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कैसे हो लोगों की सुरक्षा, खुद लाचारी में पुलिसकर्मी

कैसे हो लोगों की सुरक्षा, खुद लाचारी में पुलिसकर्मीफोटो-6पकरीबरावां. स्थानीय थाना संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा है. पुलिस पदाधिकरियों व कर्मियों के लिए न तो पर्याप्त भवन है और न ही पेयजल के लिए कोई समुचित व्यवस्था है. मात्र एक कामयाब चापाकल के सहारे सारे पुलिसकर्मी अपने प्यास बुझाते हैं. साथ ही चापाकल […]

कैसे हो लोगों की सुरक्षा, खुद लाचारी में पुलिसकर्मीफोटो-6पकरीबरावां. स्थानीय थाना संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा है. पुलिस पदाधिकरियों व कर्मियों के लिए न तो पर्याप्त भवन है और न ही पेयजल के लिए कोई समुचित व्यवस्था है. मात्र एक कामयाब चापाकल के सहारे सारे पुलिसकर्मी अपने प्यास बुझाते हैं. साथ ही चापाकल खराब हो जाता है, तो पानी के लिए पुलिस कर्मियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है. वहीं, पुलिस पदाधिकरियों व कर्मियों के लिए आवास की हालत ही जर्जर है. छत इतनी जर्जर हो चुकी है कि कब वह साथ छोड़ दे कहा नहीं जा सकता. पुलिस पदाधिकारी कार्यालय की हालत भी अंत्यत जर्जर है. खपरैल छत में लगे बांस व बल्ली कमजोर हो चुकी है. बरसात के दिनो में पूरा कार्यालय पानी से भर जाता है. इसके कारण थाना परिसर में रखे जरूरी कागजातों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिह्न लग जाता है. आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से थाना परिसर में बन रहा भवन भी ठेकेदारों की भेट चढ़ गयी है. भवन का निर्माण 2010 से शुरू किया गया था. वहीं, आज पांच वर्ष के उपरांत भी भवन का निर्माण अधूरा है. ठेकेदारों के माने तो निर्माण का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है. जब की पुलिस पदाधिकारियों के अनुसार भवन निर्माण में ठेकेदार द्वारा लापरवाही बरती गयी है. फलत: पदाधिकारियों द्वारा इसे पूर्ण होने की बात नहीं कहते हैं. इधर, थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि संसाधनों की कमी के लिए वरीय अधिकारियों को लिखा गया है, तो वहीं नवनिर्माण भवन के लिए ठेकेदार व इंजीनियर से बात की गयी है. जल्द ही समस्या का समाधान हो जायेगा.

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