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पिता की दुलारी पिंकी ”बेटा” बन चिता को दी अग्नि

वक्त बदल रहा है और साथ ही बदल रही है समाज की सोच. परंपराओं से हट कर एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया. मीनापुर के चकईमाद गांव में लोगों के बीच पिंकी की चर्चा है. पिता की मृत्यु से दुखी पिंकी को इस बात का गर्व है कि उसने […]

वक्त बदल रहा है और साथ ही बदल रही है समाज की सोच. परंपराओं से हट कर एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया. मीनापुर के चकईमाद गांव में लोगों के बीच पिंकी की चर्चा है. पिता की मृत्यु से दुखी पिंकी को इस बात का गर्व है कि उसने पिता की चिता को अिग्न दी.
मीनापुर: चकईमाद गांव में बुधवार को लंबी बीमारी से शिवजी राम की मौत हुई, तो ग्रामीणों के बीच यह सवाल उठा कि उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा. ‘भगवान’ ने उन्हें कोई बेटा नहीं दिया है. जब उनकी बड़ी बेटी पिंकी ने रूढ़िवादी विचारों को दरकिनार कर निर्णय लिया कि भले ही वह बेटी है. लेकिन, उसके पिता ने उसे पुत्र की तरह पाला है.

इसलिए वह खुद अपने पिता का अंतिम संस्कार करेगी. गांव में यह मार्मिक दृश्य देख कर हर किसी की आंखों से आंसू बह रहे थे. उसने कहा कि मेरे पिता ने प्यार- दुलार में कोई कमी नहीं की. इसलिए मुखाग्नि व अंतिम संस्कार करने का पूरा हक है. हम भी बेटा है, बेटी नहीं. पिंकी ने कुदाल थाम कर पिता के लिए शायरा बनाया.

पिता की अरथी को कंधा देकर श्मशान तक ले गयी. यहां हिंदू रीति-रिवाज के साथ चिता को मुखाग्नि दी. उसे इस बात का गम है कि पिता का साया उसके सिर से उठ गया. उसके पिता अब दुनिया में नहीं रहे. लेकिन, इस बात की खुशी है कि उसने अपने पिता को मुखाग्नि दी. ऐसा सौभाग्य शायद ही किसी बेटी को मिलता है. वहीं दूसरी बेटी रिंकी कुमारी की आंखों से आंसू बह रहे थे. वह दो बहनें हैं. पिंकी इंटर प्रथम वर्ष की छात्रा है. अंतिम संस्कार के समय पंसस विनोद प्रसाद, एचएम शंकर राम, संकुल समन्वयक विनोद कुमार, श्यामबाबू कुमार व मुन्ना कुमार आदि ने शवयात्रा में उपस्थित होकर बेटियों को सांत्वना और हिम्मत दे रहे थे.

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