मुंगेर. सोमवार को श्रद्धा-भक्ति के साथ सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री तथा सोमवती अमावस्या का व्रत किया. सुहागिन महिलाओं ने पूरे आस्था व विश्वास के साथ वट सावित्री की पूजा-अर्चना की तथा सती सावित्री व सत्यावन की कथा का श्रवण किया. कई महिलाओं ने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा. महिलाओं ने एक-दूसरे को श्रृंगार वस्तु भेंट कर अपने अपने पति की लंबी उम्र की कामना की. दोपहर बाद तक वट वृक्षों के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ लगी रही.
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त सोमवार को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर तीन बजे तक था. सुहागिन महिलाएं सुबह से ही पूजा-पाठ की तैयारियों में जुट गयी थी. शुभ मूहुर्त आरंभ होते ही वट वृक्ष के समीप महिलाएं पूजा-अर्चना करने पहुंचने लगी. वृक्ष में कच्चा धागा लपेटते हुये महिलाओं ने वट वूक्ष की परिक्रमा की. बरगद के पत्तों पर मौसमी फल व पकवानों के नैवेद्य चढ़ाये. साथ ही अपने दांपत्य जीवन में सदैव शीतलता रहने की कामना को लेकर व्रती ने बांस के पंखे झलकर वट वृक्ष को हवा दी. इस दौरान वहां मौजूद व्रतियों ने एक-दूसरे को सिंदूर, काजल, मेहंदी, बिंदी सहित अन्य श्रृंगार की वस्तुएं दी तथा सुहागिन रहने की कामना की. पूजा-अर्चना के उपरांत महिलाओं ने अपने पति के भी चरण पखारे. व्रत को लेकर महिलाओं में इस दौरान काफी उत्साह व विश्वास झलक रहा था.———————————————————
दीर्घायु व अमरता का प्रतीक है बरगद व पीपल का पेड़
मुंगेर :
पीपल और बरगद के वृक्ष पर्यावरण के सबसे अच्छे मित्र है. पीपल और बरगद को सबसे अधिक ठंडक प्रदान करने वाला वृक्ष माना जाता है. ये दोनों पेड़ पर्यावरण के लिए जीवनदायिनी है. बरगद का पेड़ दीर्घायु और अमरता का प्रतीक है. इसमें सदियों तक जीवित रहने की क्षमता होती है. बरगद के पेड़ को ऑक्सीजन का खजाना कहा जाता है. कुछ विशेष पेड़ ऐसे हैं, जो बहुतायत में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं. उन्हीं में से एक बरगद भी है. वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बरगद, नीम, तुलसी का पेड़ एक दिन में लगभग 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन का निर्माण कर सकते है. उसी तरह पीपल का पेड़ अपनी कई खूबियों के लिए जाना जाता है. यह एक पवित्र वृक्ष है, जो पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभकारी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है