मुजफ्फरपुर: रात के लगभग सवा दस बजे मुन्नवर राणा ने मुहाजिरनामा का शेर..ओ लीची से लदे पेड़ों का खामोशी से मुंह तकना, मुजफ्फरपुर हम तुमको अकेला छोड़ आये हैं..पढ़ा, तो तालियों की गड़गड़ाहट लगभग एक मिनट तक नहीं थमी. वाह और दाद देने का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा. शेर-ओ-शायरी के बीच अपने शहर के नाम से लोग खुश थे. हालांकि शेर में बात जुदाई की थी, लेकिन महफिल के दौरान बात अदब की हुई. सलीके से रहने की और बड़े-बुजुर्गो व बेटियों के स्वाभिमान के कायम रखने पर भी शेर व गजल का दौर चला.
सात बजे शाम को शुरू हुई शाम-ए-महफिल रात में सवा दस बजे के बाद पूरी हुई, लेकिन सुननेवालों को दिल में ये कसक रह गयी कि अभी बात पूरी नहीं हुई और इस वादे के साथ दोनों शायरों ने मंच से विदा ली कि फिर हम मुजफ्फरपुर आयेंगे. शुरुआत मुनव्वर राना ने राहत इंदौरी का परिचय देते हुये की. इसमें उन्होंने अपनी और राहत साहब दोनों की उम्र का जिक्र किया और पटना की घटना का जिक्र किया, जिसमें दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर सीढ़ियां चढ़ रहे हैं, मुनव्वर राना ने कहा था, तुम हमरी बांह पकड़ो, हम तुम्हरी बांह पकड़ी, तुमहू ढलान पर हौ, हमहूं ढलान पर हैं. अवधी में कहे गये इस शेर पर तालियों का जो दौर शुरू हुआ, तो महाजिरनामा के शेरों तक जारी रहा. इसके बाद मुनव्वर राना ने राजनीति पर बात करते हुये कहा कि मोहब्बत करनेवालों में ये झगड़ा डाल देती है, सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है. तवायफ की तरह अपनी गलतकारी के चेहरे पर, हुकूमत मंदिर और मस्जिद का परदा डाल देती है. इसके बाद उन्होंने अदब के शेर पढ़े. प्रभात खबर की ओर से किये गये आयोजन की तारीफ की.
राहत इंदौरी ने माइक संभाला, तो उन्होंने कहा, जिन्होंने कहा कि ना मस्ज़िद को जानते हैं, ना शिवालों को जानते है, जो भूखे पेट होते हैं, निवालों को जानते है. इसके बाद उन्होंने..शाखों से टूट जायें, वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधियों के कह दो कि औकात में रहे. पढ़ा तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से काफी देत तक गूंजता रहा. इसके बाद राहत साहब ने गजल का ही शेर पढ़ा, तो लोग दाद देते नजर आये, बोल..हर एक हर्फ का अंदाज बदल रखा है, आज से हमने तेरा नाम गजल रखा है. नौजवान श्रोताओं की ओर मुखातिब होते हुये राहत साहब ने कहा कि जवानियों में जवानी को धूल करते हैं, जो भूल नहीं करते, भूल करते हैं. इतना सुनते ही हाल में बैठे नौजवानों के बीच तालियां बजाने की होड़ लग गयी.
इसके बाद फिर से मुन्नवर राना ने माइक संभाला और मां पर लिखी अपनी रचनाएं पढ़ीं. इसके बाद फिर बारी भी राहत साहब की और उन्होंने एक-एक करके अपने अलग अंदाज में श्रोताओं को खूब झुमाया. इससे पहले महफिल की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसमें कुढ़नी विधायक केदार गुप्ता, कांटी विधायक अशोक चौधरी, मेयर वर्षा सिंह, डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन, पूर्व डिप्टी मेयर विवेक कुमार ने किया.
कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत प्रभात खबर के कॉरपोरेट एडिटर राजेंद्र तिवारी ने किया. कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया और मुख्य अतिथि जिला जज हरेंद्रनाथ तिवारी ने अपने बचपन के दिनों की याद ताजा की. महफिल में नगर विधायक सुरेश शर्मा, गायघाट विधायक महेश्वर प्रसाद, बोचहां विधायक बेबी कुमारी भी शामिल हुईं.
मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र के आइजी पारसनाथ ने भी शाम-ए-महफिल में शिरकत की. इसके अलावा नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन, सिटी एसपी आनंद कुमार, एडिसनल एसपी राजीव रंजन, एमएसकेवी की प्राचार्य निर्मला सिंह, एमडीडीएम की प्राचार्य ममता रानी, एलएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अमरेंद्र नारायण यादव आदि अधिकारियों ने महफिल की शोभा बढ़ाई. अतिथियों का स्वागत मुजफ्फरपुर प्रभात खबर के प्रबंधक निर्भय सिन्हा, प्रसार प्रबंधक अमरेश झा, लेखा प्रबंधक अनिरुद्ध कुमार व विज्ञापन प्रबंधक निश्चल कुमार, देवेंद्र त्रिपाठी ने किया. कार्यक्रम का आयोजन िमठनपुरा िस्थत आम्रपाली ऑिडटोिरयम में िकया गया. कार्यक्रम में मंच का संचालन इग्नू के डॉ मनीष कुमार ने िकया .
जिला जज को याद आयी 21 साल पुरानी महफिल
शाम-ए-महफिल में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जिला जज हरेंद्रनाथ तिवारी को 21 साल पुरानी महफिल याद आ गयी. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि 21 साल पहले उन्होंने राहत इंदौरी को उत्तर प्रदेश के देवरिया की एक महफिल में सुना था, तब से उनके अंदाज-ए-बयां के कायल हो गये. उन्होंने कहा कि आज मुनव्वर राणा को भी सुनने को मिल रहा है, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया. जिला जज ने कहा कि शायर जब बोलते हैं, तो बड़ी-बड़ी सियासते हिल जाती हैं. ऐसे कार्यक्रम और ऐसी शख्सियतों के बारे में सुन कर कोई भी अपने कदम नहीं रोक पाता.
इससे बड़ी सहिष्णुता क्या होगी. हिंदी के अखबार ने उर्दू शायरों को बुलाया
राहत इंदौरी ने हाल के महीनों में देश में जारी असहिष्णुता पर बहस की चर्चा की और कहा कि एक हिंदी का अखबार प्रभात खबर हम दो उर्दू शायरों को बुला रहा है. देश में इससे बड़ी सहिष्णुता की मिसाल और क्या होगी. सबसे बड़ी बात ये है कि आप लोग सामने बैठे हैं और हमें दाद दे रहे हैं. यही, तो अपने देश की ताकत है.

