मेसकौर. मध्याह्नन भोजन योजना के तहत स्कूलों में गैस सिलिंडर पर एमडीएम बनवाना स्कूल के हेडमास्टर के लिए सिर दर्द बन चुका है. विभाग से कॉमर्शियल 19 किलो वाले गैस सिलिंडर से स्कूलों में खाना बनाने का फरमान जारी है. हेडमास्टरों की शिकायत है कि कॉमर्शियल गैस सिलिंडर का दाम है 22 सौ रुपये, जबकि सामान्य घरेलू गैस सिलिंडर 14 किलो वाले की कीमत 930 रुपये है. इस प्रकार 22 सौ रुपये में 14 -14 किलो वाले दो-दो सिलिंडर हो जाते हैं. सरकार की ओर से एमडीएम खाना बनाने के लिए इंधन के लिए अलग से किसी प्रकार की राशि नहीं दिए जाते है. हेडमास्टरों का कहना है कि कॉमर्शियल गैस सिलिंडर से एमडीएम बनवाने में खर्च ज्यादा हो रहा है. कई स्कूल के प्रधानाध्यापकों ने इस मामले में डीपीओ एमडीएम के पास आवेदन देते हुए कॉमर्शियल गैस सिलिंडर पर एमडीएम बनाने में असमर्थता जतायी है. बता दें कि मेसकौर प्रखंड में 80 स्कूलों में एमडीएम योजना संचालित है. गैस सिलिंडर के लिए सभी स्कूलों को 18 साल पहले ही 5600 रुपये दिये गये थे. इसमें अग्निशमन यंत्र भी खरीदने का निर्देश दिया गया था. इसके बावजूद खासकर जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है. वहां इस तरह की समस्या ज्यादा हो रही है. हेडमास्टरो का कहना है कि एमडीएम का 50 प्रतिशत राशि गैस में ही खर्चा हो जा रहा है. इस स्थिति में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण खाना देना संभव नहीं है. इस महंगाई में जो रेट विभाग के द्वारा तय किये गए है उस रेट में एमडीएम बनवाना सम्भव नहीं है. इस बारे में जिला एमडीएम डीपीओ ने कहा कि सरकार के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है. सभी प्रखंड के सभी स्कूलों में गैस कनेक्शन के लिए आवंटन उपलब्ध कराया जा चुका है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

