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पिछले वर्ष एइएस से पीड़ित बच्चे ही हो रहे बीमार

पिछले वर्ष एइएस से पीड़ित बच्चे ही हो रहे बीमार

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:: अब तक पीड़ित 11 बच्चों को पिछले साल भी हुआ था एइएस :: जिल में अब तक पहली बार पीड़ित बच्चे का केस नहीं :: गोपालगंज का एक पीड़ित बच्चा एसकेएमसीएच में हुआ था भर्ती विनय, मुजफ्फरपुर जिले में अब तक 11 बच्चे एइएस से पीड़ित हुए हैं. सभी बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती किये गये थे. बीमारी में सुधार होने पर एक-एक कर सभी बच्चों की छुट्टी कर दी गयी है लेकिन हैरानी की बात यह है कि वही बच्चे बीमार हो रहे हैं, जो पिछले साल भी एइएस की चपेट में आये थे. फरवरी से ही इन बच्चों में एइएस की पुष्टि होने लगी थी. बीमारी का लक्षण दिखने पर उन बच्चों का इलाज किया गया है. गोपालगंज से एइएस पीड़ित बच्चे को छोड़ दे तो इस बार कोई भी बच्चा पहली बार एइएस की चपेट में नहीं आया है. बच्चों के दोबारा एइएस से पीड़ित होने से स्वास्थ्य विभाग की खामियां उजागर हो रही है. एइएस के प्रोटोकॉल के तहत बीमारी से स्वस्थ होने वाले बच्चों का फॉलोअप करना था. स्वास्थ्य विभाग को एएनएम और आशा के जरिये नियमित अंतराल पर पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य की देखरेख करनी थी, लेकिन पिछले साल गर्मी समाप्त होते ही विभाग ने उन बच्चों के स्वास्थ्य की जांच नहीं की. नतीजा इस बार गर्मी की शुरुआत के साथ ही बच्चे एइएस से पीड़ित हो रहे हैं. वर्ष 2010 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतनी अधिक संख्या में दोबारा बच्चे एइएस से पीड़ित हुए हैं. पिछले साल 32 बच्चे हुए थे बीमारी से पीड़ित पिछले साल जिले के 30 बच्चे बीमारी से पीड़ित हुए थे. सभी का इलाज एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में हुआ था. जुलाई तक यहां बच्चे इलाज के लिये भर्ती हाेते रहे. स्वस्थ होने के बाद सभी को डिस्चार्ज किया गया था. इनमें 11 बच्चे के परिजनों ने पिछली बार की तरह इस बार जागरूकता के लिहाज से बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल नहीं की. बीमार बच्चों के परिजनों ने भी स्वीकार किया कि इस बार गर्मी शुरू होने के बाद उनलोगों ने एइएस के प्रोटोकॉल के हिसाब से बच्चों को नहीं रखा. अब बच्चों की सही तरीके से देखरेख कर रहे हैं. वर्जन पिछली बार एइएस से पीड़ित होने वाले बच्चे ही अब तक इस बीमारी के शिकार हुए हैं. बच्चों के परिजनों ने एइएस जागरूकता में बतायी गयी जानकारी के हिसाब से बच्चों को नहीं रखा था. इस कारण बच्चे दोबारा बीमार हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर गांव में चौपाल लगा कर एइएस से बचाव की जानकारी दी जा रही है. – डॉ सुधीर कुमार, वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी

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