया कि उच्च शिक्षा में 13% ही बिहार के छात्र जा पाते हैं. इसे बढ़ाने के लिए सरकार ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गयी है. इसका व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण जितनी उम्मीद थी, उतने छात्र लाभ नहीं ले पा रहे हैं. विभाग स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है. साथ ही पार्टी स्तर पर भी इसके प्रचार के लिए निर्देश दिये गये हैं. पार्टी नेता-कार्यकर्ता भी इन योजनाओं की जानकारी युवाओं व लोगों को दे रहे हैं.
काम के प्रति ईमानदारी बरतें शिक्षक
मंत्री ने बताया कि सरकारी स्कूल के शिक्षक अपने काम में प्रति ईमानदारी बरतें. उन्हें ईमानदारी से सोचना चाहिए कि साल भर जिस बच्चे को पढ़ाते हैं और जब उसकी जीवन की पहली परीक्षा यानी मैट्रिक की कॉपी जांचने की बात आती है, तो वे हड़ताल पर चले जाते हैं.
इससे बच्चे के भविष्य पर असर पड़ता है. छात्र और शिक्षक अपना-अपना काम करें, सरकार सभी का ख्याल रखेगी और शिक्षकों को अपनी उचित मांगों को लेकर हड़ताल या आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
जिला स्तर पर हर स्कूल के बच्चों और शिक्षकों से लेंगे राय
शिक्षा मंत्री ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा में गुणवत्ता के लिए हर हाइस्कूल के तीन छात्र, दो छात्राएं, स्कूल के प्रधानाध्यापक और एक शिक्षक के साथ जिलावार बैठक की जायेगी. इसमें उनसे सुझाव लिये जायेंगे कि स्कूल में कैसी पढ़ाई होती है, स्कूल में क्या कमी है और क्या आवश्यकताएं हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहाल की जा सकती है? इसके अलावा अभिभावकों से भी बात की जायेगी अौर सुझावों को अमल में लाया जायेगा. इससे लिए सभी प्रमंडलों के आरडीडीइ और डीइओ-डीपीओ की बैठक बुलायी गयी है.
हर मुद्दे पर दी स्पष्ट राय
सरकारी स्कूलों का काम सिर्फ एडमिशन करना और परीक्षा लेना नहीं
स्कूलों का नियमित निरीक्षण नहीं होने से सतर्क नहीं रहते शिक्षक, गुणवत्ता पर असर
िशक्षा का अिधकार कानून को लागू करने में सख्ती बरती जायेगी.
छात्र-शिक्षक अपना-अपना काम करें, सरकार सभी का रखेगी ख्याल
कोचिंग संस्थानों की करायी जायेगी जांच होगी कार्रवाई
9000 विवि शिक्षक होंगे नियुक्त
शिक्षा मंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालयों में खाली पड़े करीब 9000 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद जल्द भरे जायेंगे. अगर विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में प्रोफेसर ही नहीं रहेंगे, तो कैसे उच्च शिक्षा दी जायेगी? महागठबंधन की सरकार में ही विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन को मंजूरी मिली थी. राजभवन से भी उस पर सहमति मिल गयी है. आयोग के मूर्त रूप लेने में कहां अड़चन आ रही है और कहां मामला फंसा हुआ है, इसे देख कर जल्द ही कार्रवाई शुरू की जायेगी.

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