मुजफ्फरपुर.
मिठनपुरा स्थित चंद्रशेखर भवन में शनिवार को गंगा मुक्ति आंदोलन के बैनर तले चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का समापन शनिवार को किया गया. इस मौके पर आगामी कार्यक्रम, रणनीत, आयाम व संगठन पर चर्चा हुई. अध्यक्षता गंगा मुक्ति आंदोलन के अगुआ अनिल प्रकाश व संचालन उदय ने किया. कार्यक्रम में पंद्रह सूत्री प्रस्ताव पारित किए गए. वक्ताओं ने कहा कि 1990 में बिहार सरकार ने बिहार की सभी नदियों को पारंपरिक मछुओं के लिए करमुक्त किया था, लेकिन वर्तमान में बिहार सरकार डाल्फिन सेंचुरी और अन्य कायदे कानून के नाम पर निशुल्क शिकारमाही के अधिकार को शिथिल कर रही है, इसलिए गंगा मुक्ति आंदोलन बिहार में फ्री फिशिंग एक्ट बनाने की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन करेगी. साथ ही साथ देश की तमाम नदियां व अन्य जल स्त्रोतों में पारंपरिक मछुओं के लिए टैक्स फ्री हो इसके लिए भी देश भर में अभियान चलायेगी. वक्ताओं ने कहा कि सरकार सभी नदियों का सर्वेक्षण कर उसका चौहद्दी व क्षेत्रफल निर्धारित कर सीमांकन करें. गंगा मुक्ति आंदोलन की 43 वां स्थापना सह वर्षगांठ भागलपुर जिला के कहलगांव में 22 फरवरी को मनाया जाएगा, जिसमे वर्षों के आंदोलन का मूल्यांकन और संगठन की आगामी कार्यक्रम व दिशा पर चर्चा होगी. प्रो विजय जायसवाल ने बताया कि नदी किनारे जीवनयापन करने वाले समुदाय के अधिकारों के हित का अतिक्रमण किया जा रहा हैं. रंजीत कुमार मंडल ने बताया कि आधुनिक विकास के नाम पर नदियों के अविरल धारा और स्वच्छता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं. नदी बचाओ अभियान के संयोजक नरेश कुमार सहनी ने कहा कि तालाब का जीर्णोद्धार कर मछुआरे का हकमारी कर जीविका समूह को दिया जा रहा हैं. इस मौके पर पत्रकार मधुर मिलन नायक, जल श्रमिक संघ के योगेन्द्र सहनी, अमित कुमार, पंकज कुमार निषाद, बसंत कुमार राय, सत्येंद्र कुमार, राज कुमार पासवान, अमरनाथ, संतोष कुमार सिद्धार्थ, उदय, योगेंद्र सहनी, सूरज कुमार सहनी,योगेंद्र, हरिश्चंद्र केवट, शीलम झा भारती, राम किशोर झा, नव ज्योति पटेल, अलका सिंह, डॉ.इंदु भारती,कृष्णा प्रसाद, चंदेश्वर राम, नरेश कुमार सहनी, आदित्य सुमन, बालक नाथ सहनी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

