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क्या शताब्दी वर्ष में होगा चंपारण में जमीन के लिए सत्याग्रह

हरिनगर चीनी मिल की सरप्लस जमीन को अहिंसक तरीके से कब्जाने की योजना पुष्यमित्र पटना : चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के मौके पर भी चंपारण में सत्याग्रह की स्थिति बनती जा रही है. हरिनगर चीनी मिल की 5200 एकड़ सरप्लस जमीन को पिछले ग्यारह सालों से सत्याग्रही गरीबों के बीच बांटने की मांग कर […]

हरिनगर चीनी मिल की सरप्लस जमीन को अहिंसक तरीके से कब्जाने की योजना
पुष्यमित्र
पटना : चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के मौके पर भी चंपारण में सत्याग्रह की स्थिति बनती जा रही है. हरिनगर चीनी मिल की 5200 एकड़ सरप्लस जमीन को पिछले ग्यारह सालों से सत्याग्रही गरीबों के बीच बांटने की मांग कर रहे हैं. मामला दस साल से राज्य सरकार के भू-राजस्व मंत्री की अदालत में लटका है. इस साल मार्च महीने में जेपी के शिष्य पंकज जी के साथ बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व मंत्री को मामले का समाधान निकालने का निर्देश दिया था. उस वक्त राजस्व मंत्री ने एक-डेढ़ महीने में समाधान निकालने का वादा भी किया था. मगर अब तक मामला उनकी अदालत में लटका है.
ऐसे में पंकज जी और उनके 500 सहयोगी सत्याग्रही 10 जून को बहुअरबा फार्म की 175 एकड़ जमीन को अहिंसक तरीके से जोतने की तैयारी कर रहे हैं.
क्या है हरिनगर चीनी मिल का मामला : भू सत्याग्रहियों की टीम के युवा सदस्य सिद्धार्थ कहते हैं कि सरकारी निर्देश है कि चीनी मिल वाले 200 एकड़ से अधिक जमीन नहीं जोत सकते. जबकि हरिनगर चीनी मिल वालों के पास 5400 एकड़ जमीन है.
उनके 100 एकड़ से 500 एकड़ के कई फार्म हैं, इन फार्म में इनके कारिंदे और फार्म मैनेजर होते हैं, जो गरीब किसानों से इस जमीन पर खेती करवाते हैं. काफी कुछ व्यवस्था नील की खेती जैसी ही है. सरकारी निर्देश के आलोक में 2006 में बेतिया के तत्कालीन जिलाधिकारी ने चीनी मिल की 5200 एकड़ जमीन को सरप्लस घोषित कर दिया था. इसके बाद चीनी मिल वाले हाइकोर्ट गये, वहां भी उनके खिलाफ ही फैसला हुआ. फिर वे अपील लेकर भू-राजस्व मंत्री की अदालत में चले गये. जहां पिछले दस सालों से मामला लटका हुआ है और चंपारण के गरीब किसान जमीन की तरफ टकटकी लगाये बैठे हैं.
राजस्व मंत्री कहते हैं
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री मदन मोहन झा ने कहा कि मामले की सुनवाई हुई है. हमने संबंधित कागजात मंगवाये हैं. उम्मीद है उस केस की मेरिट के आधार पर एक आध सप्ताह में कोई फैसला आ जायेगा. यह सच है कि एक मंत्री के तौर पर मैंने आश्वासन दिया था कि मामला जल्द से जल्द सुलझ जाये. मगर कोर्ट में मेरी भूमिका नहीं, जज की होती है. फिर भी हमारी पूरी कोशिश है कि फैसला एक आध सप्ताह में आ जाये.
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष की तैयारियों के दौरान भू-सत्याग्रही पंकज जी की मुलाकात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर हुई थी. उस वक्त भू-राजस्व मंत्री मदन मोहन झा भी उस बैठक में उपस्थित थे. सिद्धार्थ बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने उस बैठक में कहा था अगर शताब्दी वर्ष में भी चंपारण के किसानों को न्याय न मिला तो तमाम आयोजन कागजी बनकर रह जायेगा.
इस पर भू-राजस्व मंत्री ने एक से डेढ़ महीने में इस मामले का समाधान करने का वादा किया था. इस बीच गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और मेधा पाटेकर समेत कई लोगों ने मुख्यमंत्री से इस मसले पर बातचीत की. खुद मुख्यमंत्री भी सार्वजनिक तौर पर कहते रहे कि समाधान निकाला जायेगा. मगर दो महीने बीतने के बावजूद राजस्व मंत्री की अदालत में इस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया तो सत्याग्रहियों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 10 जून को सत्याग्रह कर जमीन कब्जाने की अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.
सत्याग्रहियों की मांगें क्या-क्या हैं
सत्याग्रहियों की मांग है कि 5200 एकड़ जमीन में से चार हजार एकड़ जमीन भूमिहीन गरीबों के बीच 10-10 डिसमिल की दर से वितरित की जाये और शेष 1200 एकड़ पर चंपारण सत्याग्रह के सूत्रधार राजकुमार शुक्ल के नाम से एक कृषि महाविद्यालय खोला जाये

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