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सीतामढ़ी की चार पंचायतों के पानी में आर्सेनिक

मुजफ्फरपुर :वैशाली और सीतामढ़ी की कई पंचायतों के पानी में आर्सेनिक की पुष्टि हुई है. वैशाली जिले के 16 प्रखंडों में से 15 प्रखंड क्षेत्रों की 96 पंचायतों के 502 वार्ड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा डेंजर लेवेल से ज्यादा है. इन इलाकों के लोग आर्सेनिक युक्त दूषित पेयजल का उपयोग कर रहे हैं. […]

मुजफ्फरपुर :वैशाली और सीतामढ़ी की कई पंचायतों के पानी में आर्सेनिक की पुष्टि हुई है. वैशाली जिले के 16 प्रखंडों में से 15 प्रखंड क्षेत्रों की 96 पंचायतों के 502 वार्ड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा डेंजर लेवेल से ज्यादा है. इन इलाकों के लोग आर्सेनिक युक्त दूषित पेयजल का उपयोग कर रहे हैं.

उधर, सीतामढ़ी के तीन प्रखंड के चार वार्ड के चापाकलों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है. आर्सेनिक जन जीवन व फसलों के लिए खतरनाक होता है और इससे कई तरह की बीमारियां होती हैं.

मानक के अनुसार पानी में आर्सेनिक की मात्रा 10 पीपीबी से नीचे रहनी चाहिए. उससे अधिक मात्रा रहने पर वह हानिकारक माना जाता है. वैशाली जिले में आर्सेनिक की मात्रा 20 पीपीबी तक पायी गयी है, वहीं सीतामढ़ी में भी 12 से 20 पीपीबी आर्सेनिक मिला है.

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मुताबिक, चापाकलों के पानी की जांच में सीतामढ़ी और वैशाली जिले में पानी में आर्सेनिक की अत्यधिक मात्रा पाये जाने की पुष्टि हुई है. वैसे यह माना जाता है कि गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के पानी में आर्सेनिक पाया जाता है. वैशाली जिले के हाजीपुर सदर, विदुपुर, राघोपुर व महनार प्रखंड क्षेत्र से होकर गंगा नदी गुजरती है, लेकिन इन चार प्रखंडों के अलावे 11 अन्य प्रखंड क्षेत्र के गांवों के पानी में आर्सेनिक है. सिर्फ लालगंज प्रखंड क्षेत्र में अबतक आर्सेनिक मिलने की बात सामने नहीं आयी है. दूसरी ओर सीतामढ़ी जिले के भीतीन प्रखंड के चार वार्ड के चापाकलों के पानी में आर्सेनिक पाया गया है. अबतक इन क्षेत्रों के लोग पेयजल में मिले इस जहर रूपी आर्सेनिक को पी रहे हैं.

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