पिछले साल की अपेक्षा इस बार दो डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर शाही लीची पर इन दिनों मौसम की मार पड़ रही है. मौसम की तल्खी के कारण लीची के बाग सूखने लगे हैं. किसानों को लगातार लीची की सिंचाई करनी पड़ रही है. मौसम की इस तल्खी में अगर बढ़ोतरी हुई तो लीची की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. मौसम की बात करें तो पिछले साल मार्च में अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस था, जो इस साल 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. उसी तरह पिछले साल अप्रैल में 36 डिग्री सेल्सियस तापमान इस बार 38 डिग्री तक पहुंच गया. तापमान में लगातार बढ़ोतरी के कारण सिंचाई के बाद भी बागों में नमी कम हो रही है. किसान इससे काफी चिंतित हैं. बढ़ती गर्मी और हवाओं की तल्खी से फलों की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है. कांटी के लीची किसान बबलू शाही ने कहा कि इस बार मार्च से ही गर्मी अधिक पड़ रही है, जिससे हमलोग चिंतित है. अभी के समय में लीची के बागों को पर्याप्त नमी चाहिये, इसके लिये लगातार सिंचाई करनी पड़ रही है. भू-जलस्तर गिरने से सिंचाई में परेशानी किसानों की दूसरी समस्या भू-जल स्तर गिरने से हो रही है. पहले 60-70 फुट नीचे के बोरिंग से बागों की सिंचाई हो जाती थी, लेकिन इस बार किसानों को 200 फुट की बोरिंग करानी पड़ रही है. इससे किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है. पहले से जिन किसानों का बोरिंग था, वह काम नहीं कर रहा है. किसान रामप्रवेश चौधरी ने बताया कि पहले के बोरिंग के काम नहीं करने से नया बोरिंग कराना पड़ रहा है. इससे खर्च बढ़ गया है. लीची का बीमा भी नहीं हो रहा है, अगर किसी तरह का प्राकृतिक संकट आया तो लीची की फसल के साथ हमलोगों की लागत भी डूब जायेगी.
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