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बिहार के इस जिले के थानों में जब्त हैं लाखों रुपये की विदेशी पिस्टलें, बेल्जियम, जर्मनी समेत कई देशों के हथियार हैं शामिल

Bihar News: मुजफ्फरपुर के थानों में जब्त की गईं लाखों की विदेशी पिस्टलें पुलिस की लापरवाही के कारण जंग खा रही हैं. बेल्जियम, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य जैसे देशों से निर्मित ये हथियार आपराधिक मामलों में बरामद किए गए थे, लेकिन रखरखाव की कमी से इनके खराब होने का खतरा बढ़ गया है.

Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के थानों में जब्त की गईं लाखों रुपये की विदेशी पिस्टलें उचित रखरखाव के अभाव में जंग खा रही हैं. इनमें बेल्जियम, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य में निर्मित हथियार शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न आपराधिक मामलों में बरामद किया गया था. पुलिस की लापरवाही से न सिर्फ हथियार खराब हो रहे हैं, बल्कि केस पर भी इसका असर पड़ सकता है.

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न थानों में जब्त की गईं विदेशी पिस्टलों की कीमत 12 से 15 लाख रुपये तक बताई जा रही है. जो उचित रखरखाव के अभाव में जंग खा रही हैं. इन हथियारों में बेल्जियम का माउजर, चेक गणराज्य की सिजेड पिस्टल, ऑस्ट्रिया की ग्लॉक पिस्टल और जर्मनी की एल-लामा पिस्टल भी शामिल हैं.

सभी हथियार फिलहाल बक्सों में बंद

सूत्रों के अनुसार, नगर थाना पुलिस ने 2018 में चर्चित बालिका गृह कांड के दौरान बेल्जियम निर्मित माउजर पिस्टल जब्त की थी. वर्ष 2020 में तीन आरोपितों के साथ ग्लॉक पिस्टल बरामद की गई थी. बीते वर्ष मुशहरी पुलिस ने गोविंदों को गिरफ्तार किया, जिसके पास से चेक गणराज्य निर्मित सीज पिस्टल मिली थी. वहीं, 15 मई को सदर थाना पुलिस द्वारा जर्मनी की एल-लामा पिस्टल जब्त की गई. ये सभी हथियार फिलहाल बक्सों में बंद रखे गए हैं.

हर महीने जब्त होते हैं औसतन 10 हथियार

जिले में हर महीने औसतन 10 हथियार और 25-30 गोलियां जब्त की जाती हैं, जिन्हें मालखानों में रखा जाता है. लेकिन, किस हथियार का संबंध किस मामले से है और उसका इंचार्ज कौन है, इस संबंध में कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं है. कई मामलों में मालखाने का चार्ज संभालने वाले अधिकारियों का ट्रांसफर भी हो चुका है.

आईजी ने किया था हथियारों का सही उपयोग

तत्कालीन आईजी गुप्तेश्वर पांडेय ने कोर्ट के आदेश के बाद जब्त हथियारों को पिघलाकर उनसे हसिया, खुरपी, हल जैसे कृषि उपकरण बनवाए थे, जिन्हें किसानों में वितरित किया गया था. उनके इस निर्णय की सराहना व्यापक रूप से हुई थी.

पुलिस की लापरवाही और अपराधियों को फायदा

वरिष्ठ अधिवक्ता संगीता शाही ने कहा कि ट्रायल पीरियड के दौरान जब्त हथियारों को सुरक्षित रखना और अदालत की मांग पर उन्हें प्रस्तुत करना पुलिस की जिम्मेदारी होती है. इसमें लापरवाही का सीधा लाभ आरोपियों को मिल सकता है. वरिष्ठ अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बताया कि कई मामलों में ऐसा हुआ है कि जब्त हथियार अदालत में प्रस्तुत न किए जा सके, जिससे आरोपियों को बरी कर दिया गया.

मामले को लेकर बोले एसएसपी

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एसएसपी सुनील कुमार ने कहा कि थानों के निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ अधिकारी मालखाने की भी जांच करते हैं और आवश्यक निर्देश दिए जाते हैं. हाल ही में कुछ थानों से मालखानों में गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं, जिन पर कार्रवाई की जा रही है.

(सहयोगी सुमेधा श्री की रिपोर्ट)

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