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काम के अनुरूप नहीं मिल रही मजदूरी

काम के अनुरूप नहीं मिल रही मजदूरी प्रति दिन मिलती है 50 से 70 रुपये 25 महिलाएं कर रही सूत कताई का काम प्रतिनिधि, कौआकोल ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम सेखोदेवरा द्वारा संचालित सूत कताई परियोजना के तहत क कौआकोल प्रखंड परिसर में ट्राइसेम योजना से निर्मित भवन में 1997 से सूत कताई का कार्य […]

काम के अनुरूप नहीं मिल रही मजदूरी प्रति दिन मिलती है 50 से 70 रुपये 25 महिलाएं कर रही सूत कताई का काम प्रतिनिधि, कौआकोल ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम सेखोदेवरा द्वारा संचालित सूत कताई परियोजना के तहत क कौआकोल प्रखंड परिसर में ट्राइसेम योजना से निर्मित भवन में 1997 से सूत कताई का कार्य आरंभ किया गया है. इस कार्य में 25 महिलाएं सूत कताई में लगी हैं. यहां कॉटन एवं रेशम सूत का निर्माण किया जाता है. इन महिला कतीनों को गुंडी के हिसाब से मजदूरी दी जाती है. सूत कताई कर रही महिलाओं को प्रति दिन 50 से 70 रुपये मिलते हैं. इतने कम रुपये में दोनों टाइम का चूल्हा जलाना मुश्किल हो रहा है. फिर भी इन महिलाओं द्वारा यह कार्य बखूबी किया जा रहा है. जरूरतें नहीं होती पूरी 700 सौ ग्राम सूत कताई करने पर 70 रुपये मिलते हैं. इससे पहले रेशम सूत कताई में 100 से 150 रुपये मिलते थे. इतने कम रुपये में पारिवारिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है. सरकार को इसके लिये उचित प्रबंध करना चाहिए. पिंकी कुमारी, बिझो सूत कताई केंद्र को जीविका योजना से जोड़ दिये जाने से सभी कतीनों को विशेष लाभ मिल पायेगा. कताई के काम को निजी व्यवसाय के तौर पर सरकार को प्रोत्साहन देना चाहिए.कुंती देवी, जोगाचक पैर से विकलांग हूं. सूत कताई कर किसी तरह जीविका चला रही हूं. महंगाई के कारण इस काम से कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस कार्य को जीविका से जोड़े जाने पर हम लोगों की कुछ हद तक समस्या का समाधान हो सकता है.तरमून खातून मजदूरी नहीं, दी जाती है प्रोत्साहन राशि संस्था का अपना नियम कानून है. इसके अनुसार हम सभी को चलना पड़ रहा है. कतीनों को संस्था द्वारा मजदूरी नहीं बल्कि प्रोत्साहन राशि दी जाती है. सरकार इस योजना को लेकर इनकी समस्या का समाधान कर सकती है. अरविंद कुमार, प्रधान मंत्री, ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा

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