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2.87 लाख पशुओं को टीके का लक्ष्य
चार माह से कम व कमजोर पशुओं को नहीं दिलवाएं टीका सुबह, शाम या छांव में पशुओं का हो टीकाकरण नवादा कार्यालय : उमस, नमी और बढ़ते-घटते तापमान में पशु कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. इनमें से एक खुरपका-मुंहपका रोग हैं. इसमें जानवर चारा खाना बंद कर देते हैं. धीरे-धीरे कमजोरी बढ़ने से […]
चार माह से कम व कमजोर पशुओं को नहीं दिलवाएं टीका
सुबह, शाम या छांव में पशुओं का हो टीकाकरण
नवादा कार्यालय : उमस, नमी और बढ़ते-घटते तापमान में पशु कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. इनमें से एक खुरपका-मुंहपका रोग हैं. इसमें जानवर चारा खाना बंद कर देते हैं. धीरे-धीरे कमजोरी बढ़ने से पशुओं की मौत हो जाती है. पशुपालक को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचता हैं. लेकिन जिले के पशुपालकों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. जिला पशुपालन अधिकारी डॉ श्यामसुंदर प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार ने हरेक गांव में घर-घर जाकर पशुओं को खुरपका व मुंहपका रोग से बचाव के लिए मुफ्त में टीकाकरण अभियान चलाया हैं.
एक पखवाड़े तक चलनेवाले इस अभियान में जिला पशुपालन विभाग से प्रशिक्षित वैक्सीनेटर घर-घर पहुंच कर पशुओं को टीका देंगे. कई प्रखंडों के पशुपालक बीमारी फैलने की आशंका से चिंतित थे. ऐसे में जिला पशुपालन विभाग द्वारा 30 सितंबर तक टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत कुल 2 लाख 87 हजार एक सौ पशुओं को टीका लगाया जाना हैं. इसके लिए पहले चरण में 26 हजार 4 सौ तथा दूसरे चरण में 99 हजार वैक्सीन मिलाकर कुल 1 लाख 25 हजार वैक्सीन्स अब तक उपलब्ध कराये गये हैं. इसके लिए कुल 2 सौ 52 निजी वैक्सीनेटरों को लगाया गया हैं.
अभी तक कुल 34 हजार 8 सौ 77 पशुओं को टीका दिया जा चुका हैं.तेजी से फैलनेवाला छूतदार रोग है एफएमडी : फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) एक छूआछूत वाला रोग है. गांव घर में इस बीमारी को खुरपका मुंहपका रोग से जाना जाता हैं. यह बीमारी खासकर फटे हुए खुरवाले या दो खुरवाले जानवरों में होती हैं. गाय,भैंस, भेड़, बकरी, सूअर जैसे पशुओं में ये बहुत जल्द फैलता हैं. भ्रमणशील पशु चिकित्सक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि यह विषाणु से फैलनेवाली अत्यंत गंभीर व संक्रामक बीमारी हैं. इसमें पशुओं को 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट तक का बुखार होता हैं. मुंह से लार बहने लगता हैं.
जानवर के मुंह, थूथन, खुरों व थनों में छाले पड़ने लगते हैं. ये छाले फटने के बाद घाव का रूप ले लेते हैं. पशु चारा खाना बंद कर देते हैं, इससे वे धीरे धीरे कमजोर हो जाते हैं. समय बीतने के साथ इनकी मौत हो जाती हैं. नियमित टीकाकरण इसके रोकथाम का एकमात्र उपाय हैं. ऐसे में विभाग द्वारा पशुपालकों के पशुओ को मुफ्त में टीका लगाकर उनको आर्थिक सहायता दी जा रही हैं.
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