मुजफ्फरपुर.
जिले में एइएस के केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है. शनिवार को एइएस मिलनेवाले प्रखंड पारु व कुढ़नी में विभाग की टीम पीड़ित बच्चे के आसपास के घरों में जागरूकता के साथ-साथ ओआरएस के पैकेट वितरण किया. इसके साथ ही सीएस ने पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिया है कि एइएस से बच्चे पीड़ित होने लगे हैं. ऐसे में तैयारी फरवरी में ही पूरी करें. जो भी लक्षण वाले बच्चे आ रहे हैं, उनका इलाज प्रोटोकॉल के आधार पर करें़ यदि वे रिकवर नहीं होते हैं तो उन्हें एसकेएमसीएच रेफर करें. रेफर के दौरान एंबुलेंस में सभी सुविधाएं होनी चाहिये. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि 18 फरवरी को बच्चे को एसकेएमसीएच लाया गया. बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीकू वार्ड में भर्ती कर एइएस का इलाज शुरू किया गया. इस दौरान उसका सैंपल जांच के लिये भेजा गया. रिपोर्ट आने पर एइएस की पुष्टि हुई.जनवरी से अब तक दो बच्चे एइएस के मिले
जनवरी से लेकर अब तक दो केस एसकेएमसीएच में एइएस के मिले हैं. इसमें जिले के ही केस मिले हैं. ऐसे पहचानें बीमारी एइएस चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों को काफी तेज दर्द के साथ शरीर ऐंठने लगता है और तेज बुखार आता है. कई बार तो बुखार इतना तेज होता है कि बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं. इससे पीड़ित मरीजों को कई बार उल्टी होती है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है. लेकिन अगर इलाज में देर होने पर बीमारी बढ़ जाए तो मरीज में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें रोगी का दिमाग काम करना बंद कर देता है और वो भ्रम का शिकार भी हो जाता है.ऐसे करें बचाव
बच्चे को धूप से बचाएं, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है और इसकी वजह से बच्चों की रुचि भोजन व पानी में कम हो जाती है. बच्चों को रात में खाली पेट न सोने दें.सोने के समय नींबू पानी, शक्कर अथवा ओआरएस का घोल पिलायें. चमकी बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
पीएचसी में दो व सदर अस्पताल में दस बेड का वार्ड बनेगा
मुजफ्फरपुर.
एइएस के मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करायी जा सके, इसके लिये पीएचसी व सदर अस्पताल में अलग से वार्ड बनाये जा रहे हैं. सभी पीएचसी में दो बेड की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा सदर अस्पताल में दस बेडों का वार्ड बनाया गया है. पीएचसी स्तर से लेकर जिला तक मेडिकल टीम बनाने का निर्देश दिया गया है. इधर जिला स्तरीय समिति का गठन किया जायेगा. इस समिति में सिविल सर्जन समेत जिला स्वास्थ्य विभाग के चार प्रोग्राम पदाधिकारी शामिल होंगे.इसी तरह मेडिकल कॉलेज में भी एक समिति बनायी जायेगी. जिले में मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य समिति के अध्यक्ष होंगे. इसके अलावा विभागाध्यक्ष व एक वरीय चिकित्सा पदाधिकारी सदस्य के रूप में शामिल किये जायेंगे. समिति मरीजों की मौत के कारणों की पड़ताल करेगी़ सरकार व राज्य स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त निर्देश के आलोक में जिलास्तरीय समिति गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. समिति एइएस व जेइ के रोगियों व चिकित्सा व्यवस्था से लेकर अन्य बिंदुओं पर नजर रखेगी और मॉनीटरिंग करेगी. इसके साथ ही पीएचसी व सदर अस्पताल में एइएस वार्ड बनाये जा रहे हैं. -डाॅ अजय कुमार, सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है