सिहीन गांव में आस्था का केंद्र बना मां काली मंदिर
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मन्नतें उतारने के लिए आपको करना होगा 12 साल इंतजार
सिहीन गांव में आस्था का केंद्र बना मां काली मंदिर प्रतिमा निर्माण कराने को 2030 तक रजिस्टर्ड हैं भक्त चैती नवरात्र में प्रतिमा स्थापित कर चार दिन तक मनता है उत्सव हिसुआ : सिहीन गांव के प्रसिद्ध काली मंदिर में अगर आपकी मन्नतें पूरी हुई हों, तो मन्नत का भार उतारने के लिए 12 साल […]
प्रतिमा निर्माण कराने को 2030 तक रजिस्टर्ड हैं भक्त
चैती नवरात्र में प्रतिमा स्थापित कर चार दिन तक मनता है उत्सव
हिसुआ : सिहीन गांव के प्रसिद्ध काली मंदिर में अगर आपकी मन्नतें पूरी हुई हों, तो मन्नत का भार उतारने के लिए 12 साल इंतजार करना होगा. फिलवक्त 2030 तक मां की प्रतिमा निर्माण व पूजा भार के लिए श्रद्धालुओं की लाइन लग चुकी है. रजिस्ट्रेशन हो चुका है. 2030 तक अगले श्रद्धालु को अपनी बारी का इंतजार करना होगा. पति-पत्नी दोनों इसमें शामिल होते हैं. इसने सालों में मन्नत माननेवाले यदि पति या पत्नी का निधन हो जाता है, तो फिर उस काम को फिर दोनों में से एक या उनके परिजन करते हैं.
सिहीन की चैती काली मां पर लोगों की खूब आस्था है. दिनों-दिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है. यहां मन्नतें पूरी होती हैं, तो श्रद्धालु एक साल के लिए मां की प्रतिमा बनाने और उनका पूजन का काम पूरा करते हैं. यह एक परंपरा बन गयी है. इस साल खूनबाहा गांव निवासी जगदेव यादव के पुत्र राजकुमार की बारी है. 2019 में सिहीन गांव निवासी ओम प्रकाश की बारी आयेगी.
सिहीन के काली मंदिर में 1951 से भक्ति का मेला लगना शुरू हुआ था. जमींदारी काल में लगभग 1934 से यहां काली पूजा होने की जानकारी दी जा रही है. चैती नवरात्र में चार दिनों तक सिहीन गांव कालीमय रहता है. पूजा-अर्चना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाटक का मंचन होता है. इस बार 28 मार्च तक कार्यक्रम है. आयोजन में खुशियाल प्रसाद, रामदेव कुशवाहा, महेंद्र सिंह, बिंदा राजवंशी, बलवीर यादव, वासुदेव यादव, रमेश कुशवाहा, अशोक विश्वकर्मा, ब्रह्मदेव पासवान, मुंशी राम, नगेंद्र साव आदि लगे हुए हैं.
सांप्रदायिक सौहार्द की भी है मिसाल
काली स्थान के सामने एक मजार है, जिस पर मुस्लिम समुदाय के लोग नेयाज-फातया करते हैं, लेकिन काली पूजन के समय हिंदू भी इस पर अगरबत्ती आदि जलाते हैं. जमींदारी काल में ही यहां मजार बना था. 1934 का बना हुआ, एक विशाल कुंआ भी है. उसके पानी से आज भी गांव के लोग लाभान्वित हैं. बीच में काली मां का मंदिर और उससे सटे उत्तर तरफ देवी मंदिर है, जहां शिवलिंग और देवी की मूर्ति है. दक्षिण तरफ शिव मंदिर व बजरंगबली का मंदिर काली स्थान से सटा कर बनाया गया है. पूरा परिसर भक्ति और सौहार्द का संदेश देता है.
2030 तक प्रतिमा बनाने व पूजा करनेवालों की सूची
वर्ष नाम पता
2018 राजकुमार पिता जगदेव यादव खूनबाहा
2019 ओम प्रकाश पिता स्व ईश्वरी प्रसाद सिहीन
2020 अशोक सिन्हा पिता सच्चिदानंद सिन्हा सिहीन
2021 अमित कुमार पिता रमेश कुमार सिहीन
2022 अनिल सिंह पिता स्व. बाढ़ो सिंह सिहीन
2023 जितेंद्र सिंह पिता श्री सिंह पटना
2024 कंचन देवी पति स्व. कपिल सिंह सिहीन
2025 रविंद्र यादव पिता स्व. बुधन यादव सिहीन
2026 हुलास प्रसाद पिता स्व. ईश्वरी प्रसाद सिहीन
2027 अंजू देवी पति सुनील प्रसाद तिलौथु रोहतास
2028 महेंद्र प्रसाद पिता स्व, महावीर महतो सिहीन
2029 कृष्णदोव सिंह पिता स्व. सौदागर सिंह सिहीन
2030 पिंटू महता पिता बीरेदंर मेहता सिहीन
दैवी कृपा से गांव में आनंद और खुशी
हमारा गांव सौहार्द और प्रेम का मिसाल देनेवाला भी है. यहां ग्रामीणों में प्रेम है. सभी एक-दूसरे के ह्रदय में बसते हैं. मजार की भी पूजा होती है. देवी-देवताओं की कृपा से गांव में आनंद और खुशी है.
महेश्वर पंडित, समाजसेवी, सिहीन
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