मुजफ्फरपुर: विश्व के इतिहासकार व बौद्ध धर्म के विद्वान अब यह मानने लगे हैं, महात्मा बुद्ध ने 45वें वर्षावास की स्थली वैशाली के वेदौलिया गांव को बनाया था. सोमवार को विश्व के मशहूर बौद्ध इतिहासकारों के नौ सदस्यीय दलों ने वेदौलिया गांव में थी. इस दौरान टीम ने उन स्थानों को देखा, जहां माना जाता है, बुद्ध रहे थे. इन विद्वानों ने कहा, खुदाई के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी. इतिहासकारों ने पूरे गांव का भ्रमण किया.
इस दौरान वहां के बांस के वनों, गढ़ों व प्राचीन कूपों को देखा. ग्रामीणों से बात की. इस दौरान इंटरनेशनल रिसर्च एंड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ विजय सुमन इतिहासकारों को जानकारी दे रहे थे. डॉ सुमन का कहना है, उन्होंने ही बुद्ध के 45वें वर्षावास स्थल की खोज की है.
’बुद्धिष्ट वैशाली’ पुस्तक पढ़कर आये
वेदौलिया गांव का सच जानने के लिए पहुंची इतिहासकारों की टीम का नेतृत्व मशहूर बौद्ध इतिहासकार शान्तनु सेठ कर रहे थे. टीम में ब्रिटेन के इतिहासकार स्टीफन बैचलर, वियातनाम के तिकन्यात हंत के अलावा अमेरिका, इटली व अफ्रीका के पुरातत्वविद् व इतिहासकार थे. डॉ सुमन ने कहा, उन्होंने बुद्धिस्ट वैशाली पुस्तक लिखी थी, जिसमें उन्होंने बुद्ध के वर्षावास के बारे में विस्तार से लिखा है. इसी पुस्तक की तार्किक विवेचना पढ़ने के बाद इतिहासकार वेदौलिया आये थे. वेदौलिया का भ्रमण कर सभी भगवान बुद्ध का निर्वाण स्थल देखने कुशीनगर की ओर प्रस्थान कर गये. इतिहासकारों को बताया गया, वर्तमान में वेदौलिया 600 बीसी का वेलुवगाम है, जिसका जिक्र पालि मूल ग्रंथ में जिक्र किया गया है.
बुद्ध ने बिताये चार माह
लेखक डॉ सुमन कहते हैं, बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने जीवन के 45 वर्षावास व्यतीत किया. वर्षा ऋतु के दौरान बुद्ध एक ही स्थान पर चार माह तक रहते थे. हिंदी महीने के आसाढ़ प्रतिपदा से लेकर आश्विन की पूर्णिमा तक बुद्ध एक ही स्थल पर विश्रम करते थे. उन्होंने अपना 5वां वर्षावास स्थल कोल्हुआ व अंतिम वर्षावास स्थल वेदौलिया को बनाया. वे यहां चार माह तक रहे. यहीं पर उन्होंने महान सूत्र वाक्य ‘अत् दीप् विहरथ्’ का उद्घोष भी किया था.
वेलुवगाम का प्रमाण
डॉ सुमन कहते हैं, वेदौलिया के बगल के गांव का नाम अनिरुद्ध है. अनिरुद्ध बुद्ध के चचेरे भाई थे. शेरगाथा बौद्ध ग्रंथ में इसका जिक्र है. गांव में अनिरुद्ध टीला भी है, जहां बैठकर अनिरुद्ध उपदेश दिया करते थे. मङिझम निकाय व कत्थक नागर सूत्र में बेलुवगाम का वर्णन है. वेदौलिया में बिखरे पड़े बौद्ध कालीन अवशेष भी यह सिद्ध करता है कि बुद्ध का बेलुवगाम वेदौलिया ही है. डॉ सुमन ने कहा, पुरातत्व विभाग यहां से कई चीजों को शोध के लिए ले गया है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका की महाबोधि सोसाइटी की शोध पत्रिका धर्मरत में 2011 में उनका शोध प्रकाशित हुआ था. उसके बाद एशियाई विद्धानों ने इधर का रुख किया. उन्होंने वेदौलिया को भगवान बुद्ध के वर्षावास स्थल के रूप में चिह्न्ति कर लिया था. अब विश्व के विद्वानों ने इधर रुख किया है.
सड़क बने तो बदले स्थिति
वेदौलिया गांव जहां बुद्ध ने अंतिम वर्षावास किया था. वह कोल्हुआ से 12 किलोमीटर की दूरी है. गांव में जाने के लिए अभी सड़क तक नहीं है. सड़क से एक किलोमीटर की दूरी पर है ये गांव. अगर यहां जाने के लिए सड़क का निर्माण हो जाये, तो बुद्ध धर्म के अनुयायियों के यहां आने का सिलसिला और तेजी से शुरू हो जायेगा. डॉ सुमन कहते हैं, अभी भी लोग वेदौलिया गांव जाते हैं, लेकिन सड़क की सुविधा होने पर आसानी होगी.

