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सासाराम जहरीली शराब कांड के बाद विभाग अलर्ट

चिह्नित स्थानों की मुखबिरी तेज छापेमारी को लेकर टीम का गठन बिहारशरीफ : सासाराम में जहरीली शराब के सेवन से हुई चार की मौत के बाद उत्पाद विभाग ने अपनी सतर्कता पहले से और तेज कर दी है. उत्पाद विभाग ने अपने सभी पदाधिकारियों को इस संबंध में कई खास दिशा-निर्देश जारी किया है. विभागीय […]

चिह्नित स्थानों की मुखबिरी तेज
छापेमारी को लेकर टीम का गठन
बिहारशरीफ : सासाराम में जहरीली शराब के सेवन से हुई चार की मौत के बाद उत्पाद विभाग ने अपनी सतर्कता पहले से और तेज कर दी है. उत्पाद विभाग ने अपने सभी पदाधिकारियों को इस संबंध में कई खास दिशा-निर्देश जारी किया है.
विभागीय स्तर से एक विशेष छापेमारी टीम का गठन किया गया है. टीम में शामिल उत्पाद विभाग के वरीय पदाधिकारी जिले के कुछ चिह्नित स्थानों पर छापेमारी कर वहां की वस्तुस्थिति की जानकारी लेने में जुटे हैं. बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बाद अभी तक जहरीली शराब से संबंधित किसी तरह का मामला उत्पाद विभाग या पुलिस के संज्ञान में नहीं आया है, बावजूद इसके विभाग ने सासाराम की घटना को देखते हुए अपनी चौकसी पहले से काफी तेज कर दी है.
रेडिंग टीम उन स्थानों पर विशेष चौकसी बरत रही है,जहां पूर्व में चुलायी शराब का निर्माण किया जाता था. इसके लिए संबंधित थानाध्यक्षों से भी बेहतर तालमेल बनाये जा रहे हैं. मुखबिरों की मदद से उन शराब तस्करों की पकड़ने की योजना तैयार की गयी है, जो दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी करने में जुटे हुए है.
उत्पाद अधीक्षक प्रहलाद प्रसाद भूषण ने बताया कि एक विशेष टीम का गठन कर कुछ खास चिह्नित स्थानों पर विशेष कार्रवाई की जा रही है.उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर जिले में शराब की बिकवाली, तस्करी व निर्माण का कार्य नहीं होने दिया जायेगा. शराब के मामले में पूर्व में जेल की हवा खा चुके करीब तीन दर्जन लोगों पर उत्पाद विभाग कड़ी नजर रख रहा है.उनकी प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है.जिले के कुछ नक्सल प्रभावित क्षेत्र के अलावे पहाड़ी क्षेत्रों को छापेमारी के लिए विशेष तौर पर चिन्हित किया गया है.उत्पाद अधीक्षक ने बताया कि वह स्वयं जिले के चिह्नित स्थनों पर जाकर पूरी जानकारी लेने में जुटे हैं.
ऐसे तैयार होती है जहरीली शराब
खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहरीली शराब का निर्माण किया जाता है. शराब निर्माण में महुआ के साथ शीरे के रूप में गुड़ का प्रयोग करते हैं, लेकिन अब अधिक लाभ कमाने के चक्कर में गुड़ के स्थान पर यूरिया व नौशादर का प्रयोग किया जाता है.
शराब के निर्माण में मानक को सीधे तौर पर नजरअंदाज किया जाता है. जानकार बताते हैं कि इस तरह के शराब के निर्माण में होम्योपैथिक दवा का भी प्रयोग किया जाता है. इन अवैध व्यवसायियों के पास कोई निर्धारित मानक तो होता नहीं है, यही वजह है कि शराब में यूरिया की मात्रा अधिक पड़ जाती है, जो जहर में तब्दील हो जाती है.

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