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मुजफ्फरपुर : सूफी संगीत की खूशबू से सराबोर हुआ मन

मुजफ्फरपुर : संगीत की सुरमयी तान, लेकिन आवाज का उन्माद नहीं. लय में घुले शब्द व आवाज की कशिश ने लोगों को मुग्ध कर दिया. गजलों के बोल, गायकी का अंदाज व मस्ती के जुनून के साथ सुरमयी शाम जैसे-जैसे परवान चढ़ी, दर्शक संगीत के जादू में खो गये. मौका था सुरंगमा कला केंद्र की […]

मुजफ्फरपुर : संगीत की सुरमयी तान, लेकिन आवाज का उन्माद नहीं. लय में घुले शब्द व आवाज की कशिश ने लोगों को मुग्ध कर दिया. गजलों के बोल, गायकी का अंदाज व मस्ती के जुनून के साथ सुरमयी शाम जैसे-जैसे परवान चढ़ी, दर्शक संगीत के जादू में खो गये. मौका था सुरंगमा कला केंद्र की ओर से रविवार को कन्हौली स्थित आदित्य फार्म्स में सूफी लोक उत्सव का कार्यक्रम का उद्घाटन डीआइजी अनिल कुमार सिंह, डीपीएस वर्ल्ड स्कूल के प्राचार्य एंथोनी चार्ल्स व रिकॉलिंग रूट्स की निदेशिका निमिषा शंकर ने दीप जला कर किया.
संस्था की ओर से डीआइजी को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया. मौके पर बेतिया से आये सूफी गायक असलम चिश्ती ने जब सूफी गीतों की महफिल सजायी तो लोग संगीत की धुन में खो गये. छाप तिलक जब छीनी रे मुझसे नैना मिलाइके व दमादम मस्त कलंदर गीतों की प्रस्तुति कर असलम चिश्ती ने महफिल लूट ली. आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाले संगीत की रूहानी खूशबू ने सभी को आनंदित कर दिया. उन्होंने अमीर खुसरों की गजल आज रंग है वो मां रंग है री सहित बुल्ले शाह, बेगम शाह वारसी, बुल्ले शहजाद, कैसर समस्तीपुर की कई नज्मों को पेश किया.
बशीर बद्र की गजल सरे राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर गया नहीं की को प्रस्तुत कर लोगाें की खूब तालियां बटोरी. निमिषा शंकर व डॉ पुष्पा प्रसाद ने निर्गुण प्रस्तुत किया. संजीत कुशवाहा ने बिरहा गायन कर लोगों को खूब झुमाया. कार्यक्रम में तबले पर हिमांचल मिश्र, सत्यम मिश्र, नाल पर ज्योति शर्मा, ऑक्टोपैड पर अरविंद कुमार मिश्र, सिंथेसाइजर पर अनिल कुमार शर्मा व कोरस में नेयाज चिश्ती संगत कर रहे थे. संचालन डॉ पंकज कर्ण व धन्यवाद ज्ञापन डॉ मायाशंकर ने किया.
सुख-दुख का साथ लिये तू आगे बढ़ता चल ऐ राही
मुजफ्फरपुर : नटवर साहित्य परिषद् की ओर से रविवार को नवयुवक समिति ट्रस्ट में कवि गोष्ठी आयोजित की गयी. इस मौके पर कवियों ने जीवन व जगत से जुड़ी कविताएं सुना कर सबको मुग्ध कर दिया.
डॉ विजय शंकर मिश्र ने सुख-दुख का साथ लिए तू आगे बढ़ता चल ऐ राही, डॉ नीलिमा वर्मा ने मैं जब भी निहारती हूं खिड़की से डूबते सूरज को सुना कर श्रोताओं की तालियां बटोरी.नागेंद्रनाथ ओझा ने कोई दलित नहीं होता हर मानव इंसान है, यशपाल कुमार ने यूं तेरी याद में रोया तू क्या जाने देश क्या खोया सुना कर लोगों की सराहना ली. मौके पर ठाकुरविनय कुमार शर्मा, देवेंद्र कुमार, डॉ हरि किशोर प्रसाद सिंह, शुभ नारायण शुभंकर, हुसैन सलीम, रंजीत कुमार, रणवीर अभिमन्यु,नागेंद्र राम, अंजनी कुमार पाठक, आशा सिन्हा, दिलीप कुमार, तारकेश्वर कुमार व सुनील कुमार ओझा की रचनाएं भी सराही गयीं.

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