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एनएच 20 से संत जोसेफ स्कूल तक जर्जर सड़क पर चलना मुश्किल

अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा- जल्द बनेगी सड़क, लोगों को मिलेगी समस्या से मुक्ति

रजौली. रजौली पश्चिमी पंचायत में राष्ट्रीय राजमार्ग-20 से निकलने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क, जो दो वार्डों को जोड़ती है. साथ हीं यह सड़क मुख्यालय के प्रतिष्ठित संत जोसेफ विद्यालय तक पहुंचने का सबसे सुगम मार्ग है. इस सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है. सड़क की जर्जरता किसी भी बड़े हादसे को न्योता दे रही है. यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चों और उसके परिजनों के अलावा स्थानीय निवासियों के लिए रोजाना का संघर्ष है, एक ऐसा मार्ग जो दशकों से उपेक्षा का शिकार है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि इसे सड़क कहना भी शायद गलत होगा. यह ईंट-सोलिंग के गहरे गड्ढों का एक अथाह सागर बन चुकी है. इसमें हर दिन अनगिनत वाहन हिचकोले खाते हुए गुजरते हैं. इन गड्ढों की वजह से सिर्फ गाड़ियों को ही नुकसान नहीं पहुंचता, बल्कि राहगीरों की जान पर भी बन आती है. खासकर, ग्राम डीह रजौली और भुसडी के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए यह सड़क किसी बुरे सपने से कम नहीं है. छोटे-छोटे बच्चे स्कूल वैन,साइकिल या पैदल ही इन खतरनाक रास्तों से गुजरने को मजबूर हैं, जहां हर पल गिरने या चोट लगने का डर सताता रहता है. टोल टैक्स से बचने वाले वाहनों का कहर इस सड़क की बदहाली का एक बड़ा कारण भारी वाहनों का बेरोकटोक आवागमन भी है. टोल टैक्स बचाने के लिए ये बड़े वाहन इसी संकरे और जर्जर रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. इससे सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गये हैं और मिट्टी धंस गयी है. इन भारी वाहनों के कारण पिछले कुछ समय में यहां दो बार वाहन पलट चुके हैं, जो इस मार्ग की जानलेवा स्थिति का जीता-जागता सबूत है. कल्पना कीजिए, यदि कोई स्कूल वैन इन गड्ढों में पलट जाये, तो इसका परिणाम कितना भयावह हो सकता है. मौके पर भारी वाहन चालक पावापुरी के सुंदर बिगहा गांव निवासी कारू यादव और गया जिले के चालक पप्पू कुमार ने बताया कि वे टोल प्लाजा से बचने के लिए गांव के रास्तों का उपयोग करते हैं. जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा व लोगों का आक्रोश समाजसेवी कौशल कुमार उर्फ टोनी सिंह, मंटू सिंह, संतोष राम व संजय रविदास जैसे जागरूक नागरिकों ने इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने हर संभव स्तर पर अपनी गुहार लगायी है, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उनका दर्द साफ झलकता है जब वे कहते हैं, “शायद इस रास्ते के आसपास कोई मजबूत वोट बैंक नहीं है, इसलिए हमारी कोई सुनता नहीं. लेकिन वे यह भी जोड़ते हैं, वोट बैंक इसी रास्ते से गुजरता है, जो दर्शाता है कि यह समस्या केवल कुछ लोगों की नहीं, बल्कि एक बड़े जनसमूह की है.यह उपेक्षा स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर रही है. अब और देरी नहीं, बड़े कदम उठाने की जरूरत स्थानीय लोगों ने बताया कि यह सड़क अब केवल मरम्मत की मोहताज नहीं,बल्कि इसके लिए तत्काल बड़े कदम उठाने की जरूरत है. यदि इस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा होना तय है.. इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर प्रशासन और संबंधित विभागों पर होगी. रजौली की यह लाइफलाइन सड़क, जो शिक्षा और जीवन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. क्या कहते हैं पदाधिकारी इस बाबत अनुमंडल पदाधिकारी स्वतंत्र कुमार सुमन ने बताया कि मामले की जानकारी मिली है. उन्होंने भारी वाहनों द्वारा टोल शुल्क बचाकर ग्रामीण सड़कों का उपयोग करने वालों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाया जायेगा. साथ ही भारी वाहनों द्वारा ग्रामीण सड़क में प्रवेश निषेध को लेकर संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सड़क की जांच किए जाने के बाद जल्द ही सड़क निर्माण प्रक्रिया शुरू की जायेगी, ताकि लोगों को आवागमन की समस्या से निजात मिल सके.

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