नवादा नगर : नवादा जिला बनने के 45 वर्षों का लंबा समय पूरा हो जाने के बाद भी स्थानीय स्तर पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. 26 जनवरी 1973 को गया से अलग होकर नवादा को जिला का दर्जा मिला था़ लेकिन, अब तक शहर में एक पार्क या सुबह, शाम लोगों के घूमने-टहलने का स्थान तक नहीं है. शहरी क्षेत्र में पार्क बनाने के लिए कई बार प्रयास किये गये, लेकिन जमीन की उपलब्धता नहीं होने की बात कह कर सरकार द्वारा भेजी गये रुपये को लौटाना पड़ा है.
योगा व व्यायाम करनेवालों की संख्या बढ़ी है. मुख्य सड़क पर मॉर्निंग वॉक या गांधी इंटर स्कूल, हरिश्चंद्र स्टेडियम, आईटीआई मैदान आदि ऐसे स्थान हैं, जहां सुबह में सैकड़ों लोग व्यायाम करते दिखते हैं. पार्क या घूमने टहलने के लिए किसी स्थान विशेष को विकसित किया जाये, तो निश्चित ही शहर के लोगों को लाभ मिल सकेगा.
व्यवस्था बेहतर करने की जरूरत
शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जिसे मॉर्निंग वॉक प्लेस के रूप में डेवलप किया जा सकता है. सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर प्रयास से बच्चों के लिए खेलने तथा अन्य लोगों के लिए वॉकिंग करने का स्थान बनाया जा सकता है. खुरी नदी की किनारा को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित कर लोगों को हरियाली व प्राकृतिक खूबसूरती के साथ वॉकिंग प्लेस का तोहफा दिया जा सकता है. नदी के दोनों किनारों पर लोगों के द्वारा अंधाधुंध जमीन हड़पने का अभियान चल रहा है. रिवर फ्रंट के रूप में विकसित होने पर अतिक्रमण को भी हद तक रोका जा सकेगा.शहर में पार्क बनाने के लिए पिछले बजट सत्र में भी नगर विकास विभाग के द्वारा रुपये उपलब्ध कराये गये थे. लेकिन, स्थान का चयन नहीं होने के कारण विभाग को रुपये लौटाने पड़े.
प्रतियोगिताओं की तैयारी भी हो रही प्रभावित
फिलहाल लोगों का जमावड़ा गांधी इंटर स्कूल के मैदान, हरिश्चंद्र स्टेडियम, आईटीआई मैदान, मिर्जापुर सूर्य मंदिर, शोभनाथ मंदिर परिसर आदि में जुटते हैं. दारोगा, सिपाही या आर्मी बहाली के लिए तैयारी करनेवाले युवाओं की टोली भी सुबह चार बजे से ही दौड़ की तैयारी के लिए सड़कों पर भागते दिखते हैं. स्टेडियम में ही सही से दौड़ या वॉकिंग ट्रैक बना कर प्रैक्टिस के लिए स्थान बनाया जाये तो लाभ होगा. गांधी इंटर स्कूल में महिलाएं भी व्यायाम के लिए बड़ी संख्या में जुटती हैं. आईटीआई का मैदान बड़ा है़ सुबह में यहां भी लोगों की भीड़ रहती है.
शहर में पार्क के लिए स्थान के चयन पर विचार हो रहा है. सही स्थान मिलने पर राशि उपलब्ध करा कर उसे ठीक किया जायेगा. पार्क की आवश्यकता से अधिकारी वाकिफ है़ इसके लिए प्रयास हो रहा है.
अनू कुमार, सदर एसडीओ
स्टेडियम में बनाया गया था प्लेटफाॅर्म
लाखों रुपये खर्च कर हरिश्चंद्र स्टेडियम में वॉकिंग प्लेटफाॅर्म बनाया गया था लेकिन, रख-रखाव नहीं होने से स्थानीय झोपड़पट्टीवालों के लिए यह प्लेटफाॅर्म खुले में शौच करने का स्थान बन गया. स्टेडियम परिसर के अधिकतर हिस्से में पास के तालाब का गंदा पानी भरा हुआ है. पानी पूरे मैदान में नहीं फैले, इसके लिए नगर पर्षद की कूड़ा उठानेवाली गाड़ियों का कचरा स्टेडियम में डंप किया जा रहा है. सुबह को स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए निकलनेवाले लोगों को स्टेडियम में दौड़ते हुए खुले में शौच करते लोग और धूल व दुर्गंध भरी हवा मिलती है. स्टेडियम में विभिन्न खेलों व दौड़ की तैयारी करनेवाले सैकड़ों युवा सुबह में जुटते हैं. लेकिन सुविधाएं नदारद है.