औराई. बेटी जहमत नहीं रहमत हैं. बेटी को किसी भी स्तर पर समाज में कमतर न समझें. बेटी बाप व मां के लिये मुस्सरत का पैगाम है. हमें बेटे व बेटियों में हरगीज फर्क महसूस नहीं करना चाहिये. बेटियां बाप मां व परिवार का सर बुलंदियों पर पहुंचा रही हैं. इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहै वसल्लम के खानदान को बेटियों ने ही आगे बढ़ाया था. उक्त बातें प्रखंड के महेश स्थान गांव में सोमवार की देर रात तक चले अजमते ए वालदेन कॉन्फ्रेंस में गया से आये धर्मगुरु डॉ. जाकिर गयावी ने कही. उन्होंने कहा कि मां बाप की दुआ के बदौलत इंसान दिन व दुनिया दोनों में कामयाब हो सकेगा. यूपी के बरेली से आये मौलाना सुबहानी मियां ने कहा कि इंसानी खिदमत बहुत बड़ी नेकी है. जिंदगी बहुत छोटी है. इसलिये फजूल की चीजों में वक्त बर्बाद न करने की सलाह दी. उन्होंने जीवन को इंसानियत के काम में लगाने की नसीहत दी. मौलाना महबूब रजा फैजी ने कहा कि आपस में एक दूसरे की दुख दर्द में शरीक होना चाहिये जिससे समाज में अमन और भाईचारा का माहौल कायम होता है. कोलकाता से आये शायर असद इकबाल साहब ने ””””नबी- नबी- नबी कलाम पढ़कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया. कान्फ्रेंस का आयोजन अपने दिवंगत माता-पिता के इशाले शवाब के साथ ही बेटी अदिना रहमानी के अकिका के उपलक्ष्य में समाजसेवी सह उद्योगपति ई. आमिर रहमानी व ई. अदनान रहमानी ने किया था. कार्यक्रम का संचालन महबूब गौहर ने किया. वहीं कान्फ्रेंस में मौलान अरशद रजवी, मौलाना तारीफ रजा अमजदी, गुलरेज रजा बरकाती समेत अन्य लोगों ने शिरकत की.
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