Nepal Protest: मुजफ्फरपुर. नेपाल हिंसा में उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों की सैंकड़ों गाड़ियां नेपाल में फंसी हैं. हालांकि ट्रैवल एजेंट चालकों से अपडेट ले रहे हैं. उनका कहना है कि औसतन प्रतिदिन नेपाल के लिए उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों से सैकड़ों गाड़ियां यात्रियों को लेकर जाती है. कई निजी गाड़ियों को भी भेजा गया है. ट्रैवल एजेंट की समस्या इस बात को लेकर है उन्होंने जो प्राइवेट नंबर की गाड़ियां भेज रखी है, अगर उसे नुकसान हुआ तो उसकी पूरी भरपाई उन्हें अपने जेब से करनी होगी. इस घटना के बाद गाड़ी वाले भी उनके ऊपर दबाव बनाने लगे हैं कि उनकी गाड़ी कब तक आयेगी, अभी बॉर्डर सील है, ऐसे में वह अपने किसी आदमी को वहां तो नहीं भेज सकते है. सुकून बस इसी बात है कि जहां हिंसा हुई उस क्षेत्र से काफी दूर उनकी गाड़ियां हैं.
पर्यटकों की सुरक्षित वतन वापसी का चल रहा प्रयास
रक्सौल प्रतिनिधि के अनुसार नेपाल में आंदोलन के बीच फंसे भारतीय पर्यटकों के वापसी का प्रयास शुरू हो गया है. नेपाली प्रशासन के द्वारा नेपाल घूमने के लिए गए पर्यटकों को निषेधाज्ञा की अवधि समाप्त होने के बाद भारत के लिए भेजा जा रहा है. बुधवार की शाम करीब 6 बजे से नेपाल में फंसी पर्यटक बस व गाड़ियों के आने का क्रम शुरू हो गया. जिसको लेकर दूतावास से मिली जानकारी के बाद पहले से ही एसएसबी और बिहार पुलिस को अलर्ट कर दिया गया था. मैत्री पुल पर तैनात एसएसबी के जवानों और हरैया थानाध्यक्ष किशन कुमार पासवान की उपस्थिति में नेपाल से आने वाले पर्यटकों के आइडी कार्ड की जांच कर उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति दी जा रही थी.
अब तक किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं
बनारस से काठमांडू दर्शन के लिए गये यूपी के तीर्थ यात्रियों के एक जत्थे में शामिल लोगों का कहना था कि भारत की सीमा में दाखिल होकर जान में जान आयी है. हमलोग पूरे रास्ते पशुपतिनाथ और बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करते आए है कि हमलोग सही सलामत अपने देश पहुंच जाए. वहीं बस के चालक ने बताया कि नेपाली प्रशासन से भारतीय पर्यटकों की काफी मदद की है. आंदोलन कर रहे लोग भी पर्यटकों को परेशान नहीं कर रहे थे. समाचार लिखे जाने तक रक्सौल बॉर्डर से लगातार नेपाल में फंसी पर्यटकों की गाड़ियां वापस आ रही थी. वहीं भारत के तरफ फंसे हुए नेपाली पर्यटकों को भी शाम के समय सुरक्षित उनके देश रवाना किया गया. गुरूवार से हालात के सामान्य होने की संभावना है.

