गोनावां स्थित बंधन पैलेस में जय स्वर्वेद कथा व ध्यान साधना सत्र आयोजित प्रतिनिधि, नवादा नगर कर्म से बंधन और सेवा से मुक्ति होती है. अध्यात्म ही जीवन का संपूर्ण विकास और समस्याओं का समाधान है. यह बातें उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने कही.. वे गोनावां स्थित बंधन पैलेस परिसर में शनिवार को आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र को संबोधित कर रहे थे. संत प्रवर ने कहा कि मन को साध लेने से जीवन सरल हो जाता है. उन्होंने समझाया कि बाहर की लड़ाइयां, भीतर की हार से जन्म लेती हैं. स्वर्वेद संदेश यात्रा केवल स्थान से स्थान की नहीं, बल्कि अंतर से अंतर की यात्रा है. जो अपने भीतर उतरेगा, वही सत्य और शांति का अनुभव करेगा. महाराज जी ने श्रद्धालुओं को बताया कि विहंगम योग के प्रणेता अमर हिमालय योगी अनन्त सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने अपनी साधना द्वारा ईश्वर की प्राप्ति की और उसी गहन ज्ञान को स्वर्वेद नामक अद्वितीय ग्रंथ के रूप में जनमानस को उपलब्ध कराया. उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग की क्रियात्मक साधना का अभ्यास कराया और कहा कि यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने का मार्ग है. युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि युवा ही देश का वर्तमान और भविष्य हैं. उनमें उत्साह, उमंग और लक्ष्य के प्रति अडिगता होनी चाहिए. आयोजकों ने बताया कि समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव विहंगम योग संत समाज के 102वें वार्षिकोत्सव व 25,000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है. यह यात्रा 29 जून को कश्मीर से आरंभ होकर विभिन्न राज्यों से गुजरते हुए बिहार पहुंची है. इसका समापन 25-26 नवंबर 2025 को वाराणसी स्थित स्वर्वेद महामंदिर परिसर में होगा. इस अवसर पर राम विनय, विकास कुमार, गुंजन कुमार, इंद्रदेव शर्मा, पवन कुमार, अभय कुमार, अजय कुमार सहित नवल कुमार, पिंटू कुमार, दीपक, बंटी, शशि, मनीष, सुनील समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे.
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