नवादा कार्यालय़ ककोलत महोत्सव के साथ ही मगही साहित्य संस्कृति को बचाने और बढ़ाने को लेकर तीसरे दिन मगही महोत्सव का आयोजन किया गया. मगही महोत्सव में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये. मगही के शब्दों को उसी रूप में लिखने पर जोर दिया गया है. ताकि उसका स्वरूप बना रहे. बिहार सरकार के कला, संस्कृति व युवा विभाग तथा नवादा जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मगही साहित्य सम्मेलन सह भाषायी कार्यशाला के क्रम में मगही कल, आज और कल, मगही का उद्भव और विकास, मगही के मानकीकरण की आवश्यकता और चुनौतियां, मगही की दशा और दिशा, मगही शब्द सम्पदा, मानक ग्रंथ और पुस्तकें तथा मगही का भविष्य, रोजगार और अवसर पर चर्चा चली. डीएम रवि प्रकाश के निर्देशन और कला संस्कृति पदाधिकारी प्रतिभा कुमारी की देखरेख में आयोजन हुआ. कार्यक्रम के संयोजक युवा कवि ओंकार शर्मा कश्यप के मंच संचालन व श्रवण बरनवाल के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ मगही विद्वान धनंजय श्रोत्रिय ने विषय प्रवेश कराते हुए किया. उन्होंने मगही के मानकीकरण को लेकर कहा कि अधिक से अधिक जिस क्षेत्र से लिखा जायेगा, वही मानक तय करने वाला सिद्ध होगा. इसलिए सभी अधिक से अधिक साहित्य सृजन करें. वरिष्ठ साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने कहा कि गद्य विधा पर ध्यान देने की जरूरत है. तब ही मगही का भला हो सकेगा. प्रो दिलीप कुमार और डॉ सच्चिदानंद प्रेमी ने मगही साहित्य को समृद्ध करने पर जोर दिया. मगही अकादमी के पूर्व अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा व डॉ राम कृष्ण मिश्र ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम को और भी धारदार बनाने की जरूरत है. डॉ किरण कुमारी शर्मा ने मगही को रोजगार की भाषा बताया और इसके विकल्पों पर चर्चा की. प्रो लालमणि विक्रांत ने मानक ग्रंथों पर चर्चा की और इस क्षेत्र में काम करने पर बल दिया. प्रो शिवेंद्र नारायण सिंह ने भी मगही के उन्नयन के लिए सभी को प्रेरित किया. मगही काव्य गोष्ठी में कवियों ने बांधा समां मगही महोत्सव को ऊंचाई देते हुए बिहार के सात जिलों से आये कवियों ने अपन प्रस्तुति से खूब वाह-वाही लूटी. प्रसिद्ध गीतकार नरेंद्र प्रसाद सिंह ने बिहरिया गीत गायन से समां बांध दिया. जबकि वरिष्ठ कवि दीनबंधु ने काव्य गोष्ठी में पहुंचे हर श्रोता को अपने मोहपाश में बांध लिया. कवि अशोक समदर्शी, राजेश मंझवेकर, उदय भारती, डॉ गोपाल निर्दोष, मणिकांत मणि, अविनाश पांडेय, पारस सिंह, शंभु विश्वकर्मा, शफी जानी नादां, जयनंदन सिंह, डॉ ओंकार निराला, दयानंद प्रसाद गुप्ता, सुमंत, निशा कुमारी, श्याम सुंदर, हिमांशु शेखर, ममता कुमारी आदि ने भावप्रण प्रस्तुति से रंग जमा दिया. सदर अनुमंडल पदाधिकारी अखिलेश कुमार व एडीएम चंद्रशेखर आजाद, एसडीसी राजीव कुमार समेत कला संस्कृति पदाधिकारी प्रतिभा कुमारी ने अंग-वस्त्र, प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो प्रदान कर सभी अतिथियों को सम्मानित किया. मगही फिल्म का हुआ प्रदर्शन कार्यक्रम के तीसरे चरण में 1961 में बनी पहली मगही फिल्म भईया की विस्तृत स्क्रीन की गयी. ब्लैक एंड व्हाइट फॉर्मेट में फिल्माई गयी भैया फिल्म के मिठास में लोगों को सामने खूब आकर्षित किया. मगही की पहली भैइया के बाद सिने अभिनेता राहुल वर्मा की मगही फिल्म फगुनिया एमबीबीएस की स्क्रीनिंग की गयी. मगही के उन्नयन को लेकर फिल्मों के क्षेत्र में काम करने पर राहुल वर्मा को भी सम्मानित किया गया.
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