नवादा नगर : तेज धूप हो या बारिश का मौसम, आम लोगों की सुविधा के लिए ई-रिक्शा चालक तैयार बैठे हैं. जिले में पब्लिक ट्रांस्पोर्ट को ई-रिक्शा ने सुलभ व सस्ता बना दिया है लेकिन इन रिक्शा चालकों के दर्द को शासन व प्रशासन में बैठे नेता व अधिकारी नहीं समझ रहे हैं. कई शहरी नौजवानों के लिए यह रोजगार का भी साधन बना है.
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शहर में ई-रिक्शा चालकों के लिए नहीं है कोई सुविधा
नवादा नगर : तेज धूप हो या बारिश का मौसम, आम लोगों की सुविधा के लिए ई-रिक्शा चालक तैयार बैठे हैं. जिले में पब्लिक ट्रांस्पोर्ट को ई-रिक्शा ने सुलभ व सस्ता बना दिया है लेकिन इन रिक्शा चालकों के दर्द को शासन व प्रशासन में बैठे नेता व अधिकारी नहीं समझ रहे हैं. कई शहरी […]
बैंक से लोन लेकर या खुद की पूंजी लगाकर आज सैकड़ों बेरोजगार अपनी रोजी-रोटी ई-रिक्शा के माध्यम से कमा रहे हैं. सुविधाओं के अभाव का दंश ई-रिक्शा चालक झेल रहे हैं. रोड पर सवारी बैठाना और उतारना आज ई-रिक्शा चालकों की मजबूरी बन गयी है. जिला मुख्यालय में परिवहन सुविधा का सबसे महत्वपूर्ण साधन आज ई-रिक्शा बना हुआ है.
2016 के अंतिम महिनों में ई-रिक्शा की शुरुआत जिले में हुई थी, जो एक दो सालों में आम लोगों की आदत व जरूरत बन गयी है. जिला प्रशासन के द्वारा इ-रिक्शा को व्यवस्थित बनाने के लिए परिवहन विभाग से रजिस्ट्रेशन व नंबर भी उपलब्ध कराया गया.
ई रिक्शा प्रशासन के लिए टैक्स देने वाली सवारी गाड़ी तो बन गयी लेकिन इनके लिए किसी भी प्रकार की सुविधा की शुरुआत नहीं की गयी है. रोड पर यहां से वहां गाड़ी खड़ी करके सवारी चढ़ाने व उतारने के लिए ई-रिक्शा चालक बाध्य हैं. ट्रैफिक पुलिस व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की डांट-फटकार व डंडे की मार ई-रिक्शा वालों के लिए नीयती बन गयी है.
गाड़ी खड़ी करने का निर्धारित स्थान नहीं होने से इनको प्रजातंत्र चौक, सदभावना चौक, सभी बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशन आदि के पास ई-रिक्शा जहां-तहां खड़ा करना पड़ता है. जाम व अतिक्रमण का कारण भी अधिकतर समय रोड पर खड़ी ई-रिक्शा बनती हैं.
स्टैंड की आवश्यकता
ई-रिक्शा चालकों को दिन भर यहां से वहां भटकते रहना होता है. कहीं भी शहरी क्षेत्र में गाड़ी खड़ी कर आराम करने की जगह नहीं है. गाड़ी को पार्क करने की सुविधा नहीं होने से चालकों को बाथरूम, पानी पीने आदि जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए भी परेशान होना पड़ता है.
रोड पर गाड़ी खड़ी करके यदि नेचुरल कॉल के भी ई-रिक्शा चालक जाना चाहे, तो अधिकतर समय परेशानी ही होती है. शहरी क्षेत्र में ई-रिक्शा के लिए स्पेशल पार्किंग की सख्त जरूरत है.
नगर में खुरी नदी के किनारे, पुरानी रजौली बस स्टैंड, दो नंबर पटना बस स्टैंड आदि के पास आसानी से प्रशासन ई-रिक्शा स्टैंड बना सकता है, जहां सवारी को उतारने, चढ़ाने की सुविधा के साथ चालकों को भी आराम मिल सकेगा.
अतिक्रमण का बनता है कारण
शहर में जाम व अतिक्रमण की मुख्य समस्याओं में से एक सड़क पर लगी ई-रिक्शा व जहां-तहां रोककर सवारी चढ़ाते व उतारती गाड़ियां बन रही हैं. अधिकारियों के गाड़ियों के आने के समय ट्रैफिक पुलिस डंडे के जोर पर ई-रिक्शा को चौक-चौराहों आदि से भगा देते हैं, जबकि कुछ देर बाद ही वे फिर से पुरानी जगह पर गाड़ी खड़ी कर देते हैं.
साईकिल रिक्शा के स्थान पर ई -रिक्शा आने से यात्रियों को कम भाड़ा में अधिक दूरी तक यात्रा करने की सुविधा मिली है. पर चालकों को लाभ मिलना अभी बाकी है.
क्या कहते हैं ई-रिक्शा चालक
हमलोगों के लिए हर जगह परेशानी है. स्थान निर्धारित नहीं होने से रोड पर गाड़ी खड़ी करके सवारी बैठाना पड़ता है. पुलिस से लेकर अधिकारी तक की डांट फटकार हर रोज सुनते हैं. सवारी से भाड़ा भी सही से नहीं मिलता है.
संतोष कुमार,पारनवादा, ई-रिक्शा चालक
ई-रिक्शा वालों को यदि जगह मिल जायेगा तो वे रोड पर गाड़ी क्यों लगायेंगे. शहर में तीन से चार जगह पर चुंगी के रूप में अवैध वसूली होती है. प्रशासन के अधिकारी टैक्स तो ले रहे हैं लेकिन हमें कोई लाभ नहीं मिल रहा है.
ऋषिकेष शर्मा, शिवनगर पोस्टमार्टम रोड, ई-रिक्शा चालक
क्या कहते हैं अधिकारी
ई-रिक्शा के लिए स्टैंड बनाने पर विचार होगा. हो रही असुविधा पर वरीय अधिकारियों को प्रस्ताव देंगे. संभव होने वाले काम किये जायेंगे.
अन्नू कुमार, सदर एसडीओ
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