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साइबर ठगी से सावधान: सार्वजनिक वाई-फाई और संदिग्ध लिंक्स से रहें दूर

Stay away from Wi-Fi and suspicious links

संवाददाता, मुजफ्फरपुर

जैसे-जैसे ऑनलाइन शॉपिंग का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इससे जुड़े साइबर ठगी के मामले भी सामने आ रहे हैं. डिजिटल युग में सुरक्षित ऑनलाइन लेनदेन सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है. पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में नागरिकों को सुरक्षित ऑनलाइन शॉपिंग के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाने की सलाह दी है, ताकि वे संभावित धोखाधड़ी से बच सकें.

विश्वसनीय वेबसाइटों को प्राथमिकता दें

: ऑनलाइन खरीदारी करते समय, यह सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण है कि आप केवल विश्वसनीय और प्रतिष्ठित वेबसाइटों से ही खरीदारी करें. फर्जी वेबसाइटें अक्सर आकर्षक ऑफर्स के साथ ग्राहकों को लुभाती हैं, लेकिन इनके माध्यम से आपकी निजी जानकारी और वित्तीय डेटा चोरी होने का खतरा रहता है. खरीदारी से पहले वेबसाइट के यूआरएल और उसके रिव्यू की जांच अवश्य करें.

सार्वजनिक वाई-फाई पर भुगतान से बचें

: सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क, जैसे कि रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों या कॉफी शॉप्स में उपलब्ध वाई-फाई, अक्सर असुरक्षित होते हैं. इन नेटवर्कों पर ऑनलाइन भुगतान करने से आपकी बैंकिंग जानकारी हैकर्स के लिए आसान लक्ष्य बन सकती है. संवेदनशील लेनदेन के लिए हमेशा एक सुरक्षित और निजी इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करें.

अपनी व्यक्तिगत जानकारी गोपनीय रखें

: किसी भी वेबसाइट या व्यक्ति के साथ अपनी अनावश्यक व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें. आपकी बैंक खाता संख्या, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) और पिन जैसी जानकारी गोपनीय होती है और इसे कभी भी किसी को नहीं बताना चाहिए, भले ही वह खुद को बैंक अधिकारी या किसी कंपनी का प्रतिनिधि बताए.

””””HTTPS://”””” और पैडलॉक आइकन का ध्यान दें:

जब भी आप किसी वेबसाइट पर भुगतान कर रहे हों या अपनी व्यक्तिगत जानकारी दर्ज कर रहे हों, तो यह सुनिश्चित करें कि वेबसाइट का URL ””””https://”””” से शुरू होता हो. ””””s”””” का अर्थ ””””सुरक्षित”””” है, जो यह दर्शाता है कि वेबसाइट एन्क्रिप्टेड है और आपका डेटा सुरक्षित रूप से स्थानांतरित हो रहा है. साथ ही, ब्राउज़र के एड्रेस बार में एक पैडलॉक आइकन भी देखना न भूलें, जो सुरक्षा का प्रतीक है.

संदिग्ध लिंक और ऑफर्स से सावधान रहें:

साइबर अपराधी अक्सर आकर्षक ऑफर्स या अप्रत्याशित पुरस्कारों के नाम पर संदिग्ध लिंक भेजते हैं. इन लिंक्स पर क्लिक करने से आपके डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है या आप फिशिंग वेबसाइट पर रीडायरेक्ट हो सकते हैं, जहां आपकी जानकारी चुराई जा सकती है. अज्ञात स्रोतों से प्राप्त ईमेल, संदेश या पॉप-अप विज्ञापनों में दिए गए लिंक्स पर क्लिक करने से बचें.

शिकायत दर्ज करना आवश्यक:

बिहार पुलिस ने यह भी बताया है कि अगर कोई भी व्यक्ति साइबर ठगी का शिकार होता है, तो वह तुरंत इसकी शिकायत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर कर सकता है. इसके अतिरिक्त, हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. त्वरित शिकायत से अपराधियों को पकड़ने और आपकी हानि को कम करने में मदद मिलती है.

केस एक :::

सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर के रहने वाले सरोज कुमार को एक मशहूर ई-कॉमर्स वेबसाइट के नाम से एक ईमेल आया. ईमेल में लिखा था कि “बड़ी सेल! स्मार्टफोन पर 70% तक की छूट और अतिरिक्त 10% कैशबैक सरोज जो नया स्मार्टफोन खरीदने की सोच रहे थे, इस ऑफर को देखकर बहुत उत्साहित हुए. उन्होंने बिना सोचे-समझे ईमेल में दिए गए लिंक पर क्लिक कर दिया. यह लिंक एक फर्जी वेबसाइट पर ले गया जो देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट जैसी थी. और खाते से 70 हजार रुपये का फ्रॉड कर लिया गया.

केस दो::

ब्रह्मपुरा की निवासी रानी सिंह एक गृहिणी हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर ऑनलाइन बुटीक का विज्ञापन दिखा, जो हाथ से बनी साड़ियों पर भारी छूट दे रहा था. प्रिया को साड़ियां पसंद आईं और उन्होंने विज्ञापन में दिए गए इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर क्लिक किया. प्रोफाइल पर बहुत सारे फॉलोअर्स और सकारात्मक कमेंट्स थे, जिससे प्रिया को लगा कि यह एक वैध विक्रेता है. उसके झांसे में आकर खाते से 46 हजार रुपये उड़ा लिया .

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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