सेबी के साथ चल रहे कंपनी के मामले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए सहारा प्रमुख ने कहा कि 43 माह में सेबी ने निवेशकों का महज 50 करोड़ रुपये ही लौटाये हैं. देशभर में दिये गये विज्ञापन के बावजूद सेबी को कुल धन वापसी की मांग 50 करोड़ के लगभग ही मिली है, जबकि सेबी अपने आखिरी विज्ञापन में यह स्पष्ट कर चुका है कि धन वापसी की मांग हेतु निवेशकों को यह अंतिम अवसर दिया गया है. इससे स्पष्ट है कि सेबी द्वारा किसी भी स्थिति में धन वापसी 100 करोड़ से अधिक नहीं होगी. सहारा सेबी को पहले ही 14 हजार करोड़ (फिक्स डिपोजिट पर प्राप्त ब्याज सहित) दे चुका है. साथ ही सहारा की 20 हजार करोड़ रुपये की अचल संपत्ति का मूल दस्तावेज भी सेबी के पास है.
सेबी द्वारा सहारा के निवेशकों के न होने के दावे के बारे में इनका कहना है कि कंपनी का एक भी खाता गलत व जाली नहीं है. सहारा के दावे की मजबूती इससे स्पष्ट हो जाती है कि सेबी निवेशक के सत्यापन की प्रक्रिया को टालता जा रहा है. चूंकि सेबी जानता है कि सत्यापन सही ढंग से होता है तो सहारा का दावा सच्चा साबित होगा.
श्री राय ने सहारा समूह पर लगे प्रतिबंध की चर्चा करते हुए कहा कि विगत 30 माह से सहारा समूह एक प्रतिबंध के तले दबा है. इसका सीधा मतलब है कि सहारा अगर कोई संपत्ति उधार रखकर या बेचकर रकम जुटाता है तो वह सारा धन सेबी-सहारा के खाते में ही जायेगा. इस स्थिति में समूह के लिए एक रुपया जुटाना भी कठिन है. यही वजह है कि सहारा अपने कर्मियों को सैलरी व अन्य दायित्व को पूरा करने में कठिनाई महसूस कर रहा है.