संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले में होने वाली सड़क हादसों की प्राथमिकी दर्ज करने में ट्रैफिक थाने की पुलिस हांफ रही है. थाने के पास प्राथमिकी दर्ज करने के लिए न तो पर्याप्त संसाधन और ना ही पदाधिकारी. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर पिछले माह से जिले में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों को अब सीधे मोतीझील स्थित ट्रैफिक थाने में दर्ज किया जा रहा है. आलम यह है कि बीते एक माह में महज छह प्राथमिकी ही दर्ज की गयी है. कई पीड़ित के फर्द बयान को उसके निकटतम थाने में दर्ज कराने के लिए भेज दिया गया . इसकी मुख्य वजह यह है कि थानों में दर्ज होने वाली प्राथमिकी की जांच के लिए मात्र दो दो दारोगा की पोस्टिंग है. एक दिनभर गश्ती में रहता है, दूसरे के जिम्मे प्राथमिकी की जांच करने की जिम्मेवारी है. थाने में सीसीटीएनएस सिस्टम नहीं लगे होने के कारण एफआइआर वर्तमान में मैनुअल भरा जा रहा है. लेकिन, इसके लिए भी थाना लेखक नहीं है. नगर थाने की मुंशी को बुलाकर एफआइआर बुक भराया जा रहा है. सड़क हादसे में एफआइआर दर्ज करने के साथ ही टाइम बांड बना हुआ है. जांच के हर एक पॉइंट पर फॉर्म भरा जाता है कि ताकि पीड़ित को मुआवजा दिला सके. मगर पदाधिकारियों व जवानों की कमी के कारण प्राथमिकी दर्ज करने की कवायद धीमी है. वर्तमान में ट्रैफिक थाने में चार डीएपी जवान, 88 होमगार्ड, दो दारोगा , एक इंस्पेक्टर व डीएसपी की तैनाती है. ट्रैफिक डीएसपी महेश चौधरी ने बताया कि उन्होंने एएसपी से पदाधिकारी व जवानों की मांग की है. उन्होंने स्वीकार किया कि वर्तमान में मौजूद दो दरोगाओं को ही पूरे जिले के मामलों की जांच करनी पड़ रही है, जो काफी चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा, “जब तक नए पदाधिकारी उपलब्ध नहीं हो जाते, तब तक मौजूदा दोनों दरोगाओं को ही ये जिम्मेदारी निभानी होगी. डीएसपी ने यह भी कहा कि जैसे ही अतिरिक्त पदाधिकारी मिलेंगे, उन्हें भी इन मामलों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. उनका मानना है कि इससे जांच समय पर और सटीक ढंग से पूरी हो सकेगी.
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