रजौली : अनुमंडलीय अस्पताल में दवा वितरण काउंटर पर पदस्थापित फार्मासिस्टों की मनमानी के कारण काफी अराजक स्थिति बनी है. चिकित्सकों से मरीजों का इलाज करा कर जब उसके परिजन दवा लेने के लिए काउंटर पर पहुंचते हैं, तो काउंटर पर बैठे फार्मासिस्ट द्वारा उनसे काफी अभद्र व्यवहार किया जाता है. कई मौकों पर काउंटर पर पुर्जे लेकर बगैर दवा दिये ही वापस फेंक दिया जाता है.
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फार्मासिस्टों ने नहीं दी काउंटर पर दवा, लेकर फेंक दिये पुर्जे
रजौली : अनुमंडलीय अस्पताल में दवा वितरण काउंटर पर पदस्थापित फार्मासिस्टों की मनमानी के कारण काफी अराजक स्थिति बनी है. चिकित्सकों से मरीजों का इलाज करा कर जब उसके परिजन दवा लेने के लिए काउंटर पर पहुंचते हैं, तो काउंटर पर बैठे फार्मासिस्ट द्वारा उनसे काफी अभद्र व्यवहार किया जाता है. कई मौकों पर काउंटर […]
इससे मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. प्रखंड क्षेत्र से दूर-दूर से मरीजों के परिजन मरीजों को लेकर अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं. एक तो चिकित्सक द्वारा इलाज में काफी ढिलाई बरती जाती है और अगर इलाज हो भी जाती है, तो दवा लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
केस नंबर एक : सोमवार को भी ऐसा ही एक वाकया हुआ, जब रजौली के राजेश बरनवाल की पत्नी प्रीति कुमारी अपने बेटे का गिल्टी होने का इलाज कराने के लिए अनुमंडलीय अस्पताल गयी. उन्होंने अस्पताल में ओपीडी में इलाज कराने के बाद दवा लेने के लिए दवा वितरण काउंटर पर पहुंची.
लेकिन, दवा वितरण काउंटर पर बैठे फार्मासिस्ट ने पुर्जा लेकर गुस्से में आकर पुर्जे को जैसे-तैसे मचोर कर फेंक दिया और कहा कि रजौली बाजार में आज एक डॉक्टर मर गया है और सब भीड़ अस्पताल में ही आ गया है. जाओ भागो यहां से इतना कहने के बाद वह महिला फेंके गये पुर्जे को उठाकर बगैर दवा लिए ही रोते हुए वापस घर चली गयी.
केस नंबर दो : बांके मोड़ की एक महिला ने एक वर्ष के जौंडिस से पीड़ित बच्चे को लेकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंची. लेकिन, अस्पताल के चिकित्सकों ने उसका भी इलाज नहीं किया. काफी देर तक महिला अस्पताल में बैठ कर रोती रही. लेकिन, किसी ने उसकी नहीं सुनी. अंततः वह महिला बगैर इलाज के ही वापस लौट गयी
. यह एक दिन वाकया नहीं है आये दिन अनुमंडलीय अस्पताल में यह स्थिति बनी है. दवा वितरण काउंटर पर भी आये दिन फार्मासिस्ट द्वारा मनमानी की जाती है. दवा लेने के लिए काउंटर के बाहर लाइन में खड़े मरीज के परिजन घंटों इंतजार में रहते हैं और फार्मासिस्ट काउंटर के अंदर से अपने चहेतों लोगों को दवा वितरण करते रहते हैं.
टोल फ्री नंबर 104 पर शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
टोल फ्री नंबर 104 पर शिकायत किये जाने के बाद भी मरीजों की शिकायत नहीं सुनने और सुनने के बाद उस पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से इस टोल फ्री नंबर की उपयोगिता पर भी सवालिया निशान खड़ा है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा टोल फ्री नंबर 104 पर 24 घंटे मरीजों की समस्याओं से संबंधित सेवाएं प्रदान किये जाने के दावे जनमानस में किये जा रहे हैं. लेकिन, इसका कोई लाभ मरीज के परिजनों को नहीं मिल रहा है. टोल फ्री नंबर पर बैठे प्रतिनिधि मरीजों के परिजन की सुनते ही नहीं है और सुनते भी है तो कार्रवाई करने का कोई आश्वासन भी नहीं देते हैं.
क्या कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
जब अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एन के चौधरी से इस संदर्भ में शिकायत की गयी तो उन्होंने कहा कि पीड़ित महिला से आवेदन दिलवाइये, कार्रवाई की जायेगी, यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया. उपाधीक्षक की मनमानी के कारण दवा वितरण काउंटर के कर्मियों के व्यवहारों में कोई सुधार नहीं दिख रहा है.
मरीज व उसके परिजन दवा नहीं मिलने से हलकान हो रहे हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को होने वाली समस्याओं को लेकर टोल फ्री नंबर 104 पर शिकायत करने की बात राज्य सरकार द्वारा की गयी है. लेकिन, 104 नंबर डायल करने के बाद कस्टमर केयर के प्रतिनिधि मरीजों से काफी अटपटा व्यवहार करते हैं और वह भी अस्पताल के उपाधीक्षक या पीएचसी प्रभारी को आवेदन देने की बात करते हैं.ऐसे में सवाल उठता है कि जब उपाधीक्षक और पीएचसी प्रभारी ही मरीजों व उसके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं.
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