19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बच्चों के लिए मां का स्तनपान अमृत : डॉ एके

नवादा : शिशु के लिए माता का दूध एक सर्वोत्तम आहार होने के साथ उनका मौलिक अधिकार भी है. यह बच्चों के लिए अमृत के समान होता है. यह बातें सदर अस्पताल के शिशु रोग चिकित्सक डॉ अखिलेश कुमार मोहन ने स्तनपान को लेकर आयोजित वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि मां का दूध शिशु […]

नवादा : शिशु के लिए माता का दूध एक सर्वोत्तम आहार होने के साथ उनका मौलिक अधिकार भी है. यह बच्चों के लिए अमृत के समान होता है. यह बातें सदर अस्पताल के शिशु रोग चिकित्सक डॉ अखिलेश कुमार मोहन ने स्तनपान को लेकर आयोजित वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि मां का दूध शिशु को शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित होने में मदद करता है.
स्तनपान करने वाले बच्चों में प्राकृतिक रूप से रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है. जिससे डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण जैसी गंभीर रोगों से बच्चे में प्रभावी रूप से बचाव भी होता है. बच्चों के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला गाढ़ा दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा लाता है तथा जन्म से छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराने से बच्चे कई रोगों से सुरक्षित रहने के साथ कुपोषण से भी बचा रहता है.
उन्होंने बताया कि सामान्य प्रसव में एक घंटे के भीतर एवं सिजेरियन प्रसव में चार घंटे के अंदर प्रसव कराने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. शुरुआती स्तनपान व छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से बाद में होने वाली बीमारी जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा एवं एलर्जी में संभावित कमी भी आती है.
उन्होंने बताया कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में प्रसव के बाद होने वाली अत्यधिक रक्त स्त्राव में भी कमी आती है. इसके अलावा महिलाओं में अवांक्षित वसा संग्रहण को भी कम करने में स्तनपान बहुत सहायक होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 25 लाख बच्चों की मृत्यु जन्म के पहले महीने में ही हो जाती है. निमोनिया एवं दस्त शिशु मृत्यु दर के कारणों में प्रमुखता से शामिल है.
इस रिपोर्ट के अनुसार जन्म से एक घंटे तक मां का गाढ़ा दूध, 6 महीने तक सिर्फ़ स्तनपान व छह महीने के बाद 2 साल तक स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देने से बच्चा निमोनिया, दस्त व कुपोषण से सुरक्षित रहता है. साथ ही इन कारणों से होने वाले शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक कमी भी लायी जा सकती है.
जागरूकता से ही स्तनपान में आ सकती है बढ़ोतरी : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे चार के अनुसार जिले में जन्म के एक घंटे के अंदर मात्र 42.6 प्रतिशत महिला ही स्तनपान कराती हैं तथा 32.8 प्रतिशत महिलाओं के द्वारा 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है. सरकारी प्रयासों के बाद भी स्तनपान में वांक्षित बढ़ोत्तरी का आभाव प्रदेश स्तर पर भी कायम है.
जबकि बिहार में जन्म के एक घंटे के अंदर मात्र 34.9 प्रतिशत महिला ही स्तनपान कराती हैं तथा 53.4 प्रतिशत महिलाओं के द्वारा ही से 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है. हालांकि राज्य में पिछले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-3 (2005-06) की तुलना में पहले घन्टे स्तनपान में लगभग पांच गुणा व छह माह तक सिर्फ स्तनपान में दो गुणा इजाफा हुआ है, जिसे एक सकारात्मक संकेत समझा जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें