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राशन वितरण में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश: पार्षदों ने कहा गरीबों का निवाला छीन रहे डीलर

dealers are snatching food from the poor

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वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

कंपनीबाग के टाउन हॉल में राशन कार्ड की शिकायतों के निपटारे को लेकर हुई बैठक में आपूर्ति व्यवस्था की पोल खुल गई. मीटिंग की अध्यक्षता महापौर निर्मला साहू कर रही थी. इस दौरान पार्षदों ने एसडीओ पूर्वी और जिला आपूर्ति अधिकारियों के सामने डीलरों और कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की जमकर शिकायत की. एक तरह से कहे तो प्रशासनिक सिस्टम का पोल-पट्टी खोल कर रख दिया. पार्षदों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि राशन कार्ड में गड़बड़ियों की भरमार है और सुधार के लिए गरीबों को 700-1000 रुपये तक की रिश्वत देनी पड़ती है. हमलोग जब शिकायत करते हैं, तो अधिकारी बाेलते हैं कि पैसा लेकर आप राशन कार्ड बनवा रहे हैं. पार्षदों ने बताया कि अंत्योदय योजना के तहत गरीबों को 35 किलोग्राम राशन मिलना चाहिए, लेकिन डीलर केवल 25 किलोग्राम ही देते हैं. इतना ही नहीं, राशन की माप-तौल में भी भारी अनियमितता है. 25 किलोग्राम राशन तौलकर दिया जाता है, लेकिन वास्तव में वह 20 किलोग्राम ही होता है. इस तरह, डीलर प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम राशन का घोटाला कर रहे हैं. पार्षद राजीव कुमार पंकू, अभिमन्यु चौहान, संजय केजरीवाल, अजय कुमार ओझा, सनत कुमार, अर्चना पंडित और अन्य ने घटिया अनाज वितरण और हर स्तर पर बिचौलियों की मौजूदगी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि गरीब परिवार राशन कार्ड सुधार के लिए कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर परेशान हैं. आरटीपीएस काउंटर की व्यवस्था नगर निगम परिसर में ही होना चाहिए. शहर के गरीब व लाचार परिवार को मुशहरी प्रखंड मुख्यालय जाना मुश्किल है. एसडीओ पूर्वी अमित कुमार और सहायक जिला आपूर्ति पदाधिकारी कमलेश कुमार ने पार्षदों की शिकायतों को सुनकर तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि पार्षद बेहिचक उन्हें कॉल या व्हाट्सएप पर शिकायत कर सकते हैं. उन्होंने 15 दिनों के भीतर सभी पीडीएस दुकानों पर अपना और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का भी निर्देश दिया.

बॉक्स ::: लंबे समय से मीटिंग की उठ रही थी मांग

राशन कार्ड के मुद्दे पर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों के साथ लंबे समय से मीटिंग की मांग उठ रही थी. बार-बार सशक्त स्थायी समिति व निगम बोर्ड में इससे संबंधित प्रस्ताव रखा जाता था. लेकिन, एसडीओ पूर्वी एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी मौजूद नहीं रहते थे. इस कारण इस पर चर्चा नहीं हो पाती थी. लगभग छह माह बाद इस प्रस्ताव का पालन करते हुए नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने मीटिंग आयोजित कराया है.

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