नवादा कार्यालय. जिलेभर में अनेक यात्री बसें बिना फिटनेस के ही दौड़ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार इन बसों पर कार्रवाई करने की बजाए अपनी जांच को सिर्फ हेलमेट चेकिंग तक ही सीमित रखे हैं. वहीं, आरटीओ की सक्रियता भी किसी हादसे के बाद ही होती है. बाकी दिनों में गतिविधियां शून्य ही दिखाई देती है. सामान्यतः आरटीओ हाइवे पर चल रही बसों की जांच कर कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं. जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही बसों की हालत सबसे ज्यादा खराब रहती है. कंडम बसें, फिटनेस, बीमा वगैरह का तो पता ही नहीं रहता. बस बिना परमिट, बिना फिटनेस और बिना बीमा के चल रही है. झारखंड और ग्रामीण क्षेत्रों से चलने वाली कई बसें खस्ताहाल हो चुकी है. इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाया जा रहा है. इस कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. बिना फिटनेस के सड़कों पर दौड़ लगा रही बसों पर परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से इनके हौसले बुलंद होते जा रहे हैं. कई बसों के अंदर फर्स्ट-एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र और इमरजेंसी विंडो नहीं है. परिवहन विभाग के अधिकारी किसी भी बस को परमिट तभी देते हैं, जब उसके अंदर परिवहन विभाग से संबंधित जारी निर्देशों को बस संचालक पूरा करें. लेकिन, परिवहन विभाग के सौजन्य के चलते सड़कों पर सरपट दौड़ लगा रहे वाहन कब और किस समय लोगों की जिंदगी के लिए काल बनकर सामने आ जाए यह कहना बहुत मुश्किल है. गाड़ी कंडीशन में नहीं होने से दुर्घटना का खतरा दुर्घटना के बाद ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिससे यह साबित हो रहा है कि जिले की सड़कों पर कुछ गाड़ियां बगैर फिटनेस प्रमाणपत्र के दौड़ लगा रही है. कुछ गाड़ी को पुरानी और जर्जर हालत में भी विभाग की ओर से प्रमाणपत्र दे दिया जाता है. दरअसल, सड़क पर चल रहे वाहनों को फिटनेस देने का काम परिवहन विभाग का है. विभाग के अफसर न तो सड़क पर दौड़ लगा रही गाड़ियों की जांच करते हैं और न ही जर्जर पुराने वाहनों को फिटनेस का सर्टिफिकेट देने में सख्ती बरतता है. दरअसल, यह सब शुभ लाभ का कमाल है. इसलिए विभाग आंख मूंदकर तमाशबीन बना रहता है. पड़ताल में दर्जनों ऐसे बसे मिली जो मोटर यान अधिनियम को ठेंगा दिखाते हुए यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर नवादा के सड़कों पर सरपट फर्राटा भरते हुए दौड़ती रहती हैं. माल भाड़े का काम भी यात्री बसों से जिलेभर में जहां यें बसें सवारियों का परिवहन करती हैं. वहीं, दूसरी ओर ये बसें ट्रांसपोटर्स की भी पूर्ति करती हैं. इसका पैसा कंडक्टर अलग से लेता है. बस के ऊपर क्या रखा जा रहा है, क्या नहीं इस बात की जानकारी किसी भी यात्री को नहीं रहती. हो सकता है बस के ऊपर कोई घातक चीज रखी जा रही हो, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों को इन चीजों से कोई लेना देना नहीं. क्षमता से अधिक बैठाते हैं सवारियां यात्री बसों के कंडक्टर और क्लीनर परिवहन विभाग के आदेशों पर भारी दिखाई देते हैं. परिवहन विभाग सीटों के अनुसार बस मालिक को सड़क पर बस चलाने के लिए परमिट देता है, लेकिन बस चालक कर्मचारी 40 से 50 की क्षमता से अधिक सवारियां बिठाकर ले जाते हैं. इससे हादसे आशंका बनी रहती है. बसों की इमरजेंसी खिड़की पर लगी है सीट परिवहन विभाग के आदेश के तहत प्रत्येक बस में इमरजेंसी खिड़की हो, उस खिड़की की जगह कोई सीट नहीं लगायी जायेगी. साथ ही दो दरवाजे होना जरूरी हैं. लेकिन कुछ बस संचालक इमरजेंसी खिड़की की जगह सीट शिफ्ट कराकर पैसा तो कमा रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में बस के अंदर कोई घटना घटी, तो इमरजेंसी गेट का उपयोग सवारियां कैसे करेंगी. यह बात आम यात्रियों के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. लोकल एजेंटों के शह पर शहर पहुंचती है अवैध बसें बगैर परमिट के सरपट बसें संचालित होने के बारे मे कुछ बस चालकों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया की वो तो परमिट के साथ रोजाना शहर के चक्कर लगाते हैं. लेकिन, झारखंड राज्य के कोडरमा, तिलैया से बिहार प्रवेश करने वाली अधिकांश बसें बगैर परमिट के धड़ल्ले से बेरोक टोक आवाजाही कर रही है. इसके कारण अक्सर यात्री उठाने और बिठाने को लेकर जगह-जगह बस स्टैंड में झिक झीक होते रहती है. कभी तो बात इतना आगे बढ़ जाती है कि मारपीट की नौबत तक पहुंच जाती है. लेकिन, स्थानीय परिवहन विभाग सिर्फ खानापूर्ति में जुटी हुई है. बिना परमिट के बसों को स्थानीय एजेंटों द्वारा शह देकर नवादा में प्रवेश कराया जाता है. स्थानीय एजेंटों का शह प्राप्त होने के बाद ही बाहरी और अवैध बसों के चालक और अन्य स्टाफ दबंगता पूर्वक दोहन करते हुए स्थानीय बस की हकमारी कर रहे है. ऐसी में गाड़ी का किस्त और मालिक की बचत तो दूर की बात है बसों के डीजल पर भी आफत हो जाती है. यात्रियों का शोषण और विभाग मौन नवादा शहर मे यात्रियों को बेहतरीन सुविधाओ को लेकर शहर के किनारे पटना-रांची राष्ट्रीय राज मार्ग 20 किनारे बुधौल में बस स्टैंड का निर्माण किया गया. बाबजूद इक्का दुक्का जगहों को छोड़ कर शेष जगहों के लिए आज भी अधिकांश बसें सद्भावना चौक स्थिति अवैध बस पड़ाव से ही खुलती है. जहां, टेबल कुर्सी लगा कर आसीन दबंग स्थानीय एजेंटों द्वारा यात्रियों से मनमाना भाड़ा वसूल करते हुए दोहन करने में जुटे है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार, लोकल भाड़ा में यात्रियों से बीस रूपया अतिरिक्त राशि वसूलते है. वहीं, हजारीबाग, रांची, बोकारो, धनबाद, टाटा वाले यात्रियों से 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक अवैध वसूली करते है. नहीं, देने पर यात्रियों को धक्के मार कर बसों से खींच कर नीचे उतार दिया जाता है. यात्री बिठाने के एवज में एजेंट मूल भाड़ा बस मालिक को देता है, वहीं अतिरिक्त वसूली वाला राशि एजेंट खुद रख लेता है. पड़ताल में दर्जनों ऐसे बसे मिली जो मोटर यान अधिनियम को ठेंगा दिखाते हुऐ यात्रियों को ठूंस ठूंस कर नवादा के सड़कों पर सरपट फर्राटा भरते हुऐ दौड़ते रहती हैं.
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